कोल्ड स्टोरेज में आलू छोड़ने को मजबूर किसान, हमारी मानेंगे तो उगलेगा सोना

Update:2018-01-12 22:23 IST

लखनऊ : प्रदेश में आलू पैदा करने वाले किसान बेहाल हैं। किसानों के लिए सब से बड़ी परेशानी की वजह यह है कि उन्हें लागत से भी बहुत कम दाम मिल रहा है। अब परेशान हाल किसानों ने लाखों टन आलू कोल्ड स्टोरेज में छोड़ दिया है। क्योंकि उसे निकालकर मण्डी में बेचना घाटे का सौदा है। अब कोल्ड स्टोरेज मालिक नई फसल के लिए अपना कोल्ड स्टोरेज खाली करने के लिए आलू सड़कों पर फेंक रहे हैं।

पिछले साल 155 लाख टन आलू पैदा हुआ था। जिस में से 120 लाख टन आलू कोल्ड स्टोरेज में रखा गया। देश में पैदा होने वाले आलू का 40 फीसदी यूपी में पैदा होता है। सरकार ने पिछले साल 487 रुपये की दर से 10 लाख क्विंटल आलू खरीदने का लक्ष्य रखा था। लेकिन 12973 मीट्रिक टन ही आलू खरीदा जा सका। यानि लक्ष्य के मुक़ाबले सिर्फ 12 फीसदी ही खरीद हो सकी है।

यूपी में फिरोजाबाद, आगरा, अलीगढ़, इटावा, फर्रुखाबाद, कन्नौज, हाथरस, बाराबंकी, मैनपुरी में बड़े पैमाने पर आलू की खेती होती है। यहां आलू की अच्छी पैदावार के बाद किसानों ने फरवरी - मार्च में कोल्ड स्टोरेज में आलू रखा था। जिसे किसानो ने कोल्ड स्टोरेज से निकाला नहीं। अब फरवरी में आलू की नई फसल तैयार हो जाएगी। ऐसे में अपना कोल्ड स्टोरेज खाली करने के लिए कोल्ड स्टोरेज मालिक आलू फेंक रहे हैं।

दरअसल किसानों को कोल्ड स्टोरेज से आलू निकालना महंगा सौदा नजर आ रहा है। किसानों को प्रति कुंतल आलू कोल्ड स्टोरेज में रखने का किराया 250 रूपए से लेकर 275 रूपए तक चुकाना पडेगा। कोल्ड स्टोरेज तक ले जाने और फिर कोल्ड स्टोरेज से निकाल कर मण्डी तक ले जाने के लिए 90 रूपए से लेकर 110 रूपए ढुलाई का खर्चा आ रहा है। जबकि आलू की उत्पादन लागत 440 रूपए से लेकर 460 रूपए प्रति कुन्तल आई है।

यानि अगर किसान कोल्ड स्टोरेज से आलू निकाल मण्डी में ले जा कर बेचना चाहता है। तो उस की कुल लागत क़रीब 800 रुपया प्रति कुन्तल हो जाएगी। जबकि मण्डी में आलू की कीमत किसानों को महज 500 रूपए ही मिलेगी। यानि किसानो को मण्डी में ले जाकर आलू बेचने पर घाटा 300 रूपए से ज्यादा का होगा। अब इसी घाटे को कम करने के लिए किसानो ने आलू मण्डी में ले जा कर बेचने के बजाये कोल्ड स्टोरेज में ही छोड़ दिया हैं। क्योंकि इन हालात में किसानो का घाटा कम होकर 240 रुपये के आसपास रह जाएगा। यही वजह है, कि किसान आलू को कोल्ड स्टोरेज में छोड़ रहे हैं। और कोल्ड स्टोरेज मालिक आलू को सड़कों पर फ़ेंक रहे हैं, ताकि नई फसल के स्टोरेज के लिए जगह खाली हो जाए।

फरवरी में आलू की नई फसल तैयार होने को है। किसान तमाम अंदेशों को लेकर डरे हुए हैं। सलेमपुर गोसाईंगंज निवासी मुराद कहते है, कि पिछले बरस क़रीब 14 बीघा में आलू बोया था। फसल बहुत अच्छी हुई। लेकिन घाटा क़रीब डेढ़ लाख का हुआ। फसल इस बार भी अच्छी हुई है। जिस की वजह से उन्हें उम्मीद है, कि फायदा भले ना हो लेकिन घाटे की भरपाई ज़रूर हो जायेगी।

अब आलू किसानो के समर्थन में कांग्रेसियों ने राज्यपाल राम नाईक से मुलाक़ात कर आलू का मूल्य 1000 रुपया घोषित करने की मांग रखी है। कांग्रेस विधान मण्डल दल के नेता अजय कुमार लल्लू कहते हैं, कि आलू किसानों को राहत देने के लिए बिजली बिल माफ किया जाए। क्योंकि किसान कोल्ड स्टोरेज में रखा आलू भी नहीं बेच पा रहा है।

अगली स्लाइड में जानिए कैसे सरकार चाहे तो आलू भी सोना बन जाएगा

कांग्रेस ने भी राज्यपाल से मिल इतिश्री कर ली है। हो सकता है कि एक दो दिन में एक दो और दल राज्यपाल से मिल ज्ञापन थमा फोटो बनवा लें। लेकिन इस से कुछ होने वाला नहीं है। हमें जरुरत है समय के साथ बदलने की। क्योंकि किसान उस देश में भूखों मरने को मजबूर है। जहां उसे अन्नदाता कह भगवान का दर्जा दिया जाता रहा है। हमारा प्रयास ये है कि हम जो आगे कहने जा रहे हैं वो न सिर्फ योगी ध्यान से सुनें बल्कि मोदी जी भी सुन लें....

