नई शिक्षा नीति पर दस बातेंः जानना है बहुत जरूरी, क्या है पीएम का लक्ष्य
नई शिक्षा नीति 21वीं सदी के भारत की बुनियाद तैयार करेगी। युवाओं को जिस तरह के एजुकेशन की जरूरत है, राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इन बातों पर विशेष फोकस है।
नई दिल्ली: नई शिक्षा नीति को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज देशभर के विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, उच्च शिक्षण संस्थानों के निदेशकों और कालेजों के प्राचार्यो को संबोधित किया। शिक्षा मंत्रालय द्वारा आयोजित किए गए कॉन्क्लेव में उच्च शिक्षा पर पीएम ने मंथन किया। इस कार्यक्रम का नाम 'कॉन्क्लेव ऑन ट्रांसफोरमेशनल रिफॉर्म्स इन हायर एजुकेशन अंडर नेशनल एजुकेशन पॉलिसी' है। कार्यक्रम में शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल भी मौजूद रहे।
आइए जानते हैं पीएम मोदी के संबोधन से जुड़ी 10 मुख्य बातें.....
>नई शिक्षा नीति नए भारत की नींव रखेगी, भेड़चाल खत्म होगी।
>बच्चों में सीखने की ललक बढ़े, इसलिए स्थानीय भाषा पर फोकस किया, पांचवीं तक अपनी भाषा में पढ़ाई करेंगे बच्चे।
>हमें विद्यार्थियों को ग्लोबल सिटीजन बनाना है, लेकिन अपनी जड़ों से भी जुड़े रहना चाहिए।
>हमारा एजुकेशन सिस्टम वर्षों से पुराने ढर्रे पर चल रहा था जिसके कारण नई सोच, नई ऊर्जा को बढ़ावा नहीं मिल सका।
>पीएम ने नई शिक्षा नीति का औचित्य बताते हुए कहा कि कभी डॉक्टर, कभी वकील, कभी इंजीनियर बनाने की होड़ लगी थी।
>दिलचस्पी, क्षमता और मांग की मैपिंग के बिना इस होड़ से छात्रों को बाहर निकालना जरूरी था।
>हर देश अपनी शिक्षा व्यवस्था को अपने देश के संस्कारों को जोड़ते हुए आगे बढ़ता है।
>नई शिक्षा नीति 21वीं सदी के भारत की बुनियाद तैयार करेगी। युवाओं को जिस तरह के एजुकेशन की जरूरत है, राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इन बातों पर विशेष फोकस है।
>हर विद्यार्थी को यह अवसर मिलना ही चाहिए कि वो अपने पैशन को फॉलो करे। वो अपनी सुविधा और जरूरत के हिसाब से किसी डिग्री या कोर्स को फॉलो कर सके और अगर उसका मन करे तो वो छोड़ भी सके।
>अभी तक जो हमारी शिक्षा व्यवस्था है, उसमें What to Think पर फोकस रहा है। जबकि इस शिक्षा नीति में How to think पर बल दिया जा रहा है।
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एजुकेशन सिस्टम में बदलाव जरूरी
नई शिक्षा नीति को बनाते समय इन सवालों पर गंभीरता से काम किया गया है। दुनिया में आज एक नई व्यवस्था खड़ी हो रही है, ऐसे में उसके हिसाब से एजुकेशन सिस्टम में बदलाव जरूरी है। अब 10+2 को भी खत्म कर दिया गया है, हमें विद्यार्थी को ग्लोबल सिटीजन बनाना है लेकिन उन्हें अपनी जड़ों से जुड़े रहने की सीख भी देनी है।