Independence Day 2022: पीएम मोदी के आज के भाषण ने सेट किया 2024 लोक सभा चुनाव का एजेंडा!
Independence Day 2022: पीएम मोदी (PM Modi) के बारे में कहा जाता है कि वो 24 घंटे राजनीति करने वाले शख्स हैं। उनके हरेक एक्शन और शब्द में कोई न कोई सियासी संदेश जरूर छिपा होता है।
Independence Day 2022: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने आजादी के 75वीं वर्षगांठ (75th anniversary of independence) पर लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित सकते हुए कई अहम बातें कहीं। लगभग 83 मिनट के अपने संबोधन में उन्होंने भ्रष्टाचार, परिवारवाद, भाषा, नारी सम्मान और लोकतंत्र का जिक्र किया। 2024 के आम चुनाव में अब 17 से 18 महीने शेष रह गए हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री के भाषण के सियासी नितिहार्थ भी निकाले जा रहे हैं। क्योंकि पीएम मोदी (PM Modi) के बारे में कहा जाता है कि वो 24 घंटे राजनीति करने वाले शख्स हैं। उनके हरेक एक्शन और शब्द में कोई न कोई सियासी संदेश जरूर छिपा होता है।
सोमवार को लाल किले से भाषण के दौरान भी ऐसा ही देखा गया। भ्रष्टाचार और परिवारवाद पर उनका तीखा वार आगामी लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2022) के लिए एजेंडा सेट कर गया। दरअसल, ये दोनों ही ऐसे मुद्दे हैं, जिन पर कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी (Kashmir to Kanyakumari) तक बीजेपी (BJP) के तमाम सियासी विरोधी एक पाले में नजर आते हैं। उनकी सबसे कमजोर नस यही दो मुद्दे हैं। ऐसें में प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) ने बेहद चतुराई से आजादी के इस खास मौके पर इन दो मुद्दों का जिक्र कर जनता से सहयोग और समर्थन मांगा है।
करप्शन को क्यों बनाएंगे मुद्दा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2014 के चुनाव में 'न खाऊंगा और न खान दूंगा'का प्रसिद्ध नारा दिया था। जिसे जनता ने हाथों हाथ लिया और केंद्र में पहली बार बीजेपी अपने बलबूते सत्ता में आई। प्रधानमंत्री ने अपनी इस छवि को बनाए रखने में कोई कसर नहीं छोड़ी। यही कारण है कि साल 2019 के आम चुनाव में जब कांग्रेस पार्टी ने जोरशोर से राफेल मुद्दे को लेकर 'चौकादार चोर है' का नारा दिया था तो इसने मीडिया में तो खूब सुर्खियां बटोरीं लेकिन जनता ने इसे पूरी तरह से रिजेक्ट कर दिया। प्रधानमंत्री आज भी अपनी बेदाग छवि कायम रखने में कामयाब रहे हैं।
इसलिए वह इस मुद्दे को अगले लोकसभा चुनाव में बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहे हैं। जबकि विपक्ष के तमाम बड़े चेहरे भ्रष्टाचार के आरोप को लेकर जारी कार्रवाई से त्रस्त हैं। सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने नेशनल हेराल्ड (National Herald) मामले में घिरे हुए हैं। पीएम मोदी की सबसे कट्टर प्रतिदवंदी माने जाने वाली टीएमसी सुप्रीमो (TMC supremo) और पश्चिम बंगाल सीएम ममता बनर्जी (West Bengal CM Mamata Banerjee) शिक्षक भर्ती घोटाले (teacher recruitment scam) समेत अन्य घोटालों को लेकर बैकफुट पर है।
शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत भी पात्रा चॉल स्कैम मामले में अंदर हैं। इसके अलावा बिहार के नए उपमुख्यमंत्री बने तेजस्वी यादव पर भी सीबीआई और ईडी के कई केस हैं। वो फिलहाल अपने पिता लालू प्रसाद यादव की तरह ही जमानत पर हैं। ऐसे में आने वाले समय में केंद्रीय जांच एजेंसियों की कार्रवाई में और तेजी देखने को मिल सकती है।
परिवारवाद और भाई –भतीजावाद का मुद्दा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब आज लाल किले की प्राचीर से भ्रष्टाचार और परिवारवाद को देश के सामने दो ब़ड़ी चुनौती बताकर एक तरह से विपक्ष के खिलाफ लड़ाई का आह्वान कर दिया। भ्रष्टाचार के बाद परिवारवाद और भाई –भतीजावाद दूसरा ऐसा बड़ा मुद्दा है जो विपक्ष के खिलाफ बीजेपी का सबसे बड़ा हथियार है। बीजेपी ने इसी परिवारवाद को हथियार बनाकर कई सरकारों को जनता के बीच बदनाम या अलोकप्रिय कर दिया। याद कीजिए पीएम मोदी साल 2014 के दौरान यूपीए सरकार के लिए मां – बेटे की सरकार का लफ्ज प्रयोग करते थे।
इसी तरह यूपी और जम्मू और कश्मीर में उन्होंने बाप –बेटे की सरकार का लफ्ज प्रयोग करके तबकी सरकारों पर जोरदार हमला बोला था। आज भी चाहे केंद्र में कांग्रेस हो या राज्यों में रीजनल पार्टियां सभी परिवारवाद के चंगुल में फंसी हैं। बीजेपी के लिए परिवारवाद को मुद्दा बनान अब और आसान इसलिए हो जाएगा क्योंकि शिवसेना और अकाली दल के रूप में दो बड़ी पारिवारिक पार्टियां एनडीए से बाहर हो चुकी हैं।
दिवंगत रामविलास पासवान (Late Ram Vilas Paswan) के बेटे चिराग पासवान भी नहीं हैं। ऐसे में बीजेपी गांधी परिवार की तरह बिहार में लालू परिवार, यूपी में मुलायम परिवार, तेलंगाना में केसीआर परिवार और पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी को इस मुद्दे पर घेर सकती है।