पारसियों के नए साल नवरोज पर प्रेसिडेंट और पीएम ने भी दी बधाई

Update:2016-08-17 13:44 IST
president pranab mukherjee pm modi wishes to navroj

नई दिल्ली: देश की प्रगति और तरक्की में अहम भूमिका अदा करने वाले पारसी समुदाय के नए साल पर बुधवार को प्रेसिडेंट प्रणब मुखर्जी और पीएम नरेंद्र मोदी ने बधाई दी है। देवता के रूप में आग की पूजा करने वाले पारसी भारत में काफी कम बचे हैं। देश में इनकी संख्या एक लाख से भी कम हैं। ये मुम्बई, गुजरात और झारखंड के जमशेदपुर में ही रहते हैं। देश के अन्य शहरों में इनकी संख्या न के बराबर है।

 

व्यापारी के जबाब से खुश हुए बादशाह

भारत में मुगलों के शासनकाल में ये फारस की खाड़ी से आए थे। इसलिए इन्हें पारसी कहा गया। इनके भारत आने का किस्सा भी बड़ा दिलचस्प है। एक मुगल बादशाह के दरबार में एक पारसी व्यापारी आया और उसने देश में रहने की इजाजत मांगी। बदशाह ने कहा कि अब तो देश में ऐसी कोई जगह नहीं बची जहां तुम रह सको। इसके जवाब में उस व्यापारी ने दूध से भरा हुआ ग्लास मंगाया और उसमें कुछ चीनी डाल दी। चीनी दूध में घुल गई। व्यापारी ने कहा कि हम मिठास की तरह हैं जहां रहते हैं वहां घुलमिल जाते हैं। कहा जाता है इस जवाब से बादशाह खुश हो गया और पारसियों को देश में रहने की जगह मिल गई।

पारसियों की देशभक्ति का मिसाल है होटल ताज

पारसियों की देशभक्ति की मिसाल मुम्बई में गेट वे आफ इंडिया के सामने बना होटल ताज है। गेट वे आफ इंडिया का निर्माण जार्ज पंचम के सम्मान में किया गया था। समुद्र के रास्ते उनके जहाज को वहीं रूकना था। जमशेद जी टाटा ने गेट वे के ठीक सामने होटल ताज का निर्माण कराया ताकि जार्ज पंचम जब भारत आए तो सबसे पहले अपना विरोध देखें। पुराने बने होटल ताज की खासियत थी कि उसमें किसी अंग्रेज का जाना मना था। ये सिलसिला आजादी के बाद तक चला। विदेशी मेहमानों के लिए टाटा ने उसके बगल में ही एक और होटल ताज का निर्माण कराया। बाद में पुराने बने होटल ताज से अंग्रेजों के प्रवेश का प्रतिबंध हटा लिया गया ।

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