Rahul Gandhi: राहुल गांधी के पास अब क्या हैं विकल्प,जानिए 2024 और 2029 का लोकसभा चुनाव लड़ पाएंगे या नहीं ?

Rahul Gandhi: ऐसे में यह जानना जरूरी है कि लोकसभा सचिवालय के इस फैसले का राहुल गांधी के सियासी कॅरियर पर क्या असर पड़ने वाला है। यह भी जानना जरूरी है कि राहुल गांधी के पास अब क्या विकल्प बचे हुए हैं। इसके साथ ही यह भी जानना जरूरी है कि राहुल गांधी 2024 और 2029 का लोकसभा चुनाव लड़ पाएंगे या नहीं।

Update: 2023-03-24 16:56 GMT
File Photo of Rahul Gandhi (Pic: Newstrack)

Rahul Gandhi: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और केरल की वायनाड सीट से लोकसभा सदस्य राहुल गांधी की संसद सदस्यता खत्म होने के बाद देश में सियासी भूचाल आ गया है। लोकसभा सचिवालय की ओर से शुक्रवार को दोपहर में राहुल गांधी की संसद सदस्यता खत्म किए जाने की अधिसूचना जारी कर दी गई। सूरत की सीजेएम अदालत की ओर से मोदी उपनाम से जुड़े मानहानि मामले में गुरुवार को राहुल गांधी को दोषी ठहराते हुए दो साल कैद की सजा सुनाई गई थी। अब इसी फैसले के आधार पर राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द कर दी गई है।
कांग्रेस ने इस मुद्दे पर आर-पार की लड़ाई लड़ने का मन बना लिया है। राजधानी दिल्ली समेत विभिन्न प्रदेशों में इस फैसले का व्यापक विरोध शुरू हो गया है। कांग्रेस कार्यकर्ता इस फैसले के खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि लोकसभा सचिवालय के इस फैसले का राहुल गांधी के सियासी कॅरियर पर क्या असर पड़ने वाला है। यह भी जानना जरूरी है कि राहुल गांधी के पास अब क्या विकल्प बचे हुए हैं। इसके साथ ही यह भी जानना जरूरी है कि राहुल गांधी 2024 और 2029 का लोकसभा चुनाव लड़ पाएंगे या नहीं।

कर्नाटक की रैली में की थी टिप्पणी

कांग्रेस नेता राहुल गांधी को 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान कर्नाटक की एक चुनावी रैली में दिए गए भाषण के सिलसिले में यह सजा सुनाई गई है। राहुल गांधी ने कर्नाटक के कोलार में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि कैसे सभी चोरों का उपनाम मोदी है। उन्होंने नीरव मोदी और ललित मोदी आदि का जिक्र करते हुए यह टिप्पणी की थी। राहुल गांधी के इस बयान को लेकर उस समय भी काफी सियासी हंगामा हुआ था और भाजपा की ओर से कांग्रेस पर तीखा हमला किया गया था।
इसी मामले को लेकर भाजपा विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का केस दर्ज कराया था। अपनी याचिका में उन्होंने आरोप लगाया था कि राहुल गांधी के इस बयान से समूची मोदी समुदाय की मानहानि हुई है। इसी मामले में सूरत की सीजेएम अदालत ने गुरुवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए राहुल गांधी को मानहानि का दोषी ठहराया है और उन्हें दो साल कैद की सजा सुनाई है।

इस आधार पर सदस्यता खत्म करने का फैसला

लोकसभा सचिवालय की ओर से राहुल गांधी की संसद संसद सदस्यता खत्म करने के संबंध में एक अधिसूचना जारी की गई है। सात पंक्तियों वाली इस अधिसूचना में सूरत के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की ओर से राहुल गांधी को दोषी करार दिए जाने और सजा सुनाए जाने के बाद लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित किए जाने की बात कही गई है।
अधिसूचना के मुताबिक दोष साबित होने के दिन 23 मार्च 2023 से यह अयोग्यता लागू की जाएगी। लोकसभा सचिवालय के नोटिफिकेशन में संविधान के अनुच्छेद 102 (1) (e) के प्रावधानों और जनप्रतिनिधित्व कानून 151 की धारा 8 के तहत राहुल गांधी की संसद सदस्यता खत्म किए जाने की बात कही गई है।

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

कानून के जानकारों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से 2013 में लोकप्रतिनिधि अधिनियम 1951 को लेकर महत्वपूर्ण फैसला सुनाया गया था। इस ऐतिहासिक फैसले के तहत अदालत ने अधिनियम की धारा 8 (4) को असंवैधानिक करार दिया था। इस प्रावधान में कहा गया था कि किसी भी आपराधिक मामले में (दो साल या उससे ज्यादा सजा के प्रावधान वाली धाराओं के तहत) दोषी करार किसी निर्वाचित प्रतिनिधि को उस स्थिति में अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता था, अगर उसकी ओर से ऊपरी न्यायालय में अपील दायर कर दी गई हो। इसका मतलब साफ है कि धारा 8(4) दोषी सांसद, विधायक को अदालत के निर्णय के खिलाफ अपील लंबित होने के दौरान पद पर बने रहने की छूट प्रदान करती थी।
सुप्रीम कोर्ट की ओर से यह ऐतिहासिक फैसला सुनाए जाने के बाद किसी भी कोर्ट की ओर से दोषी ठहराए जाने के बाद संबंधित नेता की सांसद या विधायकी चली जाती है। इसी आधार पर राहुल गांधी की संसद सदस्यता को रद्द कर दिया गया है। अब यदि राहुल गांधी को किसी ऊंची अदालत की ओर से मानहानि के मामले में राहत नहीं मिलती है तो वे 2024 और 2029 का लोकसभा चुनाव भी नहीं लड़ पाएंगे।

अब राहुल गांधी के सामने क्या हैं विकल्प

  • सूरत की कोर्ट की ओर से राहुल गांधी को सजा के खिलाफ अपील करने के लिए 30 दिन का समय दिया गया है। राहुल गांधी सजा के खिलाफ ऊंची अदालत में याचिका दाखिल कर सकते हैं। अगर कोर्ट की ओर से सूरत की अदालत के फैसले पर रोक लगाई जाती है तो कांग्रेस नेता को राहत मिल सकती है।
  • राहुल गांधी को राहत मिलने की उम्मीद के लिए लक्षद्वीप के सांसद मोहम्मद फैजल का उदाहरण भी दिया जा रहा है। फैजल को एक मामले में 10 साल की सजा सुनाई गई थी जिसके बाद उनकी संसद सदस्यता रद्द कर दी गई थी। यहां तक कि चुनाव आयोग की ओर से उनकी सीट पर उपचुनाव का भी ऐलान कर दिया गया था। हालांकि फैजल को बाद में हाईकोर्ट से राहत मिल गई थी और उनकी संसद सदस्यता भी बच गई थी। चुनाव आयोग ने भी उपचुनाव की अधिसूचना को वापस ले लिया था।
  • कानून के जानकारों का कहना है कि राहुल गांधी की ओर से लोकसभा सचिवालय की ओर से जारी की गई अधिसूचना को भी अदालत में चुनौती दी जा सकती है।

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