Presidential Election 2022: अपना घर भी नहीं संभाल पाए यशवंत सिन्हा, झारखंड में लगा सबसे बड़ा झटका

Presidential Election 2022: झारखंड विधानसभा के 81 सदस्यों में से 80 ने मतदान में हिस्सा लिया और इनमें से करीब 60 वोट मुर्मू के पक्ष में पड़ने का दावा किया जा रहा है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update:2022-07-19 08:48 IST

राष्ट्रपति प्रत्याशी यशवंत सिन्हा (Social media)

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Presidential Election 2022: देश के 15वें राष्ट्रपति के चुनाव के लिए सोमवार को हुए मतदान एनडीए के उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) की जीत पूरी तरह तय मानी जा रही है। विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) को देश के कई राज्यों में क्रॉस वोटिंग से भी बड़ा झटका लगा है। इसके साथ ही वे अपने गृह राज्य झारखंड (Jharkhand) में भी द्रौपदी मुर्मू से काफी पिछड़ गए। झारखंड में 75 फ़ीसदी से अधिक विधायकों के मत द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में पड़ने का दावा किया गया है।

एनडीए के अलावा झारखंड मुक्ति मोर्चा, एनसीपी और निर्दलीय विधायकों का समर्थन मिलने के कारण एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने झारखंड (Jharkhand) में यशवंत सिन्हा को सबसे बड़ा झटका दिया। झारखंड विधानसभा के 81 सदस्यों में से 80 ने मतदान में हिस्सा लिया और इनमें से करीब 60 वोट मुर्मू के पक्ष में पड़ने का दावा किया जा रहा है।

75 फ़ीसदी वोट मुर्मू को मिलने का दावा

झामुमो के द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में मतदान के ऐलान के बाद ही झारखंड में यशवंत सिन्हा की स्थिति काफी कमजोर मानी जा रही थी। राज्य में कांग्रेस और राजद के साथ मिलकर सरकार चलाने के बावजूद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आदिवासी उम्मीदवार के नाम पर मुर्मू के समर्थन का ऐलान किया था। सोमवार को हुए मतदान में इसी कारण यशवंत सिन्हा राज्य में काफी पिछड़े हुए दिखे।

राज्य में भाजपा के मुख्य सचेतक बिरंची नारायण ने दावा किया कि झारखंड में 75 फ़ीसदी वोट मुर्मू के समर्थन में ही पड़े हैं। उन्होंने राज्य के 81 में से 60 विधायकों के मुर्मू को वोट देने का दावा किया। भाजपा के एक विधायक इंद्रजीत महतो ने बीमार होने के कारण मतदान में हिस्सा नहीं लिया। सुबह दस बजे शुरू हुआ मतदान अपराहन करीब चार बजे तक चला और निर्दलीय विधायक सरयू राय ने आखिरी वोट डाला।

कुछ विधायकों ने सुनी अंतरात्मा की आवाज

एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू की मजबूती स्थिति को देखते हुए एनडीए के खेमे में उत्साह का माहौल दिखा। भाजपा और आजसू के विधायकों ने एकजुट होकर मुर्मू के समर्थन में मतदान किया। कई विधायकों ने अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनते हुए मुर्मू के पक्ष में मतदान करने की बात कही। एनसीपी विधायक कमलेश सिंह का कहना था कि उन्होंने अंतरात्मा की आवाज पर आदिवासी उम्मीदवार मुर्मू को समर्थन देने का फैसला किया। निर्दलीय विधायक सरयू राय और अमित यादव ने भी इसी तरह का बयान दिया।

झामुमो ने फैसले को उचित बताया

झामुमो के विधायकों ने मुर्मू को समर्थन देने के फैसले को उचित बताया। उन्होंने कहा कि पार्टी ने पहली बार किसी आदिवासी महिला उम्मीदवार के राष्ट्रपति बनने में मदद की है। राज्य विधानसभा में झामुमो की बड़ी ताकत है और पार्टी के 30 विधायकों के समर्थन से मुर्मू की स्थिति काफी मजबूत नजर आई।

दूसरी ओर विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा कांग्रेस के अलावा राजद और भाकपा माले के विधायक का समर्थन पाने में कामयाब रहे। वैसे कुछ कांग्रेसी विधायकों के मतों को लेकर भी विधानसभा परिसर में तरह-तरह की चर्चाएं होती रहीं। हालांकि किसी विधायक के क्रॉस वोटिंग करने की अभी तक पुष्टि नहीं हो सकी है।

सत्तारूढ़ खेमे में खींचतान बढ़ने की आशंका

राष्ट्रपति चुनाव के बाद राज्य के सत्तारूढ़ गठबंधन में खींचतान बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कांग्रेस की यशवंत सिन्हा को समर्थन देने की अपील को ठुकराते हुए मुर्मू के समर्थन का फैसला किया था। इसके पहले राज्यसभा चुनाव में भी हेमंत सोरेन झामुमो के प्रत्याशी की एकतरफा घोषणा करके कांग्रेस को झटका दे चुके हैं।

कांग्रेस के नेता मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के इस रवैए से काफी नाराज बताए जा रहे हैं। सियासी जानकारों का कहना है कि अब यह मामला हाईकमान तक पहुंचने की उम्मीद है। पार्टी के राज्यस्तरीय नेताओं की बैठक में पहले ही इस मुद्दे पर विचार हो चुका है। अब यह देखने वाली बात होगी कि हाईकमान झारखंड में झामुमो से दोस्ती को लेकर क्या रणनीति अपनाता है।

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