मोदी का भ्रष्टाचार के खिलाफ ऐलान ए जंग, तो इसलिए PM ने बनाया भ्रष्टाचार को अपना एजेंडा!
Independence Day 2022: PM मोदी बोले, 'भ्रष्टाचार दीमक की तरह देश को खोखला कर रहा। हमें इससे लड़ना होगा। यह हमारा प्रयास है कि जिन्होंने देश को लूटा है, उन्हें इसे वापस करने के लिए मजबूर किया जा सके।'
PM Modi on Corruption: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ((PM Narendra Modi)) ने सोमवार को 76 वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा, कि भ्रष्टाचार के खिलाफ भारत की लड़ाई 'निर्णायक अवधि' में प्रवेश कर रही है। उन्होंने अपने भाषण में देश के सामने भ्रष्टाचार (PM Modi on Corruption) और भाई-भतीजावाद (PM Modi on Nepotism) की दो बड़ी चुनौतियों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, 'अगर हमने समय रहते इसका समाधान नहीं किया तो ये देश को दीमक की तरह खा जायेंगे।'
प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा हाल ही में छापेमारी के दौरान बरामद धन के अप्रत्यक्ष संदर्भ में, प्रधानमंत्री ने कहा, 'भारत जैसे देश में जहां लोग गरीब से जूझ रहे हैं, वहां कुछ ऐसी लोग भी हैं जिनको अपना चोरी किया हुआ माल रखने को जगह तक नहीं है।' पीएम मोदी यह एक अच्छी स्थिति नहीं है। इसलिए हमें भ्रष्टाचार के खिलाफ पूरी ताकत से लड़ना होगा।
दीमक की तरह देश को खोखला कर रहा
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, कि 'भ्रष्टाचार दीमक की तरह देश को खोखला कर रहा है और हमें इससे लड़ना होगा। उन्होंने कहा, यह हमारा प्रयास है कि जिन्होंने देश को लूटा है, उन्हें इसे वापस करने के लिए मजबूर किया जा सके। हम वह स्थिति बनाने की कोशिश कर रहे हैं।' ऐसा नहीं है की यह पहली बार मोदी ने भ्रष्टाचार का उल्लेख किया। लेकिन, आज उन्होंने इस विषय को पहली बार ऐसे मौके पर चुना जब आमतौर पर ऐसी बातों से परहेज किया जाता रहा है।
'दर्द बढ़ता गया ज्यों-ज्यों दवा की'
यह मुहावरा भारत में काली कमाई (Black Money)और करप्शन के खिलाफ कार्रवाईयों का परिणाम बता रहा है। किसी भी सरकार ने दावे चाहे जो किये हों, पर हर सरकार काले धन के खिलाफ अभियान में फिसड्डी ही साबित हुई है। वह भी तब जबकि काले धन के सवाल पर देश की कई सरकारें जा चुकी हैं। विश्वनाथ प्रताप सिंह (Vishwanath Pratap Singh) ने 1989 में 'मिस्टर क्लीन' कहे जाने वाले राजीव गांधी की सरकार (Rajiv Gandhi Government) इसी कालेधन के हथियार से ज़मींदोज़ कर दी थी। 2014 में मनमोहन सिंह की सरकार को भी अन्ना हजारे के आंदोलन व रामकृष्ण यादव यानी बाबा रामदेव के अनशन ने ऐसा हिलाया कि कांग्रेस गये दिनों की बात लगने लगी। भाजपा ने नरेंद्र मोदी को आगे कर सरकार बना ली। मोदी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ कई कड़े कदम उठाये। पर दूसरी पार्टी की राज्य सरकारों में भ्रष्टाचार रोकना तो दूर की बात है। उनकी पार्टी की सरकारें भी खुद को भ्रष्टाचार से दूर नहीं रख पायीं।
ईमानदारी बनाम बेईमानी या 'अपनों की फिक्र'
विश्वनाथ प्रताप सिंह ने बोफोर्स घोटाले के साथ ही साथ भ्रष्टाचार के जिस सवाल को लेकर जन जागरण किया, उनकी सरकार भी खुद को उससे दूर नहीं रख पाई। बाद में पता चला कि राजीव गांधी व विश्वनाथ प्रताप सिंह के बीच लड़ाई ईमानदारी बनाम बेईमानी की नहीं, बल्कि अपने अपने चहेते उद्योगपतियों को आगे करने को लेकर थी। कमोबेश यही स्थिति 2014 के आंदोलन की हुई। सीएजी रहे विनोद राय (CAG Vinod Rai) की रिपोर्ट कोर्ट में औंधे मुंह गिर पड़ी। अरविंद केजरीवाल ने 'इंडिया अगेंस्ट करप्शन' बनाया। इसी के बैनर तले अन्ना हजारे का चेहरा उतारा गया था। आज उनके ही मंत्री सत्येंद्र जैन काली कमाई व काली करतूत के चलते जेल में हैं, पर अरविंद केजरीवाल ने उन्हें बर्खास्त करने की हिम्मत नहीं दिखाई।
बेदाग कोई नहीं
ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) अपनी ईमानदारी की दुहाई देते नहीं थकती। सूती साड़ी व हवाई चप्पल पहनती हैं। पर, उनके मंत्री पार्थ चटर्जी की निकट सहयोगी अर्पिता मुखर्जी के घर से 52 करोड़ कैश व 06 किलो सोना निकलता है। हां, ममता, अरविंद केजरीवाल की तरह निर्लज्ज नहीं निकलीं। उन्होंने अपने मंत्री को बर्खास्त किया। आय से अधिक संपत्ति के मामले में अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav), मायावती (Mayawati), सुखबीर सिंह बादल (Sukhbir Singh Badal) व जयललिता (Jayalalithaa) जांच की जद में रहे। जगन रेड्डी पर एक दर्जन से अधिक काली कमाई की शिकायतें व जांचें हैं। कई मामलों में वह जमानत पर हैं। क्रिकेट घोटाला व रोशनी एक्ट के तहत महबूबा मुफ्ती व फारूक अब्दुल्ला समेत कई नेताओं की काली करतूत खुल चुकी है। माइनिंग घोटाले वाले मधु कोड़ा का नाम सबको याद है।
लालू के चारा घोटाले ने खूब सुर्खियां बटोरी
लालू यादव ने चारा घोटाले को लेकर बहुत नाम कमाया। चौटाला परिवार का तक़रीबन हर सीनियर सदस्य जेल की हवा खा आया। टीचर भर्ती घोटाले ने इस परिवार के भ्रष्टाचार की कलई खोल कर रख दी। उद्धव ठाकरे के खास, संजय राउत पात्रा चॉल स्कैम के तहत बीते रविवार को गिरफ्तार हुए हैं।
चोर-चोर मौसेरे भाई
करुणानिधि के परिजनों व शरद पवार के आर्थिक साम्राज्य का अंदाज़ा लगाना संभव नहीं है। राहुल व सोनिया भी नेशनल हेराल्ड केस में जांच की जद में हैं। चंद्रबाबू नायडू अमरावती भूमि घोटाले में फंसे हैं। जयललिता व शशिकला की चल अचल संपत्तियों का ब्योरा उनकी काली कमाई की पोल खोलने के लिए काफ़ी हैं। इस तरह देखें तो देश में जो भी क्षेत्रीय क्षत्रप हैं, केवल नवीन पटनायक को छोड़, सब के सब काली कमाई व काली करतूत में मौसेरे भाई हैं।
कालेधन की वैल्यू कई गुना बढ़ी
इनके ख़िलाफ़ जांच एजेंसियां ईडी व सीबीआई लगी हैं। तो कहा जा रहा है कि सरकार एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। सर्वोच्च न्यायालय से गुहार लगाई जा रही है कि जांच एजेंसियों का दुरुपयोग रोके, गिरफ़्तारी न हो आदि इत्यादि। पर जब जांच एजेंसियों के हाथ भूसे के मानिंद रखी पहाड़ सी करेंसी व सोना-चांदी लग रही है, फिर भी हया नहीं आती। अनगिनत इमारतों व भूखंड के काग़ज़ शर्मसार नहीं करते। जांच एजेंसियों की सक्रियता का ठीकरा भाजपा सरकार पर फोड़ने वालों को यह जानकर आश्चर्य होना चाहिए कि पिछले पांच साल में 5520 करोड़ रुपए का काला धन निकल पाया है। साल दर साल सक्रियता और छापेमारी बढ़ रही है तो नकदी, गोल्ड, संपत्तियों, जेवरात वगैरह की बरामदगी की वैल्यू भी कई कई गुना बढ़ती जा रही है।
इसके कई निष्कर्ष निकाले जा सकते हैं। आप कह सकते हैं कि अब भ्रष्टाचार पर ज्यादा सख्ती हो रही है। लेकिन यह भी कह सकते हैं कि समय के साथ साथ काली कमाई बेलगाम बढ़ रही है। तभी तो अब 100-200 करोड़ रुपये से ज्यादा की बरामदगी मामूली बात लगने लगी है।
GDP का 50% काला धन विदेशों में
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के मुताबिक भारतीयों का सकल घरेलू उत्पाद का 50 फीसदी काला धन विदेशों में है। सीबीआई के अनुसार यह 25 लाख करोड़ रुपये है। जबकि विश्व बैंक के अनुसार यह राशि सकल घरेलू उत्पाद का 20 फीसदी है।अमेरिकी थिंक टैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कि विदेशों में जमा हो रहे काले धन के मामले में भारत दुनिया में तीसरे नंबर पर है। 2012 में ही उसका करीब 94.76 बिलियन यूएस डॉलर (करीब 6 लाख करोड़ रुपए) अवैध धन विदेशों में जमा हुआ।
कालेधन का आंकड़ा बढ़ता ही गया
ग्लोबल फाइनेंशियल इंटेग्रिटी (जीएफआई) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2003 से 2012 के बीच भारत का कुल 439.59 बिलियन यूएस डॉलर यानी करीब 28 लाख करोड़ रुपये का काला धन विदेशी बैंकों में जमा हुआ। पिछले एक साल में भारतीयों द्वारा जमा धनराशि में 286 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। यह पिछले तेरह सालों में सबसे अधिक है।
लेकिन, ऐसा लगता है कि काली कमाई और भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाईयां "हाइड्रा" का सिर काटने की भांति हैं। कई सिर वाले हाइड्रा का एक सिर काटो तो तुरंत दो नए सिर उग आते हैं। नेताओं की आमदनी दो तीन सौ फ़ीसदी सालाना की दर से बढ़ रही है। जनता व नेता की आमदनी में कोई अनुपात ही नहीं है। फिर यह कहा जा रहा हो कि मोदी सरकार परेशान कर रही है, जांच एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है। तो बस यही कहा जा सकता है - "बलिहारी भाई आपकी।"