Rajasthan Election 2023: सांसद हनुमान बेनीवाल इस सीट से लड़ेगे विधानसभा चुनाव, RLP ने जारी की 10 प्रत्याशियों की सूची
Rajasthan Election 2023: पार्टी के सबसे बड़े चेहरे लोकसभा सांसद हनुमान बेनीवाल हैं। अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहने वाले बेनीवाल भी विधानसभा के चुनावी समर में उतरे हैं।
Rajasthan Election 2023: राजस्थान में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मी बढ़ी हुई है। ईडी की सक्रियता ने प्रदेश की सियासत को और गरमा दिया है। राज्य की दो प्रमुख पार्टियां बीजेपी और कांग्रेस ने अधिकांश सीटों पर उम्मीदवार खड़े कर दिए हैं। अन्य पार्टियां भी अपने प्रत्याशियों का ऐलान कर रही हैं। इसी कड़ी में नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने अपने कैंडिडेट्स का ऐलान किया है। आरएलपी कांग्रेस, बीजेपी और बीएसपी के बाद राज्य की चौथी बड़ी पार्टी है।
पार्टी के सबसे बड़े चेहरे लोकसभा सांसद हनुमान बेनीवाल हैं। अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहने वाले बेनीवाल भी विधानसभा के चुनावी समर में उतरे हैं। उन्हें पार्टी ने खींवसर विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है। इस सीट से मौजूदा विधायक उनके छोटे भाई नारायण बेनीवाल हैं। आरएलपी ने आज तो 10 उम्मीदवारों की सूची जारी की है, उसमें नारायण बेनीवाल का नाम नदारद है। ऐसे में कयासों का बाजार गर्म है।
किसे कहां से मिला टिकट ?
आरएलपी ने जो 10 उम्मीदवारों की सूची जारी की है, उसमें सबसे बड़ा नाम सांसद हनुमान बेनीवाल हैं। जो खींवसर से लड़ेंगे। वहीं पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पुखराज गर्ग को भोपालगढ़ और इंदिरा देवी बाबरी को मेड़ता से दोबारा मैदान में उतारा गया है। हनुमान बेनीवाल ने कांग्रेस छोड़कर आए दो बड़े नेताओं को भी टिकट दिया है। बीकानेर जिले के नोखा सीट से दो बार के विधायक रहे रेवंत राम पंवार को को कोलायत से प्रत्याशी घोषित किया गया है।
पंवार तीन दिन पहले ही आरएलपी में शामिल हुए थे। वहीं, कांग्रेस नेता लच्छाराम बडारड़ा को परबतसर से कैंडिडेट बनाया गया है। इसी तरह पार्टी ने बद्रीलाल जाट को सहाड़ा, उम्मेदाराम बेनीवाल को बायतू, लालचंद मूंड को सरदार शहर, महेश सैनी को सांगानेर और डॉक्टर अजय त्रिवेदी को जोधपुर शहर से टिकट दिया है।
आरएलपी का सियासत में कितना दखल
राजस्थान की राजनीति में हनुमान बेनीवाल का ग्राफ काफी तेजी से बढ़ रहा है। दो ताकतवर दलों कांग्रेस और बीजेपी के वर्चस्व के बीच वह राज्य में अपनी सियासी पैठ बनाने में जुटे हुए हैं। जाट बिरादरी से आने वाले बेनीवाल की गिनती अपनी जाति के बड़े नेताओं में होने लगी है। 2018 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने अपनी ताकत का अहसास कराया भी था। उनकी पार्टी आरएलपी 58 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। पार्टी को तीन सीटों पर जीत मिली थी और दो सीटों पर दूसरे स्थान पर रही थी। इसके अलावा 24 सीटों पर उसके उम्मीदवार तीसरे स्थान पर रहे थे।
2018 के बाद हुए तीन विधानसभा उपचुनाव में भी पार्टी का प्रदर्शन शानदार रहा था। आरएलपी ने खींवसर में जहां जीत हासिल की थी। वहीं, एक उपचुनाव में पार्टी दूसरे नंबर पर और दूसरे उपचुनाव में तीसरे नंबर पर रही थी पिछले विधानसभा चुनाव में आरएलपी के शानदार प्रदर्शन को देखते हुए 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने उनके साथ गठबंधन किया था। 25 लोकसभा सीटों में से 24 पर बीजेपी और एक नागौर सीट पर बेनीवाल चुनाव लड़े थे। वसुंधरा राजे सिंधिया के मुखर विरोधी माने जाने वाले हनुमान बेनीवाल ने किसान आंदोलन के दौरान बीजेपी से नाता तोड़ लिया था।
चंद्रशेखर आजाद के साथ किया गठबंधन
आरएलपी संयोजक हनुमान बेनीवाल राजस्थान विधानसभा चुनाव में तीसरा मोर्चा बनाने की कोशिश में हैं। उन्होंने दलित नेता चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के साथ गठबंधन किया है। एक दिन पहले ही इसका ऐलान हुआ है। इसके ऐलान ने राजस्थान की सियासत में खलबली मचा दी है। नागौर सांसद बेनीवाल फिलहाल 125 विधानसभा क्षेत्रों के लिए 'सत्ता परिवर्तन संकल्प' यात्रा पर हैं, जिसका समापन 29 अक्टूबर को है। इसी दिन एक बड़ी रैली आयोजित की जाएगी, जिसमें गठबंधन का विधिवत रूप से ऐलान होगा। दोनों पार्टियों के बीच सीटों को लेकर बातचीत जारी है। दरअसल, राजस्थान में 12 से 14 फीसदी जाट और करीब 17 फीसदी दलित मतदाता हैं। ऐसे में अगर जातीय गणित सही बैठा तो प्रदेश की राजनीति में बड़ा उलटफेर देखने को मिल सकता है।
बता दें कि राजस्थान में 25 नवंबर को सभी 200 सीटों पर विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होने हैं। तीन दिसंबर को बाकी के चार राज्यों के साथ यहां के भी नतीजे आएंगे।