गंभीर बीमारी से ग्रस्त ये दो अधिकारी देश के लिए करने जा रहें ये बड़ा काम
लकवा , मस्तिष्काघात , रीढ़ की हड्डी में चोट या तंत्रिका तंत्र की किसी अन्य समस्या के कारण चलने फिरने में लाचार लोगों के लिए बनाए गए रोबोटिक सपोर्ट सिस्टम...
नई दिल्ली। लकवा, मस्तिष्काघात, रीढ़ की हड्डी में चोट या तंत्रिका तंत्र की किसी अन्य समस्या के कारण चलने फिरने में लाचार लोगों के लिए बनाए गए रोबोटिक सपोर्ट सिस्टम एक्सोस्केलेटन को स्विटजरलैंड में होने वाली सायबथलोन प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए भारत की प्रविष्टि के तौर पर चुना गया है।
विशेष रूप से सक्षम लोग विभिन्न प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेते हैं
देश की सेवा करते हुए गोली लगने से दिव्यांग हुए दो पूर्व सैनिक इस प्रणाली के साथ अपने देश का प्रतिनिधित्व करेंगे। इस प्रणाली का विकास स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में काम करने वाले एक स्टार्टअप जेनएलेक टैक्नोलॉजीज ने किया है।
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इसके संस्थापक जॉन आई कुजुर ने बताया कि एक्सोस्केलेटन को स्विटजरलैंड के ज्यूरिख में 2-3 मई को होने वाली सायबथलोन प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए भारत की प्रविष्टि के तौर पर चुना गया है। उन्होंने बताया कि इस प्रतियोगिता में दुनिया भर के विशेष रूप से सक्षम लोग विभिन्न प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेते हैं।
17 अन्य टीमों के साथ‘‘पावर्ड एक्सोस्केलेटन रेस’ में हिस्सा लेंगे
इस वर्ष दुनियाभर से आई 93 टीमें इस प्रतियोगिता की विभिन्न स्पर्धाओं में हिस्सा लेंगी। भारत की तरफ से दो पूर्व सैनिक इस प्रतियोगिता में देश का प्रतिनिधित्व करेंगे। वह 17 अन्य टीमों के साथ‘‘पावर्ड एक्सोस्केलेटन रेस’ में हिस्सा लेंगे।
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जॉन ने बताया कि देश की सेवा करते हुए गोली लगने के कारण दिव्यांग हुए पूर्व सेना अधिकारी अजीत कुमार शुक्ला और अरूण पाल की टीम को ज्यूरिख में होने वाली इस प्रतियोगिता में देश का मान बढ़ाने का जिम्मा सौंपा गया है। इन दोनो को इन दिनों मोहाली के पैरालिजिक रिहैबिलिटेशन सेंटर में इस रोबोटिक सपोर्ट प्रणाली के साथ प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
प्रतियोगिता में भाग लेने जा रहे पूर्व सैनिक अजीत कुमार शुक्ला का कहना है कि भारत पहली बार सायबथलोन में भाग लेने जा रहा है और इस प्रतियोगिता में देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुने जाने पर वह रोमांचित हैं। उन्हें उम्मीद है कि प्रतियोगिता में विजय हासिल करके वह विशेष रूप से सक्षम हजारों लोगों को एक बार फिर अपने पैरों पर खड़े होने का हौंसला देने में मदद करेंगे।
रोबोटिक प्रणाली के विकास में आर्थिक तंगी को एक बड़ी बाधा बताते हुए जॉन कहते हैं कि इस प्रणाली को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने के लिए वह बीकेएल अस्पताल और डा. राम मनोहर लोहिया अस्पताल के साथ बातचीत कर रहे हैं ताकि वहां आने वाले मरीजों को इस प्रणाली की जानकारी दी जा सके।