Presidential Election 2022: 70 साल बाद जागा प्रशासन, द्रौपदी मुर्मू के गांव में बिजली पहुंचाने में जुटा

Presidential Election 2022: एनडीए की राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के गांव तक अभी तक बिजली नहीं पहुंच पाई है। आजादी के 70 साल बीत जाने के बाद भी ग्रामीण केरोसीन के तेल पर निर्भर हैं।

Written By :  Krishna Chaudhary
Update:2022-06-27 21:29 IST

द्रौपदी मुर्मू। (Social Media) 

Presidential Election 2022: देश में राष्ट्रपति चुनाव (Presidential Election 2022) को लेकर सियासी सरगर्मी बढ़ी हुई है। किसी एक उम्मीदवार पर आमराय न बन पाने के बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ने अपने कैंडिडेट उतारे हैं। सत्तारूढ़ एनडीए की तरफ से आदिवासी नेत्री द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) को मैदान में उतार गया है। मुर्मू इसके बाद से सुर्खियों में बनी हुई हैं। उनके राष्ट्रपति उम्मीदवार बन जाने के बाद से उनके गांव का भी कल्याण होता नजर आ रहा है। आजादी के 70 साल तक जिस गांव में बिजली नहीं पहुंच पाई, वहां प्रशासन बिजली पहुंचाने के लिए इन दिनों जी-जान से जुटा हुआ है।

जी हां, आपने बिल्कुल सही सुना देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद के लिए चुनाव लड़ रही महिला के गांव तक अभी तक बिजली नहीं पहुंच पाई है। एनडीए की राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू (NDA candidate Draupadi Murmu) के पैतृक गांव मयूरभंज जिले के डूंगुरशाही में बिजली पहुंचाने की तैयारियां जोरों से चल रही हैं। इस गांव में करीब 20 परिवार रहते हैं। यह गांव रायरंगपुर से 20 किलोमीटर दूर कुसुमी ब्लॉक के उपरबेड़ा गांव में आता है।

रात में रोशनी के लिए केरोसिन पर निर्भर लोग

गांव में बिजली न होने के कारण लोग रात में रोशनी के लिए केरोसिन पर निर्भर रहते हैं। यदि किसी को रात में जरूरी काम के लिए बाहर जाना पड़े, तो मोबाइल की टॉर्च का इस्तेमाल करते हैं। लोगों को अपना मोबाइल चार्ज करने के लिए दूसरे कस्बों में जाना पड़ता है।

कौन हैं द्रौपदी मुर्मू

द्रौपदी मुर्मू ओडिसा बीजेपी के कद्दावर आदिवासी नेताओं में गिनी जाती हैं। झारखंड की राज्यपाल रह चुकी मुर्मू ओडिसा में दो बार विधायक रह चुकी हैं। वह बीजेडी – बीजेपी गठबंधन सरकार में मंत्री भी रह चुकी हैं। इसके अलावा बीजेडी संगठन में भी वो कई अहम पदों पर काम कर चुकी हैं। मुर्मू बीते 24 जून को राष्ट्रपति पद के लिए नामांकन दाखिल कर चुकी हैं। यदि वह यह चुनाव जीत जाती हैं तो वह देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति होंगी। मौजूदा सियासी समीकरण बतातें हैं कि वह इतिहास रचने से महज चंद कदम ही दूर हैं।

द्रौपद्री मुर्मू बनाम यशवंत सिन्हा

सत्ता पक्ष की तरफ से जहां आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मू मैदान में हैं, वहीं विपक्ष ने पूर्व भाजपाई यशवंत सिन्हा पर दांव खेला है। सिन्हा ने आज अपना नामांकन भी दाखिल किया। उन्हें 17 विपक्षी दलों का समर्थन प्राप्त है। राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव 18 जुलाई को होगा, जबकि 21 जुलाई को काउंटिंग होगी।

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