बहुत ही गंदा काम: ऑनलाइन चलाया जाता था ये बड़ा सेक्स रैकेट
बिहार के पाटलिपुत्र से ऑनलाइन सेक्स रैकेट चलाने वाले गिरोह का भांडाफोड़ हुआ है। ये खुलासा पाटलिपुत्र थाने की पुलिस ने किया है।
बिहार: बिहार के पाटलिपुत्र से ऑनलाइन सेक्स रैकेट चलाने वाले गिरोह का भांडाफोड़ हुआ है। ये खुलासा पाटलिपुत्र थाने की पुलिस ने किया है। ये रैकेट नेहरुनगर के ग्रैंड अपार्टमेंट के फ्लैट नम्बर डी-8 में चलाया जा रहा था। सेक्स रैकेट को चलाने वाली संचालिका रानी थापा, उसके पति सुजीत कुमार, और ग्राहक सुनील कुमार को पुलिस ने शनिवार को गिरफ्तार कर लिया गया है। इसके साथ ही इस धंधे के लिए लायी गई एक युवती को पुलिस ने इनके चंगुल से मुक्त कराया है।
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गूगल की मदद से बुलाए जाते थे ग्राहक-
इस मामले में थानेदार कमलेश्वर प्रसाद ने बताया है कि इस बात का पता लगाया जा रहा है कि ये फ्लैट किसका है। बता दें कि गूगल की मदद से रैकेट का संचालक सुजीत कुमार यहां पर ग्राहकों को लाया करता था। उसने इंटरनेट पर एक नंबर दे रखा था जिस पर ग्राहक उसे कॉल करते थे। जब ग्राहक खाते में पैसे भेजवा देता उसके बाद उन्हें अड्डे पर बुलवाता था। इस अड्डे पर बड़े-बड़े हाई प्रोफाइल लोग भी आते थे।
रैकेट का माफिया लड़कियों के सुंदरता और कद के आधार पर ग्राहकों से रुपयों की वसूली करता था। इसमें माफिया ग्राहकों सो 5 से 20 हजार रुपये तक की वसूली करता था। जिन ग्राहकों को माफिया पहले से जानता था, उनके साथ लड़कियों को बाहर भी भेजा करता था। इसके लिए वो ज्याद पैसे चार्ज किया करता था।
नौकरी दिलाने के बहाने फंसाते थे लड़कियां-
तहकीकात में खुलासा हुआ कि माफिया की पत्नी ट्रेनों और बसों में लड़कियों को नौकरी दिलवाने के बहाने इस जिस्मफरोशी के धंधे में फंसा देती थी। मुक्त कराई गई लड़की ने खुलासा किया कि उसकी मुलाकात रानी से ट्रेन में हुई थी। वो झूठ बोलकर लड़की को यहां लाई थी।
वाट्स एप पर भेजता था तस्वीरें-
पुलिस को माफिया के मोबाइल से कई ग्राहकों और कॉल गर्ल के नंबर मिले हैं। उसमें कॉल गर्ल की तस्वीर भी मिली है। पुलिस के मुताबिक अगर माफिया के वाट्स एप पर किए गए चैट से ये साबित होता है कि वो जिस्मफरोशी का धंधा कई दिनों से चला रहा था।
रैकेट का माफिया ग्राहकों को कॉल गर्ल की तस्वीर वाट्स एप पर भेजा करता था। जिस नंबर से वो तस्वीरें भेजा करता था उसी को उसने इंटरनेट पर भी डाल रखा था। तस्वीर भेजने के बाद जब ग्राहक मंजूरी दे देता था तो उसे आगे की जानकारी भेजी जाती थी।
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