पंजाब नेशनल बैंक घोटाला : बहुत गहरे समाई हैं घोटाले की जड़ें

Update:2018-02-17 12:16 IST

नयी दिल्ली। पंजाब नेशनल बैंकों का 12 हजार करोड़ का घोटाला तो सिर्फ बानगी भर है। इस घोटाले की परतें अभी पूरी तरह खुलना बाकी हैं। अभी तो सिर्फ इतना पता चला है कि इसके तार तो कई और बैंकों से जुड़े हुए हैं। एक और चौंकाने वाली बाते ये है कि पीएनबी में पिछले पांच साल में ८६७० लोन फ्रॉड हुए हैं जिनकी कुल वैल्यू ६१२.६ अरब रुपए थी। रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार यह बैंक विभिन्न लोगों को दिए कर्ज की रकम जब वसूल नहीं पाया तो आपसी समझौते से बतौर कर्ज 28,409 करोड़ रुपये डूबत खाते (राइट ऑफ ) में डाल दिया। एक आरटीआई जवाब में आरबीआई ने स्वीकार किया है कि वित्तीय वर्ष 2012-13 से लेकर सितंबर 2017 की अवधि में पंजाब नेशनल बैंक की आपसी समझौते के तहत 28,409 करोड़ की राशि राइट ऑफ की गई है। आरबीआई ने इसे आपसी समझौते के आधार पर राइट ऑफ किया जाना माना है।

बैंकवालों ने ही लुटवाया खजाना

पंजाब नेशनल बैंक से शुरू हुए इस घोटाले की जड़ें देश के कई नामचीन बैंकों तक पहुंच रही हैं जिन्हें कई हजार करोड़ की चपत लगी है। वैसे इस पूरे मामले में पीएनबी के अधिकारी बराबर के गुनाहगार हैं। सच्चाई तो यह है कि इस घोटाले में जितना नीरव मोदी व मेहुल चौकसी दोषी हैं उससे बड़े घोटालेबाज बैंक के अधिकारी हैं। जिन अधिकारियों का काम घोटाला या फ्रॉड न होने देना था, जनता के पैसे की सुरक्षा करना था और ऑडिट करना था वो सब बैंक की लूट में बराबर के हिस्सेदार बने हुए थे।

वैसे तो नीरव मोदी ने बैंकों से लिए लोन को चुकाने की बात कहते हुए लेटर लिखा कि वह 5 हजार करोड़ का लोन चुकाने को तैयार हैं। लेकिन पंजाब नेशनल बैंक के एमडी सुनील मेहता ने इस प्रस्ताव को बकवास बताते हुए ठुकरा दिया है। समझा जाता है कि नीरव मोदी स्विटजरलैंड में है। नीरव मोदी ने मामले का खुलासा होने की सुगबुगाहट होते ही एक जनवरी के आसपास देश भी छोड़ दिया। उसकी अमेरिकी नागरिक पत्नी ने 6 जनवरी को देश छोड़ा और नीरव के मामा मेहुल चौकसी ने 4 जनवरी को देश छोड़ दिया था। नीरव मोदी के भाई निशाल मोदी ने 1 जनवरी को भारत छोड़ा। निशाल के पास बेल्जियम की नागरिकता है। कांग्रेस ने इस मामले में सरकार को घेरा है जिस पर सत्ता पक्ष ने विपक्ष पर पलटवार करते हुए कहा है कि कांग्रेस ने 2011 से लेकर 2014 तक इस मामले में कुछ नहीं किया।

सीबीआई ने की कार्रवाई

सीबीआई ने मुंबई के वर्ली स्थित नीरव मोदी के आलीशान घर को सील कर दिया है। ईडी के अफसरों की टीम नीरव मोदी के मुंबई में कमला मिल स्थित हेड ऑफिस व अन्य ठिकानों, जिसमें घर और शोरूम भी शामिल हैं, पर छापेमारी कर पांच हजार करोड़ से अधिक की संपत्ति जब्त कर ली है। इसमें तीन हजार करोड़ से अधिक के जवाहरात भी शामिल हैं। नीरव मोदी ने पीएनबी की मुंबई शाखा से गारंटी पत्र (एलओयू) हासिल कर यह पूरा घोटाला किया और कर्ज देने वाले अन्य भारतीय बैंकों से विदेशी कर्ज हासिल किया। पीएनबी ने इस मामले में दस अधिकारियों को निलंबित कर दिया है।

आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू

इस घपले को लेकर सियासी ब्लेमगेम भी शुरू हो गया है। बीजेपी ने जहां कांग्रेस पर आरोप लगाया है तो वहीं कांग्रेस ने कहा है कि बीजेपी को सच का सामना करना चाहिए और ठोस कार्रवाई करनी चाहिए। कांग्रेस ने प्रधानमंत्री मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली की चुप्पी पर भी निशाना साधा है। घोटाले को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पीएम मोदी को कटघरे में खड़ा किया है। उन्होंने तंज कसते हुए ट्वीट किया है। कांग्रेस का आरोप है कि 26 जुलाई 2016 को ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को नीरव मोदी और उसके रिश्तेदारों के बारे में सारे दस्तावेज सौंप दिए गए थे। पार्टी ने यह भी कहा था कि शिकायत में 42 एफआईआर हैं। कांग्रेस का आरोप है कि पीएमओ ने शिकायत को स्वीकार किया। उन्होंने कुछ कार्रवाई करने के लिए कंपनियों के रजिस्ट्रार भी भेजे, लेकिन अंत में सरकार कुछ नहीं कर सकी। पार्टी के रणदीप सुरजेवाला कहना है कि नीरव मोदी और मेहुल मोदी सरकार की नाक के नीचे जाली पत्रों के माध्यम से पूरी बैंकिंग प्रणाली को कैसे धोखा दे सकते हैं? इस बैंक लूट घोटाले का कौन जिम्मेदार है? सुरजेवाला ने सवाल किया कि क्या नीरव मोदी को सरकार के किसी सूत्र से विजय माल्या और ललित मोदी की तरह जानकारी मिली और वो देश से भाग गया। नीरव मोदी को लेकर सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने भी केन्द्र सरकार पर हमला बोला है।क्या है गारंटी पत्र?

एलओयू वह पत्र है जिसके आधार पर एक बैंक की ओर से अन्य बैंकों को एक तरह से गारंटी पत्र दिया जाता है जिसके आधार पर विदेशी ब्रांच कर्ज की पेशकश करती हैं। विदेशी बैंक की ब्रांच भी जांच के घेरे में है। इस घोटाले में कई बड़ी ज्वैलरी कंपनियां मसलन गीतांजलि, गिन्नी और नक्षत्र भी जांच के दायरे में आ गई हैं।

बड़ा धनकुबेर है नीरव मोदी

48 वर्षीय नीरव मोदी मशहूर डायमंड ब्रोकर है। अमेरिका के मशहूर व्हार्टन स्कूल के ड्रॉप आउट मोदी के नाम से उनका ज्वेलरी ब्रांड इतना मशहूर है कि उसके दम पर वे फोब्र्स के भारतीय धनकुबेरों की 2017 की लिस्ट में 84वें नंबर पर पहुंच गए थे। वे 1.73 अरब डॉलर यानी लगभग 110 अरब रुपए के मालिक हैं और उनकी कंपनी का राजस्व 2.3 अरब डॉलर यानी लगभग 149 अरब रुपए है।बैंकिंग सिस्टम पर सवाल

सेबी के पूर्व ईडी जेएन गुप्ता का कहना है कि इस मामले में पीएनबी के एक-दो मैनेजर नहीं बल्कि दूसरे बैंकों के अधिकारी भी शामिल हो सकते हैं। आईकैन इन्वेस्टमेंट के अनिल सिंघवी ने पीएनबी मामले में बैंक के सिस्टम और सरकार के रवैये पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि बैंक ने नीरव के मामले को अनदेखा किया। नीरव मोदी के कार्यक्रम में बैंक वाले जाते थे। इस मामले में पीएनबी का रवैया गैरजिम्मेदाराना रहा है। ऐसे बैंकों को रिकैपिटलाइजेशन का पैसा नहीं देना चाहिए। बैंकों को दिया गया पैसा करदाताओं का है, सरकार का नहीं।

यूपीए सरकार से चला आ रहा घोटाला

इलाहाबाद बैंक के पूर्व निदेशक दिनेश दुबे ने एक नया खुलासा किया है कि साल 2013 में यूपीए सरकार अगर चेत जाती तो नीरव मोदी से जुड़ा ये पीएनबी घोटाला नहीं हुआ होता। उनका कहना है कि पीएनबी घोटाले की शुरुआत 2013 में इलाहाबाद बैंक की निदेशक मंडल की बैठक में ही हो गई थी। उस बैठक में गीतांजलि ज्वेलर्स के मालिक मेहुल चौकसी को 550 करोड़ रुपये देने की मंजूरी दी गई थी। इस बैठक में दिनेश दुबे भी भारत सरकार की ओर से नियुक्त निदेशक की हैसियत से शामिल हुए थे और उन्होंने लोन देने का विरोध किया था। इस बैठक की जानकारी दुबे ने भारतीय रिजर्व बैंक के तत्कालीन डिप्टी गवर्नर केसी चक्रवर्ती और तत्कालीन वित्त सचिव राजीव टकरू को दी लेकिन इसके बावजूद मेहुल चौकसी को बैंक की हांगकांग शाखा से भुगतान कर दिया गया। दिनेश दुबे के मुताबिक उनपर दवाब बनाने से लेकर उन्हें धमकाने की भी कोशिश की गयी थी।