आपको याद होगा गुजरात चुनाव के दौरान खूब हल्ला मचा था कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आलू से सोना बनाने का बेतुका बयान दिया था। लेकिन आज हम आपको सच में आलू से सोना कैसे बन सकता है ये बताएंगे।

केंद्र व राज्यों की सरकार को सबसे पहले तो आलू बोर्ड का गठन करना चाहिए। जो इस बात का हिसाब रखे कि देश की कुल कृषि भूमि में से कितनी भूमि पर आलू उगाया जाता है। फसल तैयार होने के बाद कितना आलू किसान के पास होता है। कितना किसान बेच पाते हैं। कितना आलू बर्बाद होता है। इसका फायदा ये होगा कि जब हमारे बोर्ड के पास भूमि और फसल का आकड़ा होगा। तो ये हिसाब लगाने में आसानी होगी कि कितना आलू बर्बाद होता है। इस बर्बादी को कैसे रोक सकते हैं।

आपको लग रहा होगा कि हम बेतुकी बात कर रहे हैं। लेकिन ऐसा नहीं है। हमारे देश में टी बोर्ड, कॉफी बोर्ड, जूट बोर्ड पहले से ही अस्तित्व में हैं। तो आलू बोर्ड बनाने में कोई हर्ज नहीं है। क्योंकि हमने आपको जो बोर्ड गिनाए। जब वो अस्तित्व में नहीं थे तब चाय, कॉफी और जूट का भी बुरा हाल था। जिस तरह चाय, कॉफी और जूट बोर्ड काम करता है। वैसे ही ये बोर्ड भी अपना काम करेगा। उसका फायदा ये होगा कि हमारा आलू किसान चिंता मुक्त हो फसल पर ध्यान देगा।

हमारे देश में जब भी कोई पीएम या सीएम बनता है, तो वो इन्वेस्टमेंट के सपने ले देश दुनिया की सैर करता है। लेकिन होता उसके उलट। इन्वेस्टमेंट होते तो हैं। लेकिन उसे उपलब्धियों के तौर पर गिनाया नहीं जा सकता। केंद्र और राज्यों की सरकारें यदि छोटी आलू फूड प्रॉसेसिंग यूनिट को बढ़ावा दें। कारोबार करने वालों को सिंगल विंडो उपलब्ध कराएं। जहां एक या दो मीटिंग में ही उसे सभी परमिशन मिल जाएं तो आलू सड़क पर फेंकने की नौबत नहीं आएगी।

ये जो फूड प्रॉसेसिंग यूनिट हों। वहां चिप्स आलू पाउडर बनाया जाए। आज आलू पाउडर की खपत नुक्कड़ के होटल से लेकर दुनिया भर के आलीशान होटलों तक में होती है। वहीं चिप्स तो देश दुनिया साल भर खाती है। आलू पाउडर के नुडल्स का भी चलन तेजी से फ़ैल रहा है, आज चीन, जापान सहित अमेरिका और यूरोपीय देशों में इससे ही नुडल्स तैयार हो रहे हैं। तो ऐसे में फूड प्रॉसेसिंग यूनिट आलू किसान से सीधे आलू खरीद कारोबार को बड़ा और बड़ा कर सकती हैं। साथ ही इससे दोनों को फायदा है और सरकार को टैक्स तो मिलेगा ही।

ठीक इसी तरह अभी हमारा आलू सिर्फ पाकिस्तान एक्सपोर्ट होता है। जबकि दुनिया भर में कोई ऐसा देश नहीं है। जहां आलू न खाया जाता हो। तो ऐसे में सरकार को चाहिए कि अपने स्तर पर संभावना तलाश करने के लिए दुनिया भर के देशों में जाना चाहिए उसके बाद सीधे आलू किसानों से आलू, आलू पाउडर खरीद उसे विदेश भेजे।

सरकारें ये भी कर सकती हैं कि आलू से अल्कोहल बनाने का लाइसेंस देने पर लगी रोक को हटा ले। इससे फायदा ये होगा कि सेंट्स में भी आलू का अल्कोहल काम आने लगेगा। वोदका बनेगी। हां लाइसेंस देने में दिक्कत हो तो स्वयं यूनिट्स तैयार करवा वहां आलू से अल्कोहल बना उसे दुनिया के कई देशों और अपने यहां के कारोबारियों को बेचा जा सकता है।

तो आपने देखा एक आलू कैसे सोना उगल सकता है। इसके लिए किसी टाटा-बिड़ला या अंबानी से इन्वेस्टमेंट की गुहार भी नहीं लगाने जाना है। बल्कि राज्यों के छोटे कारोबारी ही इसके लिए तैयार हो जाएंगे। सब कुछ आपके पास है। लेकिन नहीं है तो करने का जज्बा।

हम सिर्फ इतना ही कहेंगे कि नोट बंदी की तरह ही दिल कड़ा कर ये उपाय भी कर के देख लीजिए। लाखों किसानों के घर में रौनक होगी और लबों पर सिर्फ आपका नाम।

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