रेलवे ने तैयार किया 'पोस्ट कोविड कोच', जानें आखिर क्या है इसमें खास

देश में कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में चिकित्सकों व पुलिस प्रशासन के साथ ही रेलवें ने भी अहम भूमिका निभाई है। कोरोना संक्रमण के दौरान लागू लाकडाउन के दौरान स्पेशल ट्रेने चला कर दूसरे राज्यों मे फंसे लोगों को उनके गंतव्य स्थल तक पहुंचाने के बाद अब रेलवे की उत्पादन इकाई रेल कोच फैक्ट्री (कपूरथला) ने एक 'पोस्ट कोविड कोच' विकसित किया है।

Update: 2020-07-15 08:29 GMT

लखनऊ: देश में कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में चिकित्सकों व पुलिस प्रशासन के साथ ही रेलवें ने भी अहम भूमिका निभाई है। कोरोना संक्रमण के दौरान लागू लाकडाउन के दौरान स्पेशल ट्रेने चला कर दूसरे राज्यों मे फंसे लोगों को उनके गंतव्य स्थल तक पहुंचाने के बाद अब रेलवे की उत्पादन इकाई रेल कोच फैक्ट्री (कपूरथला) ने एक 'पोस्ट कोविड कोच' विकसित किया है। 'कोरोना काल के बाद के इस विशेष कोच' की डिजाइनिंग को बेहतरीन करते हुए कोविड मुक्त यात्री सफर के लिए कोच में हैंड्स-फ्री सुविधाओं, कॉपर कोटिंग युक्त रेलिंग व चिटकनी और प्लाज्मा एयर प्यूरीफायर के अलावा टाइटेनियम डाई-ऑक्साइड कोटिंग भी की गई है।

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रेलवे ने दी हैंड्स फ्री सुविधाएं

'पोस्ट कोविड कोच' में हैंड्स फ्री सुविधाएं दी गई है, जिससे हाथ का संपर्क किसी भी वस्तु से नहीं करना होगा। इसमे पैर से संचालित पानी का नल व साबुन निकालने की मशीन, पैर से संचालित शौचालय द्वार (बाहर), पैर से संचालित फ्लश वाल्व, पैर से संचालित शौचालय के दरवाजे की चिटकनी, टॉयलेट के बाहर स्थित वाश बेसिन में पैर से संचालित पानी का नल व साबुन निकालने की मशीन और डिब्बे के दरवाजे पर बांह से संचालित हैंडल प्रदान किया गया है। इन 'पोस्ट कोविड कोचों' में किसी को भी हाथ से छूने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

इसके अलावा 'पोस्ट कोविड कोच' में कॉपर कोटिंग युक्त रेलिंग व चिटकनियां लगाई गई हैं। कॉपर के संपर्क में आने वाला वायरस कुछ ही घंटों में निष्क्रिय हो जाता है। कॉपर में सूक्ष्मजीव-रोधी गुण होते हैं। जब कॉपर की सतह पर वायरस आता है तो आयन रोगाणु को जोर का झटका देता है और वायरस के अंदर स्थित डीएनए और आरएनए को नष्ट कर देता है।

'पोस्ट कोविड कोच' में एसी नली या पाइप में प्लाज्मा एयर उपकरण लगा होता है। यह प्लाज्मा एयर उपकरण आयन युक्त वायु का उपयोग करके एसी कोच के अंदर की हवा और सतहों को जीवाणुरहित कर देगा और इस तरह से कोच या डिब्बे को कोविड-19 एवं सूक्ष्म कोण-रोधी बना देगा। यही नहीं, इस सुविधा से आयन सांद्रता 100 आयन प्रति घन सेंटीमीटर से बढ़कर 6000 से अधिक आयन प्रति घन सेंटीमीटर हो जाएगी।

'पोस्ट कोविड कोच' में टाइटेनियम डाई-ऑक्साइड कोटिंग की सुविधा है

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'पोस्ट कोविड कोच' में टाइटेनियम डाई-ऑक्साइड कोटिंग की सुविधा है। नैनो संरचना वाली टाइटेनियम डाई-ऑक्साइड कोटिंग दरअसल फोटोएक्टिव (प्रकाश द्वारा सहज प्रभावित) सामग्री के रूप में कार्य करती है। यह एक पर्यावरण अनुकूल जल-आधारित कोटिंग है जो वायरस, बैक्टीरिया, फफूंदी तथा फंगस को नष्ट कर इन्हें पनपने नहीं देती है और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह अंदर की हवा को बेहतर बना देती है। यह जहरीली नहीं है, जिसे संयुक्त राज्य अमेरिका के खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) की खाद्य परीक्षण प्रयोगशाला द्वारा अनुमोदित और सीई प्रमाणित है।

टाइटेनियम डाई-ऑक्साइड को एक सुरक्षित पदार्थ माना जाता है और यह मनुष्य के लिए हानिरहित है। यह टाइटेनियम डाई-ऑक्साइड कोटिंग वॉश बेसिन, शौचालय, सीटों एवं बर्थ, स्नैक टेबल, ग्लास विंडो, फ्लोर सहित हर उस सतह पर की गई है जहां लोगों का हाथ लग जाता है। यह कोटिंग 12 माह तक प्रभावकारी या कारगर रहती है।

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