असली घोटालेबाज तो पीएनबी के अफसर

सीबीआई के पास पीएनबी की ओर से जो एफआईआर दर्ज कराई गई है उसमें बैंक के अफसर गोकुलनाथ शेट्टी और मनोज खेरात का नाम घोटालेबाजों के मददगारों के रूप में दिया गया है। शेट्टी २०१७ में पीएनबी से रिटायर हुआ है। वह डिप्टी मैनेजर था जो स्केल-१ की पोस्ट है। शेट्टी एक ही ब्रांच में एक ही डेस्क पर सात साल तक काम करता रहा जबकि स्केल-१ अफसरों की डेस्क हर ६ महीने में बदली जानी चाहिए और तीन साल में कम से कम एक बार दूसरी ब्रांच में ट्रांसफर होना चाहिए। ऐसा क्यों नहीं किया गया यह बड़ा सवाल है।

बैंक में प्रत्येक लेन-देन की तीन लेवल पर चेकिंग किये जाने की व्यवस्था है- मेकर, चेकर और वेरीफायर। मेकर और चेकर की भूमिका में शेट्टी और सिंगल विंडो ऑपरेटर मनोज खेरात थे, लेकिन वेरीफायर कौन था और उसने क्यों नहीं अपना काम ईमानदारी से किया ये भी सवाल है। इसके अलावा इन अधिकारियों के सुपरवाइजर क्या करते रहे? इंटरनेशनल लेन-देन के लिए बैंकिंग सिस्टम में ‘स्विफ्ट’ सॉफ्टवेयर का प्रयोग किया जाता है। शेट्टी के पास स्विफ्ट को ऑपरेट करने का पासवर्ड था। लेकिन पीएनबी की अपनी कोर बैंकिग सिस्टम से स्विफ्ट को रहस्यमय कारणों से लिंक नहीं किया गया। वह भी बरसों तक। शेट्टी ने इसी का फायदा उठाया।

शेट्टी ने पिछले साल गर्मियों में जो एलओयू जारी किए उनकी वैधता ३६५ दिन कर दी थी। अमूमन एलओयू ९० दिन के लिए जारी किए जाते हैं। पीएनबी का इंटरनल ऑडिट किसी भी गड़बड़ी को पकड़ पाने में नाकामयाब रहा। रिजर्व बैंक की ऑडिट और इंस्पेक्शन टीम भी साल दर साल फ्रॉड को नहीं पकड़ पायीं।

बाकी बैंकों पर असर नहीं

वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार ने कहा कि यह एक अकेला मामला है और इससे अन्य बैंकों पर असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्रालय ने तेजी से कदम उठाते हुए बैंक से यह मामला सीबीआई और ईडी को भेजने को कहा है। पीएनबी ने बयान में कहा कि उसकी मुंबई की एक ब्रांच में धोखाधड़ी वाले लेनदेन कई बैंक प्रभावित हो सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक पीएनबी ने तीस बैकों को 12 फरवरी को गोपनीय पत्र लिखा है। इनमें इलाहाबाद बैंक, आन्ध्रा बैंक, बैंक आफ बड़ौदा, बैंक आफ इंडिया, बैंक आफ महाराष्ट्र, केनरा बैंक, सेंट्रल बैंक आफ इंडिया, कोआपरेशन बैंक, कैथोलिक सीरियन बैंक, देना बैंक, धन लक्ष्मी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, आईडीबीआई बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, इंडसइंड बैंक, जम्मू एंड कश्मीर बैंक, कर्नाटका बैंक, करूर व्यास बैंक, लक्ष्मी विलास बैंक, ओरिएंटल बैंक आफ कामर्स, पंजाब एंड सिंध बैंक, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक, स्टेट बैंक आफ इंडिया, स्टेट बैंक आफ मारीशस, सिंडिकेट बैंक, यूनियन बैंक आफ इंडिया, यूनाइटेड बैंक आफ इंडिया, यूको बैंक, विजया बैंक और एग्जिम बैंक शामिल हैं। पत्र में इन बैंकों को इस मामले की जानकारी दी गई है। सूत्रों के हवाले से अभी तक मिली जानकारी के मुताबिक पीएनबी घोटाले में 6 दूसरे बैंकों के प्रभावित होने का पता चला है। बैंकिंग सूत्रों के मुताबिक पीएनबी के लेटर ऑफ अंडरस्टैंडिंग पर यूनियन बैंक ने 2300 करोड़ रुपये का, इलाहाबाद बैंक की विदेशी शाखा ने 2000 करोड़ रुपये का, एसबीआई की विदेशी शाखा ने 960 करोड़ रुपये का कर्ज दिया। पीएनबी के विदेशी करेंसी खाते में ये पैसे भेजे गए थे। बैंकों ने पीएनबी से देनदारी की मांग की।

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