Women Reservation Bill: नारी शक्ति वंदन अधिनियम को राष्ट्रपति ने दी मंजूरी, 33% महिला आरक्षण अब बना कानून
Women Reservation Bill: राष्ट्रपति मुर्मू ने महिला आरक्षण बिल को मंजूरी दे दी। यह बिल संसद के दोनों सदनों से पास हो चुका है।
Women Reservation Bill: महिला आरक्षण बिल या 'नारी शक्ति वंदन अधिनियम' को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) ने मंजूरी दे दी है। यह विधेयक 20 सितंबर, 2023 को लोकसभा और 21 सितंबर को राज्यसभा से पारित हुआ था। आपको बता दें, किसी भी विधेयक के संसद के दोनों सदनों से पारित होने के बाद उसे राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाता है। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद वो कानून बन जाता है।
गौरतलब है, इस कानून के लागू होने पर लोकसभा (Lok Sabha) और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा। बिल के संसद से पास होने पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा था कि, यह लैंगिक न्याय के लिए हमारे समय की सबसे परिवर्तनकारी क्रांति होगी।
गजट अधिसूचना जारी, PM मोदी का वादा पूरा
उल्लेखनीय है कि, हाल ही में संसद के विशेष सत्र (Special Session of Parliament) के दौरान पास हुए महिला आरक्षण बिल को शुक्रवार (29 सितंबर) को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंजूरी दे दी। राष्ट्रपति मुर्मू ने इस बिल पर अपने दस्तखत कर दिये हैं, जिसके बाद इसने कानून का रूप ले लिया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की सहमति मिलते ही भारत सरकार ने महिला आरक्षण विधेयक के लिए एक गजट अधिसूचना (Gazette Notification on Women Reservation Bill) जारी कर दी है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने देश की आधी आबादी से किए अपने वादे को पूरा कर दिया।
महिलाओं के लिए 33% सीटें रिजर्व
महिला आरक्षण कानून (Women's Reservation Act) बनने के बाद अब लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी सीटें रिजर्व हो गई हैं। ये देश की आधी आबादी के हक़ में लिया गया अभूतपूर्व फैसला माना जा रहा है।
लोकसभा में बिल के पक्ष में पड़े 454 वोट
मोदी सरकार ने संसद के विशेष सत्र में 'नारी शक्ति वंदन अधिनियम' विधेयक (Nari Shakti Vandan Adhiniyam) के नाम से महिला आरक्षण बिल को पेश किया था। बिल को 19 सितंबर को लोकसभा में पेश किया गया था। सदन में दो दिन चली चर्चा के बाद इस बिल को अधिकतर राजनीतिक दलों का समर्थन मिला। 20 सितंबर को लोकसभा में इस बिल के पक्ष में 454 मत पड़े, जबकि विरोध में महज दो वोट पड़े। विरोध में AIMIM चीफ प्रमुख और सांसद असदुद्दीन ओवैसी तथा उनकी ही पार्टी के एक अन्य सांसद ने वोट दिया। लोकसभा में ये बिल दो तिहाई बहुमत से पारित हुआ।
राज्य सभा में पक्ष में 214 वोट, विरोध में शून्य
इसके अगले ही दिन यानी 21 सितंबर को राज्यसभा में महिला आरक्षण बिल पेश किया गया। जहां इसके पक्ष में 214 वोट डाले गए और विरोध में एक भी मत नहीं पड़ा। कई विपक्षी दलों ने बिल का समर्थन तो किया है मगर, इसे लागू करने के लिए निर्धारित किए गए प्रावधानों को लेकर केंद्र की मोदी सरकार की आलोचना की।