किसान आंदोलन के बहाने दिख रहा शक्ति परीक्षण, विपक्ष को मिला मौका
सरकार की कोशिश किसी भी तरह से आंदोलन से भाजपा शासित राज्यों को अलग करने की है। मैदान में जब पंजाब के किसान अधिक संख्या में रह जाएंगे तब सरकार के लिए आंदोलन के पीछे कांग्रेस का हाथ साबित करना आसान होगा।
सुशील कुमार
मेरठ: कृषि कानूनों के खिलाफ देश में कई किसान संगठन इस वक्त आंदोलन कर रहे हैं। दिल्ली के चारों तरफ किसानों का डेरा हैं। किसानों को दूसरे संगठनों के अलावा विपक्षी दलों का भी साथ मिल रहा है। विपक्ष की कोशिश जहां किसान आंदोलन को धार देने के साथ साथ सरकार को घेरने की है वहीं इस आंदोलन की धार कुंद करने के लिए लगता सरकार ने भी कमर कस ली है। एक तरह से किसान आंदोलन सत्ता पक्ष व विपक्ष के बीच शक्ति परीक्षण का केन्द्र बना है।
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लगाया है पूरा जोर
सरकार की कोशिश किसी भी तरह से आंदोलन से भाजपा शासित राज्यों को अलग करने की है। मैदान में जब पंजाब के किसान अधिक संख्या में रह जाएंगे तब सरकार के लिए आंदोलन के पीछे कांग्रेस का हाथ साबित करना आसान होगा। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का पिछले दिनों पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ, गाजियाबाद और मेरठ का दौरा सरकार की इसी रणनीति के तहत हुआ। आंदोलन कहने को देशभर के किसानों का है, लेकिन यूपी की तरफ से फिलहाल मुख्य भूमिका में दिल्ली से सटे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान हैं।
विपक्ष को मिला मौक़ा
दरअसल, कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर किसान आंदोलन को ज्यादातर गैर भाजपा सियासी दलों का समर्थन है। उत्तर प्रदेश में भी विपक्षी दल सड़कों पर उतरकर किसानों का समर्थन कर रहे हैं। पिछले दिनों समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव किसानों के समर्थन में यात्रा निकालने जा रहे थे लेकिन उन्हें हाउस अरेस्ट कर लिया गया था। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी समाजवादी पार्टी के अलावा राष्ट्रीय लोकदल और कांग्रेस भी सरकार के खिलाफ हुंकार भर रही है। आम आदमी पार्टी भी किसानों से अपनापन दिखा रही है।
बसपा के नेता और कार्यकर्ता सिर्फ सोशल मीडिया से ही किसान आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं
वहीं मायावती की बसपा के नेता और कार्यकर्ता सिर्फ सोशल मीडिया से ही किसान आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं। सपा ने पहले जिला मुख्यालयों पर किसानों के पक्ष में धरना प्रदर्शन किया। फिर भारत बंद का भी समर्थन किया। अब गांव-गांव किसान यात्रा निकाली जा रही हैं। किसानों के घरों पर दस्तक देकर चौपाल लगा रहे हैं। इसके अलावा रिलायंस और जियो का बहिष्कार भी किया जा रहा है। सपा ने ऐलान किया है कि जब तक किसान आंदोलन जारी रहेगा उनकी किसान यात्रा सरकार की पोल खोलने के किसानों से संमर्थन में गांव-गांव ऐसे ही घूमकर साथ देगी।
किसान आंदोलन में सपा के बढ़ते दखल ने बढ़ाई प्रशासनिक सतर्कता भी बढ़ गई हैं। सपाइयों की हर गतिविधि पर सरकारी तंत्र नजर रख रहा हैं।
बसपा अभी तक शांत
किसानों के आंदोलन को लेकर बहुजन समाज पार्टी शांत है। हालांकि यह बात मानने को बसपा के स्थानीय नेता तैयार नहीं हैं। विधान परिषद में सचेतक एमएलसी अतर सिंह राव का कहना है, 'पार्टी हमेशा किसानों के साथ है। अभी भी पार्टी किसानों का समर्थन कर रही हैं। बसपा सरकार में सबसे ज्यादा काम किसानों के हित में हुए। गन्ना मूल्य बढ़ाने की इतिहास रचा। बसपा मुस्तैदी से किसान आंदोलन के हक में आवाज उठा रही है।'
सीएम योगी ने किसान आंदोलन की धार कुंद करने की कमान खुद संभाल ली है
दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किसान आंदोलन की धार कुंद करने की कमान खुद संभाल ली है। किसान आंदोलन के बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का 'राम-राम' और 'राम नाम सत्य है' का बयान खूब वायरल हो रहा है। मेरठ में कृषि विश्वविद्यालय के कार्यक्रम के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि 'पश्चिम उत्तर प्रदेश के किसानों के साथ अन्याय नहीं होगा।' हमने पुलिस को निर्देश दिया है कि हम किसान भाइयों से मिलें तो हमारा संबोधन 'राम राम' होना चाहिए और हमारी बहन-बेटियों की सुरक्षा में सेंध लगाने वाले दुराचारियों व अपराधियों की 'राम नाम सत्य है' की यात्रा निकलनी चाहिए।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ, गाजियाबाद और मेरठ के अपने दौरे के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किसानों को मुख्यतौर पर फोकस में रखा। मेरठ में मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों के परिश्रम, पुरुषार्थ से मेरठ और पश्चिमी उत्तर प्रदेश को खाद्यान्न के क्षेत्र में आत्म निर्भर बनाने का काम किया है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश किसान देश की अर्थ व्यवस्था की रीढ़ है।
भाजपा यह अच्छी तरह से जानती है
दरअसल, भाजपा यह अच्छी तरह से जानती है कि किसान आंदोलन से जिस दिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों ने दूरी बना ली उसी दिन किसान आंदोलन कमजोर पड़ जाएगा। इसी के मद्देनजर भाजपा द्वारा पश्चिमी उप्र में मुरादाबाद, दादरी और मेरठ में तीन बड़े किसान सम्मेलन आयोजित कर रही है। सम्मेलन में योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री, प्रदेश प्रभारी से लेकर केंद्रीय मंत्री तक शामिल होकर किसानों से सीधा संवाद कर रहे हैं। इन सम्मेलनों के जरिये फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य समेत सभी बिंदुओं पर किसानों के असमंजस को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है।
वे गांवों में जाएं, किसानों को समझाएं कि नए कृषि कानूनों से उनका किस तरह फायदा है
भाजपा के पश्चिमी उत्तर प्रदेश अध्यक्ष मोहित बेनीवाल के अनुसार मुख्यमंत्री के क्षेत्र के पदाधिकारियों और जन प्रतिनिधियों को साफ निर्देश हैं कि वे गांवों में जाएं, किसानों को समझाएं कि नए कृषि कानूनों से उनका किस तरह फायदा है। किसानों के भ्रम दूर करने के साथ ही उन्हें पार्टी नीतियों ,कार्यक्रमों और चार साल में हुए विकास कार्यो के बारे में भी बताया जाए।
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बहरहाल, किसान आंदोलन के ही बहाने सत्ता पक्ष और विपक्ष एक दूसरे से निपटने की तैयारी में जुटा है। सत्ता पक्ष और विपक्ष की इस लड़ाई को दोनों के बीच २०२२ के चुनाव के मद्देनजर शक्ति परीक्षण माना जा रहा है। जीतेगा कौन इसका फैसला तो समय ही करेगा।
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