हादसे का इंतजार! 20 दिन से टूटी पटरी से गुजर रही राजधानी सहित कई ट्रेने

Update: 2016-11-21 12:31 GMT

वाराणसी: कानपुर में हुए भीषण रेल हादसे के बाद भी रेल प्रशासन की लापरवाही खत्म होने का नाम नहीं ले रही। ताजा मामला पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी का है।

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यहां रेल प्रशासन की लापरवाही और संवेदनहीनता का आलम ये है कि सारनाथ स्टेशन के नजदीक एक व्यस्ततम रेलवे फाटक के सामने की रेल पटरी का चीक टूटा हुआ है। उस पर राजधानी के अलावा दो दर्जन से ज्यादा एक्सप्रेस ट्रेनें गुजर रही हैं। खास बात ये है कि स्टेशन के बगल में टूटी पटरी की जानकारी न तो यहां के स्टेशन मास्टर को थी और न ही किसी उच्च अधिकारी को। रेलवे प्रशासन की इस लापरवाही से तो यही लगता है कि क्या रेलवे प्रशासन कानपुर जैसे बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है।

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क्या है मामला?

सारनाथ स्टेशन के नजदीक है आसापुर रेलवे गेट। यह एनईआर रेलवे के अंतर्गत आता है। इस गेट के पास की रेलवे पटरी का चीक टूटा हुआ है। ऐसा नहीं है कि यह कुछ घंटों पहले ही टूटा है। यह पिछले बीस दिनों से इसी हालत में है।

राजधानी समेत कई गाडियां गुजरती हैं

इसी टूटी पटरी से राजधानी समेत तमाम एक्सप्रेस और पैसेंजर ट्रेन दनदनाते हुए दौड़ रही है। बड़ी बात ये है कि कानपुर हादसे के बाद भी बनारस के रेलवे प्रशासन पर कोई फर्क नहीं पड़ा है। उनकी लापरवाही बदस्तूर जारी है।

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मीडिया ने स्टेशन मास्टर को दिखाई असलियत

स्टेशन मास्टर को तो इस बारे में कुछ भी पता नहीं था। मीडिया ने जब उन्हें तस्वीर दिखाई तो उनके होश उड़ गए। उसने तुरंत इसके बारे में संबंधित अधिकारियों को सूचित किया। स्टेशन मास्टर ने माना कि इस टूटी हुई चीक के कारण कोई भी बड़ा हादसा हो सकता है।

क्या होता है रेलवे चीक

रेलवे चीक मेन पटरी से सटाकर लगाया जाता है। इसका काम सड़क की मिट्टी या गिट्टी को मेन ट्रैक से दूर रखना होता है। यह चीक यदि टूट जाएगा तो मिट्टी या गिट्टी मेन पटरी पर आ जाएगी। इससे ट्रेन डिरेल हो जाएगा।

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क्या कहना है स्टेशन मास्टर का?

इस संबंध में स्टेशन मास्टर राजेश कुमार का कहना है कि मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी। मीडिया के जरिए ही पता चला है। हालांकि ये जिम्मेदारी की मेन या गैंग मेन का है। उनकी सूचना के बाद कार्रवाई की जाती है। जब उनसे ये पूछा गया कि क्या इस टूटी पटरी से कोई बड़ा हादसा हो सकता है, तो राजेश का कहना था कि 'संभावना तो बनती है।' वैसे इस तरह की कोई सूचना मिलती है तो हम उसे इंजीनियरिंग विभाग को बताते हैं।

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