हेरोइन की गिरफ्त में 'हीरो', नशे के ओवरडोज से 40 दिनों में 60 से अधिक युवाओं की मौत
दुर्गेश पार्थसारथी
अमृतसर : पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने करीब छह-सात साल पहले अफगानिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति हामीद करजई से कहा था- आप की हेरोइन हमारे हीरो को खराब कर रही है। इसे संभालिए। तब करजई पंजाब में आयोजति एक कार्यक्रम में शामिल होने आए थे। यह बात जब प्रकाश सिंह बादल ने कही थी तो उस समय मंच सहित कार्यक्रम में मौजूद लोग खूब हंसे थे। शायद वे नहीं जानते थे कि आने वाले समय में चिट्टा यानी हेरोइन के नशे का परिणाम इतना भयावह होगा कि सवा माह में 40 दिनों में 60 से अधिक लोग अपनी जान गवां बैठेंगे। यह जानकर हैरानी होगी कि नशे से मरने वालों में 16 साल का एक किशोर भी शामिल है, जिसे नशे की लत बाप के मरने के बाद लगी। यह आंकड़ा पुलिस की डायरी से मिला है। यह संख्या 60 से अधिक भी हो सकती है। यहां की हालत यह है कि शाम होते ही युवा वर्ग शराब के नशे झूमता है तो हेरोइन का सेवन पति-पत्नी एक साथ करते हैं।
पंजाब सीमावर्ती राज्य होने के कारण हमेशा चर्चा में रहा है। चाहे वह पाकिस्तानी तस्करों द्वारा हेरोइन या अफीम की तस्करी हो या फिर आतंकी गतिविधियों को पुनर्जीवित करने की कोशिश। यही नहीं यहां की राजनीति भी नशे के इर्द-गिर्द ही घूम रही है। यहां तो खादी से लेकर खाकी तक पर नशा तस्करी व तस्करों से संबंधों का आरोप लगता रहा है। बादल सरकार में राजस्व मंत्री रहे बिक्रमजीत मजीठिया, आप नेता सुखपाल सिंह खैहरा व कांग्रेस नेताओं पर भी तस्करों से संबंध होने के आरोप लगे हैं। और तो और पंजाब पुलिस के कांस्टेबल से लेकर डीएसपी व एसएसपी तक पर भी आरोप लगे हैं। पूर्व सैनिक भी इन आरोपों से अछूते नहीं हैं। अभी हाल ही में एक महिला को नशेड़ी बनाने के आरोप में डीएसपी दलजीत सिंह को सरकार ने बर्खास्त कर दिया तो एसएसपी राजजीत का तबादला कर दिया गया। नशे के खिलाफ जोर शोर से आवाज उठाने वाले आम आदमी पार्टी के संगरूर से सांसद भगवंत मान पर भी नशेड़ी होने के गंभीर आरोप लगे हैं। नशे पर राजनीति भी इस कदर हावी है कि कैबिनेट की बैठक में स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि अगर सरकार पूर्व मंत्री मजीठिया के खिलाफ कार्रवाई करती है तो वह पंजाब की 13 की 13 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज कर कांग्रेस की झोली में डाल देंगे। फिलहाल नशे का निदान ढूढने की बजाय सरकार से लेकर विपक्ष तक सभी रोटियां सेकने में लगे हैं। कोई इसे बादल सरकार को बोया हुआ पौधा बता रहा है तो कोई कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार की विफलता।
पूरा कुनबा ही करता है नशे की तस्करी
बात एक साथ नशा करने तक ही नहीं है। यहां नशे की तस्करी में कहीं-कहीं तो पूरा परिवार ही शामिल होता है। पुलिस रिपोर्ट पर नजर डाली जाए तो शराब, अफीम, भुक्की, हेरोइन आदि की तस्करी में पेशेवर तस्करों के अलावा बाप-बेटे तो शामिल होते ही हैं,कहीं-कहीं सास-बहू और मां-बेटी भी इस धंधे में शामिल होती हैं। इस तरह के मामले तरनतारन, फीरोजपुर व फाजिल्का जिलों में अधिक प्रकाश में आते हैं। नशे की तस्करी के लिए कई इलाके मशहूर हो चुके हैं जैसे अमृतसर में मकबूलपुरा, तरनतारन में सिंगल बस्ती व पठानकोट के पास छन्नीबेली। इन क्षेत्रों में नशे से मरने वालों विधवाओं की संख्या भी अधिक है। चुनावों के दौरान नेताओं का दौरा भी इन्हीं क्षेत्रों में अधिक होता है। अरविंद केजरीवाल व भगवंत मान तो इन इलाकों में विधानसभा चुनाव के दौरान एक तरह से डेरा ही जमाए हुए थे। इन इलाकों में फिर नशे की ज्वाला धधक रही है।
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पुलिसकर्मी भी नशे का शिकार
