अब प्रणब दा नागपुर में RSS के स्वयंसेवकों को करेंगे संबोधित!

Update: 2018-05-28 09:08 GMT

नागपुर: पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और आरएसएस। ये दो शब्द एक साथ नहीं दिखते हैं। अगर दिखते पोगल तो भी विरोध के स्वर में। प्रणब मुखर्जी को राष्ट्रपति का थिंकटैंक माना जाता रहा है। वह उसी विचारधारा के पुरोधा माने जाते हैं, पर सियासत कुछ भी करा सकती है।

कभी कांग्रेसी प्रधानमंत्री के प्रबल उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रचारकों को उनके प्रशिक्षण कार्यक्रम को पूरा करने के मौके पर संबोधित कर सकते हैं। तीन साल का यह कार्यक्रम इस साल 7 जून को पूरा हो रहा है।

क्या होगा कार्यक्रम

45 साल से कम आयु के करीब 800 स्वयंसेवक अपने तीन साल का कार्यक्रम पूरा करेंगे। यह राष्ट्रीय स्तर का कार्यक्रम, जो नागपुर के मुख्यालय पर हर साल आयोजित होता है। पहले इसे त्रिवर्षीय ऑफिसर ट्रेनिंग कोर्स के नाम से जाना जाता था, पर अब इसका नाम बदलकर 'संघ शिक्षा वर्ग कार्यक्रम' कर दिया गया है। इसे पास करने वाले स्वयंसेवक पूर्णकालिक प्रचारक के तौर पर बाकी की जिंदगी संघ के कामकाज में सक्रिय रहेंगे। इस कार्यक्रम के दौरान बहुत से विचारधारा से जुड़े बड़े वक्ता स्वयंसेवकों को संबोधित करते है। हाल ही में देश की रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण भी इन्हें संबोधित कर चुकी हैं। इस कार्यक्रम में समापन पर दीक्षांत भाषण की तरह देश की किसी मानी हुई हस्ती का संबोधन होता है।

मुखर्जी और संघ दो अलग विचारधारा

82 वर्षीय प्रणब मुखर्जी कांग्रेस के थिंकटैंक और साल 2012 तक सबसे अच्छे संकटमोचक माने जाते रहे हैं। वह सबसे पहले सल 1969 में कांग्रेस में तब शामिल हुए जब इंदिरा गांधी ने उनकी राज्यसभा पहुंचने में मदद की। तब से मुखर्जी उनके सबसे करीबी किचन कैबिनेट के सदस्य रहे। पहली बार 1982-84 बीच वह वित्त मंत्री बने। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद वह पार्टी से अलग हो गये और 1986 में उन्होंने राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस बनाई थी। साल 1989 में मुखर्जी ने अपनी पार्टी का विलय फिर से कांग्रेस में कर दिया। इसके बाद वह कांग्रेस के थिंकटैंक, संकटमोचक और संसद के सबसे बेहतरीन फ्लोर मैनेजर के तौर पर कांग्रेसी विचार धारा के चेहरे तक बन गये थे। साल 2009 में उन्हें प्रधानमंत्री बनाने की आवाजें भी उठीं पर 2012 से 2017 तक वह देश के 13 वें राष्ट्रपति के पद पर रहे।

‘सही समय’ पर होगी घोषणा

आरएसएस से जुड़े सूत्रों की मानें तो उन्हें आमंत्रण भेज दिया गया है। उनका 7 जून को आना करीब-करीब तय है। पर इस बारे में आधिकारिक घोषणा सही समय पर की जाएगी। माना जा रहा कि सियासत में समय का बहुत महत्व होता है और प्रणब दा का स्वयंसेवकों को संबोधित करना सियासत की करवट बदलने का संकेत हो सकता है।

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