महाराष्ट्र में गवर्नर को लेकर सियासी जंग तेज, शिवसेना की मांग से बढ़ा विवाद

शिवसेना ने राज्यपाल पर भाजपा के बताए रास्ते पर चलने का आरोप लगाया है। पार्टी का कहना है कि अगर केंद्र सरकार चाहती है कि राज्य में संवैधानिक व्यवस्था बनी रहे तो उसे राज्यपाल को वापस बुला लेना चाहिए।

Update:2021-02-14 09:32 IST
महाराष्ट्र में गवर्नर को लेकर सियासी जंग तेज, शिवसेना की मांग से बढ़ा विवाद (PC: social media)

मुंबई: महाराष्ट्र में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और शिवसेना के बीच शुरू हुआ संग्राम गंभीर मोड़ पर पहुंच गया है। विमान प्रकरण के बाद दोनों की तनातनी इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि अब दोनों का साथ काम करना मुश्किल दिख रहा है।

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शिवसेना ने राज्यपाल पर भाजपा के बताए रास्ते पर चलने का आरोप लगाया है। पार्टी का कहना है कि अगर केंद्र सरकार चाहती है कि राज्य में संवैधानिक व्यवस्था बनी रहे तो उसे राज्यपाल को वापस बुला लेना चाहिए।

भाजपा के कूदने से शिवसेना ने खोला मोर्चा

हालांकि राज्यपाल की ओर से अभी तक विमान प्रकरण को लेकर कोई टिप्पणी नहीं की गई है मगर माना जा रहा है कि राज्यपाल के विमान से उतरने के बाद राजभवन भी राज्य सरकार के रवैये से काफी नाराज है।

विमान में कुछ देर बैठ कर उतरने की अप्रिय घटना के बाद राजभवन और राज्य सरकार के बीच तलवारें खिंची हुई हैं। इस संबंध में भाजपा की ओर से निशाना साधे जाने के बाद अब शिवसेना ने भी राज्यपाल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

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विमान प्रकरण से चरम पर टकराव

वैसे तो शिवसेना और राज्यपाल के बीच टकराव की स्थिति काफी दिनों से चल रही है मगर गुरुवार को हुई घटना से यह टकराव चरम पर पहुंच गया है। उस दिन राज्यपाल को मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री एकेडमी के कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए उत्तराखंड जाना था और राज्यपाल सुबह दस बजे ही राज्य सरकार के विमान में जाकर बैठ गए थे।

करीब 15 मिनट तक विमान न चलने पर जब उन्होंने पायलट से इसका कारण पूछा तो पता चला कि विमान को उड़ाने के संबंध में राज्य सरकार की मंजूरी नहीं मिली है। इसके बाद राज्यपाल विमान से उतर गए और फिर कॉमर्शियल फ्लाइट से उत्तराखंड रवाना हुए।

शुरू हुआ आरोप-प्रत्यारोप का दौर

इस घटना के बाद ही राज्य सरकार और राजभवन के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया था। राजभवन के मुताबिक इस बाबत महाराष्ट्र सरकार को 2 फरवरी को ही चिट्ठी लिखकर सरकारी विमान के इस्तेमाल की अनुमति मांगी गई थी मगर मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया।

मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से बयान जारी कर राजभवन के अधिकारियों को ही दोषी ठहराया गया है। मुख्यमंत्री कार्यालय के मुताबिक 10 फरवरी को ही राज्यपाल सचिवालय को विमान का इस्तेमाल करने की अनुमति न होने की जानकारी दे दी गई थी।

कोश्यारी पर उठाए सवाल

इस घटना को लेकर भाजपा की ओर से राज्य सरकार पर हमला किए जाने के बाद अब शिवसेना ने भी राज्यपाल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में कहा है कि भगत सिंह कोश्यारी जब से महाराष्ट्र के राज्यपाल बने हैं तब से वह लगातार खबरों में रहे या विवादों में घिरे रहे। पार्टी ने सवाल उठाया है कि सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि वह हमेशा विवादों में क्यों पड़े रहते हैं।

निजी दौरे के लिए सरकारी विमान क्यों

भाजपा की ओर से राज्यपाल के विमान प्रकरण को मुद्दा बनाए जाने का जवाब देते हुए शिवसेना ने कहा कि जब सरकार की ओर से विमान को उड़ने की मंजूरी नहीं दी गई थी तो राज्यपाल विमान में जाकर बैठे ही क्यों।

पार्टी ने साफ किया है कि यह राज्यपाल का निजी दौरा था और कानूनन राज्यपाल ही नहीं बल्कि मुख्यमंत्री भी इस तरह की यात्रा के लिए सरकारी विमान का इस्तेमाल नहीं कर सकते।

महाराष्ट्र नहीं, केंद्र सरकार अहंकारी

विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस की ओर से राज्य सरकार पर अहंकारी होने के आरोपों पर शिवसेना का कहना है कि देश जानना चाहता है कि कौन अहंकार की राजनीत कर रहा है। नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन के दौरान 200 से अधिक किसानों की मौत हो चुकी है मगर फिर भी सरकार कानून वापस लेने के लिए तैयार नहीं है।

पार्टी ने सवाल किया कि यह केंद्र सरकार का अहंकार नहीं है तो और क्या है। पार्टी ने आरोप लगाया कि राज्यपाल को केंद्र सरकार के धुन पर नाचने के लिए बाध्य किया जा रहा है। ऐसे में अगर केंद्र सरकार चाहती है कि राज्य में संविधान, कानून और नियम बरकरार रहें तो उसे राज्यपाल को वापस बुला लेना चाहिए।

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पहले भी हो चुका है और टकराव

वैसे राज्यपाल और उद्धव सरकार के बीच टकराव काफी दिनों से चल रहा है मगर अब यह चरम पर पहुंच गया है। लॉकडाउन के दौरान धार्मिक स्थलों को फिर से खोलने के मुद्दे पर भी दोनों के बीच मनमुटाव हुआ था।

राज्यपाल कोश्यारी ने धार्मिक स्थलों को न खोलने के सरकार के फैसले पर भी सवाल उठाए थे। इसके बाद मुख्यमंत्री ने जवाब देते हुए साफ कहा था कि मुझे राजभवन से किसी सर्टिफिकेट की आवश्यकता नहीं है।

इस कारण भी नाराज है शिवसेना

कोरोना महामारी के दौरान राज्यपाल ने अपने कोटे से उद्धव ठाकरे को विधानपरिषद में मनोनीत करने की मंत्रिमंडल की सिफारिश को भी नहीं माना था। इसे भी लेकर उद्धव सरकार कोश्यारी से काफी नाराज थी।

विधान परिषद में 12 सदस्यों के मनोनयन का मामला भी काफी दिनों से लटका हुआ है। सरकार की ओर से 12 नामों की सूची राजभवन को काफी पहले भेजी जा चुकी है मगर राज्यपाल की ओर से अभी तक इस सूची को मंजूरी नहीं दी गई है।

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इसे लेकर भी शिवसेना राज्यपाल कोश्यारी से काफी नाराज चल रही है और अब उसने राज्यपाल के खिलाफ पूरी तरह मोर्चा खोल दिया है। जानकारों का कहना है कि आने वाले दिनों में राज्यपाल और राज्य सरकार के बीच टकराव और बढ़ेगा। अब देखने वाली बात यह है कि केंद्र सरकार की ओर से इस मामले में दखल दिया जाता है या नहीं।

रिपोर्ट- अंशुमान तिवारी

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