राफेल डील: SC ने फैसला सुरक्षित रखा, सरकार ने कहा- CAG रिपोर्ट में थी कुछ गलती

राफेल डील में अपने फैसले पर पुनर्विचार की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने लीक दस्तावेजों पर केंद्र के विशेषाधिकार के दावे पर फैसला सुरक्षित रख लिया।

Update: 2019-03-14 12:20 GMT

नई दिल्ली: राफेल डील केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुर्नविचार के लिए दायर की गई याचिकाओं पर गुरुवार को सुनवाई हुई। राफेल डील में अपने फैसले पर पुनर्विचार की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने लीक दस्तावेजों पर केंद्र के विशेषाधिकार के दावे पर फैसला सुरक्षित रख लिया।

बुधवार को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में नया हलफनामा देते हुए कहा था कि राफेल डील पर उसके फैसले पर पुनर्विचार के लिये याचिकाकर्ताओं द्वारा दाखिल दस्तावेज 'राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये संवेदनशील' हैं और जिन लोगों ने इन दस्तावेजों की फोटोकॉपी बनाने की साजिश की, उन्होंने इसकी चोरी की और इन्हें लीक करके सुरक्षा को खतरे में डाला है।

राफेल की सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि जो सीएजी की रिपोर्ट कोर्ट में पेश की गई थी उसमें कुछ गलती थी। उन्होंने बताया कि इस रिपोर्ट में तीन पन्ने गायब थे। अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।

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सुप्रीम कोर्ट में राफेल मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता अरुण शौरी ने कहा, मैं अटॉर्नी जनरल को धन्यवाद देना चाहता हूं, जिन्होंने अपने हलफनामे में कहा है कि असली दस्तावेजों की फोटोकॉपी हुई है। ऐसा कहकर उन्होंने यह साबित कर दिया है कि दस्तावेज असली हैं।

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हलफनामे में रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि फ्रांस और दूसरों के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों के संबंध में हुए केंद्र के विभिन्न समझौतों में गोपनीयता की शर्त थी। इसमें कहा गया है कि अगर ये दस्तावेज सार्वजनिक होते हैं, तो ये समझौते की शर्तों का हनन है।

हलफनामे में रक्षा मंत्रालय ने कहा है, यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और प्रशांत भूषण गोपनीय दस्तावेजों को आधार बना रहे हैं और वे संवेदनशील जानकारी लीक करने के दोषी हैं।

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केंद्र ने कहा है कि वे जिन्होंने इस लीक की साजिश की वे अनधिकृत तरीके से फोटोकॉपी करने और राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित करने वाले संवेदनशील सरकारी दस्तावेजों को लीक करने के अपराध सहित भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत दंडनीय अपराधों के दोषी हैं।

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