'जी-20 को नया स्वरूप देगा भारत', ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन में बोले मोदी, आतंकवाद पर कही ये बड़ी बात

Global South Summit: भारत की अगुवाई में तीसरी बार को वर्चुअल तरीके से वॉयस ऑफ आयोजित किया जा रहा है। इसमें 100 से अधिक देशों के प्रमुख भाग ले रहे हैं।

Newstrack :  Viren Singh
Update: 2024-08-17 07:38 GMT

Global South Summit: (सोशल मीडिया)  

Global South Summi:  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन भाग लिया। उद्धाटन समारोह को संबोधित करते हुए पीए मोदी ने कहा कि वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट उन लोगों की जरूरतों और आकांक्षाओं को आवाज दे रहा है, जिनकी अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई थी। भारत ने अपने अनुभव और प्रगति को साझेदार देशों के साथ साझा किया है, जिससे बुनियादी ढांचे, डिजिटल और ऊर्जा कनेक्टिविटी के क्षेत्र में उनके बीच सहयोग बढ़ा है। उन्होंने कहा कि जब भारत ने जी-20 की अध्यक्षता संभाली तो हमने संकल्प लिया था कि हम जी-20 को एक नया स्वरूप देंगे। साथ ही, इस वैश्विक मंच से प्रधानमंत्री ने आंतकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद पर चिंता प्रकट करते हुए इसे समाज के लिए गंभीर खतरा करार दिया है।

ऐसे समय मिल रहे जब...

भारत की अगुवाई में तीसरी बार को वर्चुअल तरीके से वॉयस ऑफ आयोजित किया जा रहा है। इसमें 100 से अधिक देशों के प्रमुख भाग ले रहे हैं। कार्यक्रम उद्धाटन करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि हम ऐसे समय में मिल रहे हैं, जब दुनिया अनिश्चितता में जी रही है। युद्ध जैसी स्थितियों ने हमारी विकास यात्रा में चुनौतियां बढ़ा दी है। हम पहले से ही जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। हम स्वास्थ्य, भोजन और ऊर्जा सुरक्षा के लिए भी चिंतित हैं। आतंकवाद उग्रवाद और अलगाववाद हमारे समाज के लिए गंभीर खतरा है। उन्होंने कहा कि वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट एक ऐसा मंच है, जहां हम उन लोगों की जरूरतों और आकांक्षाओं को आवाज दे रहे हैं, जिनकी अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई। मेरा मानना है कि हमारी ताकत हमारी एकता में निहित है और हम एक नई दिशा में आगे बढ़ेंगे।

सकारात्मक दृष्टिकोण से मजबूत होगी वैश्विक दक्षिण की आवाज

पीएम मोदी ने कहा कि अगले महीने संयुक्त राष्ट्र में 'भविष्य के शिखर सम्मेलन' का आयोजन करेगा। जहां पर 'भविष्य के लिए समझौते' पर विचार-विमर्श चल रहा है। क्या हम एकजुट होकर सकारात्मक दृष्टिकोण अपना सकते हैं ताकि हम इस समझौते के माध्यम से वैश्विक दक्षिण की आवाज को उठा और इसकी आवाज को सशक्त बना सके। ग्लोबल साउथ यंग डिप्लोमैट फोरम और ग्लोबल साउथ एक्सीलेंस सेंटर क्षमता निर्माण, ज्ञान साझाकरण और कौशल विकास के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मिशन लाइफ के माध्यम से हम न केवल भारत में बल्कि साझेदार देशों में भी छतों पर सौर और नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन को प्राथमिकता दे रहे हैं।

यूपीआई के समावेशी विकास पर बोले मोदी

समावेशी विकास में UPI के योगदान पर बोलते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, समावेशी विकास में डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना का योगदान किसी क्रांति से कम नहीं है। हमने ग्लोबल साउथ देशों के बीच DPI में प्रगति बढ़ाने के लिए एक सामाजिक प्रभाव कोष बनाया है। भारत इस कोष में 25 मिलियन अमरीकी डॉलर का प्रारंभिक योगदान देगा।

स्वास्थ्य सुरक्षा पर रखा भारत का विजन

मोदी ने कहा कि स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए हमारा मिशन 'एक विश्व, एक स्वास्थ्य' है और हमारा दृष्टिकोण 'आरोग्य मैत्री' है, जिसका अर्थ है 'स्वास्थ्य के लिए मित्रता'। हमने अफ्रीकी और प्रशांत देशों को अस्पतालों, डायलिसिस मशीनों, जीवन रक्षक दवाओं और जन औषधि केंद्रों के साथ समर्थन देकर इस मित्रता की सेवा की है। मानवीय संकट के दौरान भारत अपने मित्र देशों की प्रथम प्रतिक्रियादाता के रूप में मदद करता है, चाहे वह पापुआ न्यू गिनी में ज्वालामुखी विस्फोट हो या केन्या में बाढ़। हमने यूक्रेन और गाजा की संघर्ष-ग्रस्त स्थितियों में भी मानवीय सहायता प्रदान की है। बता दें कि भारत ने 12-13 जनवरी, 2023 को पहला वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट (VOGSS) और 17 नवंबर, 2023 को दूसरा वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट आयोजित किया था, दोनों ही वर्चुअल प्रारूप में आयोजित किए गए थे। शिखर सम्मेलन के पिछले दोनों संस्करणों में वैश्विक दक्षिण के 100 से अधिक देशों ने भाग लिया था।

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