Parliament Building Controversy: संसद की नई इमारत के उद्घाटन पर मचा सियासी घमासान, जानें किसने क्या कहा ?

Parliament Building Controversy: सैकड़ों करोड़ रूपये की लागत से बने इस इमारत का भूमिपूजन पीएम नरेंद्र मोदी ने ही 10 दिसंबर 2020 को किया था। लिहाजा लोकसभा स्पीकर ओम बिरला इसका उद्घाटन भी प्रधानमंत्री के द्वारा कराना चाहते हैं।

Update:2023-05-24 22:09 IST
संसद की नई इमारत: Photo- Social Media

New Delhi: मोदी सरकार और विपक्षी पार्टियों के बीच टकराव के मुद्दे कम नहीं हैं। जिसका असर लगातार संसद की कम होती कार्यवाही पर देखा जा सकता है। लेकिन सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जंग का ताजा अखाड़ा बना है संसद भवन की वो नई इमारत, जो सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का हिस्सा है। सैंकड़ों करोड़ रूपये की लागत से बने इस इमारत का भूमिपूजन पीएम नरेंद्र मोदी ने ही 10 दिसंबर 2020 को किया था। लिहाजा लोकसभा स्पीकर ओम बिरला इसका उद्घाटन भी प्रधानमंत्री के द्वारा कराना चाहते हैं।

लोकसभा स्पीकर के इस आग्रह पर पीएम मोदी ने हामी भर दी और 28 मई की तारीख इस भव्य कार्यक्रम के लिए चुनी गई। लोकसभा अध्यक्ष का यह फैसला बीजेपी विरोधी पार्टियों के गले नहीं उतर रहा है। इसके खिलाफ सबसे पहले पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मोर्चा खोला। इसके बाद तो सिलसिला शुरू हो गया। किसी को उद्घाटन की तारीख से दिक्कत है तो कोई राष्ट्रपति को न आमंत्रित किए जाने को लेकर नाराजा है। देखते ही देखते ही ये मामला इतना तूल पकड़ चुका है कि अब तक 19 छोटे-बड़े दल उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने का ऐलान कर चुके हैं।

उद्घाटन समारोह का बायकॉट करने वाली पार्टियां

बुधवार को कांग्रेस समेत 19 अन्य विपक्षी पार्टियों ने एक संयुक्त बयान जारी नई संसद भवन के उद्घाटन समारोह में शरीक न होने की जानकारी दी। इन पार्टियों में – कांग्रेस, आप, सीपीआई, सीपीएम, टीएमसी, एनसीपी, जदयू, आरजेडी, डीएमके, एआईएमआईएम, सपा, शिवसेना (उद्धव गुट), जेएमएम, आरएलडी, नेशनल कांफ्रेंस, एमडीएमके, विदुथलाई चिरूथाइगल कच्छी, केरल कांग्रेस मनी और रेवॉल्युशनरी सोशलिस्ट पार्टी शामिल हैं।

इन पार्टियों ने नहीं लिया अभी तक फैसला

विपक्षी खेमे में अभी भी कुछ महत्वपूर्ण सियासी दल हैं, जिन्होंने अभी तक संसद के उद्घाटन समारोह में शामिल होने पर अंतिम निर्णय नहीं लिया है। इनमें सबसे प्रमुख नाम है तेलंगाना सीएम केसीआर की पार्टी बीआरएस (भारतीय राष्ट्र समिति) । हाल के दिनों में केंद्र के खिलाफ सबसे अधिक आक्रमक रही बीआरएस गुरूवार तक इस मामले में महत्वपूर्ण फैसला ले सकती है। माना जा रहा है कि वो भी उद्घाटन समारोह में शामिल नहीं होगी। वहीं, अन्य विपक्षी पार्टियों में बसपा, अकाली दल और बीजेडी जैसी पार्टियां हैं, जिनके शामिल होने की प्रबल संभावना है। अकाली दल ने शामिल होने का ऐलान कर दिया है।

संसद के उद्घाटन समारोह पर नेताओं की प्रतिक्रिया

राहुल गांधी – कांग्रेस नेता राहुल गांधी उन नेताओं में हैं,जिन्होंने सबसे पहले प्रधानमंत्री मोदी द्वारा संसद के उद्घाटन किए जाने का विरोध किया था। बुधवार को एकबार फिर उन्होंने कहा कि संसद का राष्ट्रपति से उद्घाटन न करवाना और उन्हें समारोह में न बुलाना सर्वोच्च संवैधानिक पद का अपमान है।

मल्लिकार्जुन खड़गे – कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि राष्ट्रपति देश के प्रथम नागरिक होते हैं, इसलिए उद्घाटन उन्हीं के द्वारा होना चाहिए। खड़गे ने कहा कि बीजेपी-आरएसएस की सरकार में राष्ट्रपति का पद दिखावटी रह गया है।

अखिलेश यादव – सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने संसद के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करते हुए कहा कि जहां विपक्ष का मान न हो, उसके उद्घाटन में क्या जाना।

तेजस्वी यादव – बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी प्रसाद यादव ने भी राजद के उद्घाटना समारोह में न शामिल होने की बात कही।

असदुद्दीन ओवैसी – एआईएमआईएम चीफ और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इसका उद्घाटन नहीं करना चाहिए। अगर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला इसका उद्घाटन नहीं करेंगे तो हम समारोह में शामिल नहीं होंगे।

संजय सिंह – आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि संसद भवन के उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को न आमंत्रित करना उनका घोर अपमान है। यह भारत के दलित और वंचित समाज का अपमान है।

विपक्ष के बहिष्कार पर क्या बोले अमित शाह ?

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्षी दलों द्वारा उद्घाटन समारोह का बहिष्कार किए जाने पर कहा कि सब अपनी भावना के अनुसार देखेंगे। साथ ही उन्होंने विरोधियों को सलाह देते हुए कहा कि इसे राजनीति से न जोड़े। राजनीति तो चलती रहती है। हमने सबको आमंत्रित किया है, हमारी इच्छा है कि सभी इस कार्यक्रम में शामिल हों। वहीं, केंद्रीय संसदीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने 19 विपक्षी दलों के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए उनसे अपने रूख पर पुर्नविचार करने का आग्रह किया है।

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