17 मार्च को बांग्लादेश जाएंगे पीएम मोदी, NRC और CAA पर लोगों की टेंशन करेंगे कम

धानमंत्री मोदी  17 मार्च को ढाका के दौरे पर जाएंगे। प्रधानमंत्री को बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना ने पड़ोसी देश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान के शताब्दी समारोह में शामिल होने का न्योता दिया है।

Update:2020-03-07 09:45 IST

नई दिल्ली प्रधानमंत्री मोदी 17 मार्च को ढाका के दौरे पर जाएंगे। प्रधानमंत्री को बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना ने पड़ोसी देश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान के शताब्दी समारोह में शामिल होने का न्योता दिया है।

खबरों के अनुसार, इस दौरे में प्रधानमंत्री सीएए और एनआरसी को लेकर बांग्लादेश की चिंताओं को दूर करेंगे। पीएम मोदी के ढाका दौरे की घोषणा उस समय हुई जब भारत-ईयू शिखर सम्मेलन के लिए ब्रसेल्स में भारतीय प्रधानमंत्री की यात्रा को कोरोना वायरस के प्रकोप को देखते हुए स्थगित कर दिया गया था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने इस बारे में कहा कि भारत और बेल्जियम के स्वास्थ्य अधिकारियों ने सुझाव दिया है कि यात्रा वर्तमान में नहीं होनी चाहिए।

 

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पिछले पांच सालों में भारतीय नागरिकता पाने वाले पड़ोसी देशों के नागरिकों में सर्वाधिक 80 प्रतिशत बांग्लादेश के हैं। गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय द्वारा बुधवार को राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में पेश आंकड़ों में यह जानकारी दी गई। सरकार द्वारा जारी बयान के अनुसार पड़ोसी देशों अफगानिस्तान, बांग्लादेश, पाकिस्तान, श्रीलंका और म्यांमा के 18999 नागरिकों को 2014 से 2019 के दौरान भारत की नागरिकता दी गई।

इनमें सर्वाधिक, बांग्लादेश के 15036 नागरिकों को भारत की नागरिकता दी गई है। इनमें पाकिस्तान के 2935, अफगानिस्तान के 914, श्रीलंका के 113 और म्यांमा का सिर्फ एक नागरिक शामिल है। इसमें स्पष्ट किया गया है कि 2015 में भारत बांग्लादेश सीमा समझौते के बाद बांग्लादेश के 14864 नागरिकों को भारत की नागरिकता दी गई. पिछले पांच सालों में पाकिस्तान के सर्वाधिक 809 आवेदकों को 2019 में भारत की नागरिकता दी गई, जबकि 2016 में यह संख्या 670 थी।

 

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मंत्रालय के अनुसार अफगानिस्तान के नागरिकों को भारत की नागरिकता देने के मामले में 2015 के बाद से लगातार गिरावट दर्ज की गई है। अफगानिस्तान के 249 आवेदकों को 2015 में भारत की नागरिकता दी गई थी, यह संख्या 2019 में घटकर 40 रह गई। मंत्रालय ने बताया कि नागरिकता के बारे में धार्मिक पहचान के आधार पर आंकड़े एकत्र नहीं किए गए।

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