स्थिति यहां तक पहुंच चुकी है कि जिनके हाथों में नशा तस्करों को पकडऩे की कमान सौंपी गई है, वही नशा करते हुए देखे जा रहे हैं। शराब की मस्ती में मदहोश होना यहां के पुलिस कर्मियों के लिए आम बात है, लेकिन जब थाने में बैठा सिपाही और हवालदार ही स्मैक का कश लगा रहा हो तो क्या कहेंगे। यही न कि बाड़ ही खेत को खाने लगी तो रखवाली कौन करेगा। कुछ इसी तरह का मामला इन दिनों सामने आया है। सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में लुधियाना जिले के किसी थाने के सिपाही और हवालदार एक साथ बैठकर स्मैक के कश लगा रहे थे। यहीं नहीं, पैसे लेकर नशा तस्करों को छोड़े जाने के आरोप भी पुलिस पर लगते रहे है। भ्रष्टाचार के आरोपों में मोगा जिले के नवनियुक्त एसएसपी भी घिर गए है। फिलहाल उनकी तैनाती पर रोक लगा दी गई है। पूर्व डीएसपी भी इन आरोपों का सामना कर रहे हैं। नशे के मामले को लेकर पंजाब के दो वरिष्ठï आईपीएस अधिकारी भी कुछ माह पहले आमने-सामने आ गए थे, जिसमें मुख्यमंत्री को दखल देते हुए अधिकारियों को बर्खास्त करने तक की चेतावनी देनी पड़ी थी।
नशा तस्कर भी अपना रहे हैं कई तरीके
गत 17 जून को चंडीगढ़ में ईडी व काउंटर इंटेलीजेंस ने एक ऐसे अंतरराष्ट्रीय नशा तस्कर गिरोह का पर्दाफाश किया जो लंगर के बर्तनों में हेरोइन छुपाकर कनाडा भेजते थे। पकड़े जाने से पहले नशा तस्कर राजस्थान के रहने वाले दविंदर देव, जालंधर निवासी अजीत सिंह व त्रिलोच सिंह और पंजाब के ही होशियारपुर जिले के गुरबक्श सिंह दो बार ट्रायल के तौर पर 14 किलो व 6 किलो अफीम भेज चुके हैं। काउंटर इंटलीजेंस ने जिस दिन इन्हें पकड़ा उस दिन इनके पास से 4.75 किलो केटामाइन व छह किलो अफीम बरामद हुई। आरोपी इसे 7 बड़े भगौनों में छिपा कर कनाडा भेजने की तैयारी कर रहे थे। लुधियाना में पकड़े गए कुछ तस्करों के मुताबिक वे व्हाट्सएप कॉल के जरिए सीरिंज व नशे की खेप नशेड़ी के घर या उसके बताए ठिकाने पर पहुंचा देते हैं। यहां तक कि उसे इंजेक्शन लगाने में कोई परेशानी आती है तो तस्कर उसे इंजेक्शन भी लगा देते हैं। कुछ दिन पहले पकड़े गए एक नशा तस्कर का कहना है कि व्हाट्सएप कॉल पुलिस ट्रेस नहीं कर पाती। इसलिए वे अपना ग्रुप बना रखे हैं, जिसके जरिए नशे की सप्लाई करते हैं।
डोप टेस्ट कराने का फरमान जारी
एक तरफ सूबे में नशे से मरने वालों की संख्या बढ़ती जा रही हैं, वहीं दूसरी ओर सूबे की सियासत भी गरम हो गई है। आरोप प्रत्यारोपों के बीच धरने-प्रदर्शनों का दौर शुरू हो गया है। नशे के मुद्दे पर सत्ता में आई कांग्रेस इस समय चौतरफा घिर गई है। ऐसे में आनन-फानन में कैप्टन सरकार ने कैबिनेट में नशा तस्करों के खिलाफ सजा-ए-मौत का कानून पास करने के साथ ही केंद्र सरकार को खत लिखकर नशा तस्करों के खिलाफ इस्तेमाल किए जा रहे पुराने कानूनों में बदलाव की मांग की है। इसके साथ ही पुलिस कर्मियों सहित अन्य सरकारी कर्मचारियों के डोप टेस्ट करवाने का भी फरमान जारी कर दिया है।
तस्कर इस तरह तैयार कर रहे हैं नशा
स्वास्थ्य विभाग व पुलिस सूत्रों के मुताबिक प्रशासन के कड़ रुख के कारण तस्करों को हेरोइन नहीं मिल रही है। इसलिए वे अब अपना रैकेट चलाने के लिए कस्टर्ड पाउडर, चीनी आरारोट, टेलकम पाउडर में थोड़ी सी हेरोइन मिलाकर नशा तैयार कर रहे हैं। यही नहीं जानकारों का कहना है कि तस्कर हाथी व अन्य जानवरों को बेहोश करने वाली दवाओं को मिलाकर भी नशा तैयार कर रहे हैं। इसका सेवन करने वाले की मौत होने की घटनाएं भी हो रही हैं। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक 42 दिनों में नशे से मरने वालों में 16 वर्ष के किशोर से लेकर 28 वर्ष तक के युवा शामिल है। यही नहीं इनमें कई पुलिस कर्मियों के बेटे भी हैं। हालांकि अब जाकर सरकार की नींद खुली है।
क्या कहते हैं मनोचिकित्सक
