Rajasthan New CM: महारानी अड़ी, मुसीबत बढ़ी
Rajasthan New CM: पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को सीएम पद से कम कुछ भी मंजूर नहीं है। दबाव की रणनीति अपनाते हुए वसुंधरा लगातार विधायकों से मुलाकात करने में जुटी हुई है।
Rajasthan New CM: राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ का विधानसभा चुनाव जीतने के बाद भाजपा ने छत्तीसगढ़ में तो नेतृत्व का मसला हल कर लिया है मगर बाकी दो राज्यों में अभी भी सीएम पद को लेकर फैसला लटका हुआ है। छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय के नाम पर मुहर लग गई है अब राजस्थान और मध्य प्रदेश में नए सीएम के फैसले का इंतजार किया जा रहा है। राजस्थान में मामला ज्यादा उलझा हुआ है क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को सीएम पद से कम कुछ भी मंजूर नहीं है। दबाव की रणनीति अपनाते हुए वसुंधरा लगातार विधायकों से मुलाकात करने में जुटी हुई है।
नए सीएम के नाम पर मुहर लगाने के लिए पार्टी के सीट से नेतृत्व की ओर से पर्यवेक्षक बनाए गए केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सरोज पांडे और पार्टी महासचिव विनोद तावडे अभी तक जयपुर नहीं पहुंचे हैं। राजनाथ सिंह की लखनऊ में व्यस्तता की वजह से अब भाजपा विधायक दल की बैठक मंगलवार को होने वाली है। वैसे वसुंधरा की सीएम पद को लेकर जिद पार्टी हाईकमान के लिए बड़ी मुसीबत बन गई है।
विधायकों से मुलाकात करने में जुटी हैं वसुंधरा
राजस्थान में भाजपा की बड़ी जीत के बाद से ही पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे विधायकों से मुलाकात करने में जुटी हुई हैं। विधायकों से कई दौर की मुलाकात के बाद वे बुधवार को राजधानी दिल्ली पहुंची थीं। दिल्ली में उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा से मुलाकात की थी। रविवार की सुबह वसुंधरा जयपुर लौट आईं और उन्होंने विधायकों से मुलाकात का कार्यक्रम जारी रखा।
रविवार को वसुंधरा के आवास पर मुलाकात के लिए भाजपा के 13 विधायक पहुंचे। विधायकों से वसुंधरा की इस मुलाकात को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। वसुंधरा के कई समर्थक विधायक खुलकर उन्हें मुख्यमंत्री पद की कमान सौंपने की मांग कर रहे हैं। इसे वसुंधरा की दबाव की रणनीति और शक्ति प्रदर्शन के रूप में देखा जा रहा है।
वसुंधरा को सीएम बनाने की मांग
वसुंधरा ने रविवार को विधायकों के अलावा भाजपा के कई अन्य वरिष्ठ नेताओं से भी मुलाकात की। वसुंधरा से रविवार को मुलाकात करने वालों में भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी, पूर्व मंत्री राजपाल सिंह शेखावत, पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी और पूर्व विधायक प्रह्लाद गुंजल भी शामिल थे। मुलाकात के बाद गुंजल ने खुलकर वसुंधरा को मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर डाली।
जानकार सूत्रों का कहना है कि भाजपा नेताओं से मुलाकात के दौरान वसुंधरा ने विधायक दल की बैठक और आगे की रणनीति पर चर्चा की है। सियासी जानकारी का कहना है कि वसुंधरा मुख्यमंत्री पद की जिद पर अड़ी हुई हैं और उनका यह रवैया हाईकमान को चुनौती देने वाला माना जा रहा है। वसुंधरा के इस रुख से साफ हो गया है कि हाईकमान उन्हें मुख्यमंत्री पद सौंपने के मूड में नहीं दिख रहा है और इसीलिए वे समर्थक विधायकों के जरिए दबाव बनाने की कोशिश में जुटी हुई हैं।
वसुंधरा की जिद बनी बड़ी मुसीबत
इस बीच विधायक दल की बैठक भी टल गई है। सूत्रों का कहना है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का आज लखनऊ दौरा प्रस्तावित है और लखनऊ के सांसद होने का कारण रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह लखनऊ में रहेंगे। हालांकि इसके पीछे राजस्थान में मुख्यमंत्री पद को लेकर फंसे पेंच को भी बड़ा कारण माना जा रहा है। राजस्थान में भाजपा विधायक दल की बैठक अब मंगलवार को होगी। वैसे यह अभी माना जा रहा है कि हाईकमान वसुंधरा राजे को नाराज नहीं करना चाहता। वसुंधरा की जिद ही हाईकमान की राह में सबसे बड़ा रोड़ा बनी हुई है।
राजस्थान में वसुंधरा ही भाजपा का सबसे बड़ा चेहरा हैं। राजस्थान में भाजपा 2014 और 2019 की बड़ी जीत को दोहराने की कोशिश में जुटी हुई है और ऐसे में वसुंधरा की नाराजगी पार्टी के लिए भारी साबित हो सकती है। अब सबकी निगाहें राजस्थान में विधायक दल की बैठक और उसमें लिए जाने वाले फैसले पर टिकी हुई हैं।
एक साल के लिए मांगा सीएम पद
इस बीच जानकार सूत्रों का कहना है कि वसुंधरा ने पार्टी अध्यक्ष नड्डा से टेलीफोन पर बातचीत करके एक साल तक मुख्यमंत्री बनाने की मांग की है। उन्होंने केंद्रीय नेतृत्व से कहा है कि एक साल बाद वे खुद मुख्यमंत्री पर छोड़ देंगी। सूत्रों का कहना है कि पार्टी नेतृत्व की ओर से वसुंधरा को विधानसभा का स्पीकर बनाने का प्रस्ताव दिया गया है मगर वे इसके लिए तैयार नहीं है। उन्होंने केंद्रीय नेतृत्व के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है।