Bharat Jodo Yatra: वरुण गांधी के लिए कांग्रेस के दरवाजे बंद, राहुल बोले- RSS दफ्तर जाने वालों से मेरी विचारधारा अलग

Bharat Jodo Yatra: बीजेपी सांसद वरुण गांधी के संबंध पिछले कुछ समय से अपनी ही पार्टी से अच्छे नहीं हैं। हाल ही में उन्होंने कहा था कि वे न ही नेहरू जी के खिलाफ हैं और न कांग्रेस के।

Written By :  aman
Update: 2023-01-17 10:14 GMT

Rahul Gandhi on Varun Gandhi: कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के नेतृत्व में 'भारत जोड़ो यात्रा' (Bharat Jodo Yatra) मंगलवार (17 जनवरी) को पंजाब के होशियारपुर पहुंची। राहुल ने यहां मीडिया से बात करते हुए वरुण गांधी के कांग्रेस में प्रवेश की संभावनाओं पर जवाब दिया।

पत्रकारों ने जब राहुल गांधी (Rahul Gandhi) से वरुण गांधी की कांग्रेस में एंट्री (Varun Gandhi's entry in Congress) से संबंधित सवाल पूछा तो उन्होंने कहा, 'मैं उनसे मिल सकता हूं। गले लग सकता हूं। लेकिन मेरी विचारधारा उनकी विचारधारा से नहीं मिलती।' इतना कहकर राहुल ने वरुण के कांग्रेस में एंट्री के सभी दरवाजे बंद कर दिए।  

राहुल गांधी- यहां उन्हें दिक्कत हो जाएगी

राहुल गांधी ने मीडिया से बात करते हुए कहा, कि 'वो बीजेपी में हैं। यहां चलेंगे तो उन्हें दिक्कत हो जाएगी। मेरी विचारधारा उनकी विचारधारा से नहीं मिलती। मेरी विचारधारा है कि मैं RSS के दफ्तर में कभी नहीं जा सकता। चाहे आप मेरा गला काट दीजिए।'

'मैं उस विचारधारा को स्वीकार नहीं कर सकता'

राहुल गांधी ने आगे कहा, 'मेरा परिवार है। उसकी एक विचारधारा है। वरुण ने एक समय, शायद आज भी उस विचारधारा को अपनाया है। उस  विचारधारा को अपना बनाया। मैं उस बात को स्वीकार नहीं कर सकता। राहुल गांधी ने ये भी कहा, मैं उनसे (वरुण से) प्यार से मिल सकता हूं। उन्हें गले लग सकता हूं। मगर, उस विचारधारा को स्वीकार नहीं कर सकता। यह मेरे लिए अस्वीकार है। मेरा बिंदु विचारधारा की लड़ाई पर है।' 

वरुण अपनी ही पार्टी को घेरते रहे हैं

गौरतलब है कि, बीजेपी सांसद वरुण गांधी लंबे वक्त से अपनी पार्टी की नीतियों की खुलकर आलोचना करते रहे हैं। उनके इन्हीं बयानों के बाद कयास लगाए जा रहे थे कि शायद वो कांग्रेस में प्रवेश करें। बीजेपी के साथ उनका मोहभंग काफी समय पहले हो चुका था। पिछले दो साल से भी अधिक समय से जिस तरह के उनके आर्टिकल प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में छपते रहे हैं। सोशल मीडिया के जरिये भी वो लगातार बीजेपी को घेरते रहे हैं। गाहे-बगाहे अलग-अलग मुद्दों पर वरुण अपनी ही सरकार को घेरते रहे हैं। उससे इन अटकलों को और बल मिला।

2013 में संघ प्रमुख का आशीर्वाद लेने पहुंचे थे वरुण

आपको बता दें कि, वर्ष 2013 में बीजेपी की चुनाव प्रचार समिति में बड़ी जिम्मेदारी सौंपे जाने के बाद पहली बार वरुण गांधी संघ का आशीर्वाद लेने नागपुर गए थे। तब वरुण और संघ प्रमुख मोहन भागवत (RSS chief Mohan Bhagwat) के बीच मुलाकात हुई थी। जिसमें कई अहम मुद्दों और भविष्य को लेकर गहन बातचीत हुई थी। उस वक्त वरुण गांधी के संघ हेडक्वार्टर पहुंचकर संघ प्रमुख और पदाधिकारियों से मुलाकात के कई सियासी मायने निकाले गए थे। तब RSS से जुड़े सूत्रों ने बताया था कि वरुण गांधी को बीजेपी में बड़ी जिम्मेदारी मिली है। इसी वजह से वो आरएसएस चीफ मोहन भागवत का मार्गदर्शन लेने पहुंचे थे। 

वरुण ने 2004 में बीजेपी का दामन थामा 

गौरतलब है कि, वरुण गांधी का राजनीतिक करियर वर्ष 1999 में शुरू हुआ था। तब उन्होंने अपनी मां और बीजेपी की वरिष्ठ नेता मेनका गांधी (Maneka Gandhi) के लिए लोकसभा चुनाव में प्रचार किया था। साल 2004 में राहुल गांधी पहली बार लोकसभा चुनाव लड़े। इसी साल मेनका गांधी बीजेपी में शामिल हुईं। मेनका यूपी की पीलीभीत लोकसभा सीट (Pilibhit Lok Sabha Seat) से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ीं और जीत भी गईं। तब वरुण गांधी की छवि एक फायरब्रांड नेता के रूप में बन चुकी थी। वरुण गांधी धीरे-धीरे हिंदूवादी नेता के रूप में स्थापित हुए। ये वो वक़्त था जब बीजेपी में प्रमोद महाजन की गिनती प्रमुख रणनीतिकारों के रूप में होती थी। उनकी नजर वरुण गांधी पर पड़ी। बीजेपी के तब नंबर दो नेता रहे लालकृष्ण आडवाणी भी वरुण को पसंद करने लगे थे। इन्हीं वजहों से 2004 में ही वरुण गांधी को बीजेपी में प्रवेश मिल गया था। बीजेपी के तत्कालीन अध्यक्ष वेंकैया नायडू ने 16 फरवरी, 2004 को मेनका गांधी और वरुण गांधी को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता दिलाई थी।

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