सिविल अस्पताल, पठानकोट की मनोरोग विशेषज्ञ डॉक्टर सोनिया मिश्रा व अमृतसर सिविल अस्पताल की मनोरोग विशेषज्ञ डॉक्टर अमन कौर का कहना है कि 12 से 18 वर्ष की उम्र दिशाहीन होती है। इस उम्र के बच्चों को जिस दिशा में ले जाओ वे बिना सोचे समझे चल पड़ते हैं और आगे चलकर गलत संगत की वजह से नशे का शिकार होकर अपराध करने लगते हैं। डॉ.मिश्र ने कहा कि उनके पास तो 13 वर्ष का बच्चा भी आया जो हेरोइन व अफीम का आदी है।
नेताओं के बेटे भी नशेड़ी
2017 में दिल्ली के मुख्यमंत्री व आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान नशे को मुद्दा बनाया था। कांग्रेस ने भी इसे इस तरह चुनावी मुद्दा बनाया कि प्रकाश सिंह बादल की सरकार जाती रही। अब हालत यह है कि खुद कांग्रेस और आप नेता के बेटे ही नशे की भेंट चढ़ चुके हैं। करीब दो माह पहले नशे के ओवरडोज से लुधियाना में कांग्रेस नेत्री के बेटे की मौत हो गई, जबकि गत 22 जून को अमृतसर जिले के छेहरटा क्षेत्र में आप नेता के बेटे और उसके दोस्त की मौत हो गई। घर का दरवाजा खोला गया तो दोनों युवकों के शवों के पास नशे के टीके व सीरिंज पड़ी मिली। घर से दुर्गंध आने पर पड़ोसियों ने पुलिस को सूचित कर घर का दरवाजा तोड़वाया तो अंदर दोनों युवकों के शवों पर कीड़े रेंग रहे थे। हालांकि आप नेता अपनी पत्नी का उपचार करवाने शहर से बाहर गए हुए थे। इसी तरह तरनतारन जिले के विभिन्न गांवों में भी नशे का टीका लगाने से अब तक 15 अधिक युवाओं की मौत हो चुकी है।
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बाप-बेटे और बहू भी करते हैं नशे का सेवन
रणबांकुरों की धरती माने जाने वाले पंजाब की हालत यह है कि यहां के युवक ही नहीं बल्कि युवतियां भी नशे के सेवन में पीछे नहीं हैं। कई मामले ऐसे आ रहे हैं जिन पर सहसा यकीन नहीं .होता। पुलिस व सेहत विभागों से मिली रिपोर्ट के मुताबिक उनके पास ऐसे केसेज आ रहे हैं, जिसमें बाप तो नशेड़ी है ही, उसका बेटा और बहू भी ड्रग्स के आदी हैं। यहां तक कि अपनी इस लत को पूरी करने के लिए वे मोटरसाइकिल, गहने व जमीन तक बेच चुके हैं। यह विडंबना ही है कि जिस बाप की अंगुली पकड़कर बेटा चलना सीखता है आज उसी बाप का हम प्याला बना है। शायद इसी का परिणाम है कि नशे के लिए पैस न मिलने पर यहां के नशेड़ी युवा अपने मां-बाप का कत्ल करने से भी गुरेज नहीं करते। पिछले दिनों होशियारपुर, अमृतसर, तरनतारन, जालंधर, लुधियाना, बठिंडा, फीरोजपुर, फाजिल्का आदि जिलों में हुए कत्ल के कुछ केसों में इसी तरह की बात सामने आई है। अब सोचने की बात यह है कि क्या सच में पंजाब उड़ रहा है। करीब दो साल पहले आई फिल्म उड़ता पंजाब में फिल्मकारों द्वारा पंजाब की हकीकत दिखाने की कोशिश की गई थी, लेकिन यहां की सच्चाई फिल्म से कहीं अधिक है।
अकाली-भाजपा ने कैप्टन को याद दिलाया वादा
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष व सांसद स्वेत मलिक ने कहा कि विधानसभा चुनाव के दौरान कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपनी रैली के दौरान गुटका साहिब (सिख धर्म की धार्मिक पुस्तक)पर हाथ रखकर कसम खाई थी कि सरकार बनने के 24 घंटे के भीतर पंजाब से नशा तस्करी खत्म कर दी जाएगी और तस्कर जेल में होंगे। हालत यह है कि सरकार बनने के डेढ़ साल बाद नशेडिय़ों की संख्या बढ़ी है। मलिक ने कहा कि इससे बड़ी शर्म की बात और क्या होगी, गुरुओं की धरती कहलाने वाले पंजाब में नशा मुक्ति केन्द्र खोले जा रहे है, जिन युवाओं के कंधों पर देश व समाज का भविष्य है वे युवा नशा मुक्ति केंद्र अपना उपचार करवा रहे हैं। इसी तरह अकाली दल भी कैप्टन को कोसने में लगा है। वहीं पंजाब पुलिस के आला अधिकारियों से लेकर सरकार तक अपनी पीठ खुद थपथपाने में लगी है। सरकार का कहना है कि कड़ाई के कारण नशे की चेन टूट चुकी है। इसलिए तस्कर मिलावटी नशा बेच रहे हैं।