Presidents Bodyguard: सेना की यह बेहद खास टुकड़ी करेगी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की दिन-रात सुरक्षा
President Bodyguard: भारत का राष्ट्रपति देश का प्रथम नागरिक होता है। भारत का राष्ट्रपति तीनों सेनाओं के कमांडर इन चीफ भी होता है। इसलिए भी राष्ट्रपति की सुरक्षा बेहद अहम होती है।
President's Bodyguard: भारत का राष्ट्रपति देश का प्रथम नागरिक होता है। भारत का राष्ट्रपति तीनों सेनाओं के कमांडर इन चीफ भी होता है। इसलिए भी राष्ट्रपति की सुरक्षा बेहद अहम होती है। राष्ट्रपति की सुरक्षा में सेना की एक खास टुकड़ी लगी होती है। एक विशिष्ट टुकड़ी द्वारा सुरक्षा का सिलसिला आज़ादी से बहुत पहले से चला आ रहा है।
प्रेसिडेंट्स बॉडीगार्ड
राष्ट्रपति की सुरक्षा करने वाले जवानों की यूनिट को प्रेसिडेंट्स बॉडीगार्ड यानी पीबीजी कहा जाता है। ये भारतीय सेना की सर्वोच्च घुड़सवार रेजिमेंट है। वर्तमान में राष्ट्रपति की सुरक्षा करने वाले जवानों की संख्या 176 है, जिसमें 4 ऑफिसर्स, 11 जूनियर कमीशंड ऑफिसर्स और 161 जवान शामिल हैं। परंपरागत रूप से, इस रेजिमेंट का कमांडिंग ऑफिसर हमेशा ब्रिगेडियर या कर्नल रैंक का रहा है। उनको मेजर, कैप्टन, रिसालदार और दफादारों द्वारा सहायता प्रदान की जाती है। सैनिक "सवार" या "नायक" के पद पर होते हैं।
एक ही उद्देश्य
राष्ट्रपति के अंगरक्षक की प्राथमिक भूमिका भारत के राष्ट्रपति की रक्षा करना है, यही कारण है कि ये रेजिमेंट राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली में स्थित है। यह रेजिमेंट एक घुड़सवार इकाई के रूप में सुसज्जित है, राष्ट्रपति के महल में समारोहों के लिए घोड़ों और युद्ध में उपयोग के लिए बीटीआर -80 वाहनों के साथ। रेजिमेंट के कर्मियों को पैराट्रूपर्स के रूप में भी प्रशिक्षित किया जाता है। यह रेजिमेंट ब्रिटिश राज के गवर्नर जनरल के अंगरक्षक की उत्तराधिकारी है।
क्षेत्रीय प्राथमिकता
राष्ट्रपति की सुरक्षा करने वाले जवान खासतौर पर हरियाणा, पंजाब और राजस्थान के होते हैं। यही नहीं, खासतौर पर जाट, सिख और राजपूत को ही प्राथमिकता दी जाती है। राष्ट्रपति की सुरक्षा में लगे जवानों की लम्बाई 6 फिट होना जरूरी होता है। इससे एक सेंटीमीटर कम वालों का चयन नहीं किया जाता है। इन जवानों का चयन 2 साल की कठिन ट्रेनिंग के बाद किया जाता है। पीबीजी में शामिल होने से पहले जवान को अपनी तलवार अपने कमांडेंट के सामने पेश करनी होती है।जिसको छूकर कमांडेंट जवान को यूनिट में शामिल करते हैं।
युद्ध भी लड़े है
प्रेसिडेंट बॉडीगार्ड रेजिमेंट ने स्वतंत्र भारत के सभी प्रमुख युद्धों में हिस्सा लिया है। 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान 14,000 फीट से अधिक ऊंचाई पर चुशुल की रक्षा में इसके सैनिक तैनात किए गए। इसने 1965 के भारत-पाक युद्ध में ऑपरेशन अबलेज में भाग लिया। ये रेजिमेंट सियाचिन ग्लेशियर में आज तक सेवा कर रही है। रेजिमेंट की एक टुकड़ी 1988-89 के दौरान श्रीलंका में भारतीय शांति रक्षा बल का एक हिस्सा थी। सोमालिया, अंगोला और सिएरा लियोन में संयुक्त राष्ट्र शांति सेना के भारतीय दल में भी इस यूनिट के जवान शामिल थे।
पहली बॉडीगार्ड यूनिट
भारत के राष्ट्राध्यक्ष की सुरक्षा में लगे जवानों की यूनिट का गठन 252 वर्ष पहले हुआ था। इसका गठन 1773 में तत्कालीन गवर्नर जनरल वॉरेन हेस्टिंग्स ने किया था। हेस्टिंग्स ने "मुगल हॉर्स" यूनिट से 50 सैनिकों को चुना था। ये यूनिट 1760 में स्थानीय सरदारों द्वारा स्थापित की गई थी। यूनिट के पहले कमांडर कैप्टन स्वीनी टून थे, जो ईस्ट इंडिया कंपनी के एक अधिकारी थे, जिनके अधीनस्थ के रूप में लेफ्टिनेंट सैमुअल ब्लैक थे। उस समय इस यूनिट में सिर्फ 50 जवानों को शामिल किया गया था। इसके बाद इस यूनिट में बनारस के राजा चैत सिंह ने इसमें 50 और सैनिकों को जगह दी थी जिसके बाद इनकी संख्या 100 हो गई। देश की आजादी के पहले यह यूनिट वायसराय की सुरक्षा करती थी और अब राष्ट्रपति की सुरक्षा करती है।