दो जगह से राहुल के चुनाव लडऩे पर अमेठी में न शिकवा न गम

Update:2019-03-29 14:08 IST

असगर नकी

अमेठी। राहुल गांधी दो सीटों से लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं। स्मृति ईरानी ने जहां ट्वीट कर राहुल पर तंज कसा था वहीं योगी सरकार के डिप्टी सीएम से लेकर मंत्री तक इस मुद्दे पर उन्हें निशाने पर लिए हुए हैं। वहीं, कांग्रेस बचाव की मुद्रा में उतर आई है और स्मृति ईरानी व राहुल गांधी के पांच साल में अमेठी के दौरों और अमेठी के लिए दी गई रकम का आंकड़ा पेश कर रही है। ऐसे में 'अपना भारत' ने अमेठी के मतदाताओं का इस मुद्दे पर रुझान जानने की कोशिश की।

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कांग्रेस ने पेश किया राहुल और स्मृति के दौरे का डेटा पिछले पांच सालों में राहुल और स्मृति के अमेठी दौरों पर नजर डालें तो राहुल गांधी जहां 35 दिन अमेठी में ठहरे वहीं स्मृति ईरानी 16 बार ही यहां रुकीं। राहुल गांधी ने 2014 में 5 दौरों में 7 दिन अमेठी को दिए, 2015 में 3 दौरों में 7 दिन, 2016 में ३ दौरों में 7 दिन, 2017 में 3 दिन, 2018 में 4 दौरों में 9 दिन और इस साल 23-24 जनवरी को दो दिनी दौरा किया। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने 2014 के चुनाव के बाद अमेठी का एक भी दौरा नहीं किया। 2015 में उन्होंने पांच महीनों में एक एक दिन के पांच दौरे किए। 2016 में वह दो दौरे में तीन दिन अमेठी आईं। अक्टूबर 2017 में दो दिनी दौरा किया। 2018 में एक - एक दिन के चार अलग-अलग दौरे और इस साल 4 जनवरी और 3 मार्च को अमेठी का दौरा किया।

राहुल व अन्य की निधि से 44.52 करोड़ से कराए जा रहे विकास कार्य

राहुल गांधी द्वारा पांच वर्षों में अमेठी पर 26.85 करोड़ रुपए खर्च किए गए। वहीं कैप्टन सतीश शर्मा की निधि से 2.75 करोड़, प्रमोद तिवारी की निधि से 0.66, पीएल पुनिया की निधि से 2.41 करोड़, रेखा गणेशन की निधि से 2.25 करोड़, कपिल सिब्बल की निधि से 2.07 करोड़ और एमएलसी दीपक सिंह की निधि से 7.53 करोड़ रुपए अमेठी के विकास में खर्च कराए। इसका कुल योग 44.52 करोड़ रुपए बनता है।

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'राहुल गांधी इतने दिन सांसद रहे, अपना पूरा समय बाहर ही दिया लेकिन अमेठी को समय नहीं दिया। अमेठी के विकास में रुचि नहीं ली। राहुल से कई ज़्यादा गुना विकास कार्य पराजित हुए प्रत्याशी ने किया है। अमेठी की जनता जागरूक हो चुकी है इसलिए राहुल को जीत के प्रति शंका है।'

- सदा सुख पाण्डेय

'कहीं न कहीं राहुल जी को डर सता रहा है। अमेठी की जनता का उनपर से विश्वास उठ गया है। अमेठी में विकास संबंधी कोई काम आज तक नहीं किया है। वह जब से आए हैं अमेठी जैसी थी वैसी ही है, फिर सांसद बने तो वैसी ही रहेगी।'

- अजय पाण्डेय

'इसे राजनीतिक दृष्टिकोण से नहीं देखना चाहिए। इससे पहले सोनिया गांधी अमेठी और बेल्लारी से चुनाव लड़ चुकी हैं। लोकतंत्र में दो जगह से चुनाव लड़ा जा सकता है। वैसे, उन्होंने अमेठी पर ध्यान नहीं दिया। अमेठी का विकास नहीं किया। यह कष्ट दाई है।'

- आचार्य त्रिपाठी

'राहुल गांधी स्मृति ईरानी से डरे नहीं हैं। राहुल गांधी इसलिए दक्षिण गए हैं ताकि वहां से ज्यादा सीटें आएं। अमेठी से तो राहुल गांधी जीतेंगे ही।'

- मोहम्मद नाजिम

'स्मृति ईरानी के डर से राहुल दो जगह से चुनाव नहीं लड़ रहे। केरल से उनका बुलावा आया है इसलिए वहां जा रहे हैं। वैसे भी जो भी प्रधानमंत्री बनते हैं वो हमेशा दो जगह से जीतते हैं।'

- सुभाष चंद्र

'राहुल गांधी दो जगह से चुनाव लड़ेंगे, यह कोई मुद्दा नहीं है। इस बात पर केवल नूराकुश्ती हो रही है। स्मृति ईरानी ने तो साढ़े तीन लाख वोट पाने के बाद एक काम भी नहीं किया।'

- राजेश मिश्रा

'लोकतंत्र में जनता की मांग को विशेष तरजीह और वरीयता देना चाहिए। अमेठी तो राहुल गांधी की कर्मस्थली है। अमेठी की जनता का प्रेम उनके साथ है। जनता उन्हें सदा भारी वोट से जिताएगी।'

- मोईद उल्ला फारुकी

 

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