राज्यसभा के लिए भारी उथलपुथल वाला है नया साल- 59 सीटों पर होंगे 2018 में चुनाव
नई दिल्ली : राज्यसभा में विवादास्पद तीन तलाक के अटके विधेयक को पारित करने के लिए भाजपा को अब अगले डेढ़ साल के भीतर होने वाले सियासी घटनाक्रमों पर निर्भर रहना होगा। राज्यसभा के लिए यह साल भारी उठापठक वाला होगा क्योंकि उच्च सदन में बहुमत के अभाव में मोदी सरकार कई अहम विधेयकों को पारित करवाने के लिए हर तरह के जोड़ तोड़ का इस्तेमाल करेगी।
दूसरी चुनौती यह है कि एकजुट विपक्ष को झटका देने के लिए इस साल भाजपा को किसी भी सूरत में तीन तलाक विधेयक बिल को पारित करवाना है। लेकिन अभी संसद के उच्च सदन में एनडीए के प्रमुख सहयोगी शिवसेना, टीडीपी, टीआरएस और अन्ना द्रमुक, अकाली दल द्वारा संशोधनों की मांग पर अड़ जाने के बाद। अब भाजपा के पास यही रास्ता बचा है कि वह 2019 के आम चुनावों के पहले तीन तलाक निरोधक बिल को पारित करवाने के लिए उच्च सदन में संख्या बल का जुगाड़ करे।
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उत्तर प्रदेश में जहां कुल 31 राज्यसभा सीटें हैं। वहां क्रमशः 2018 तथा 2019 में बारी-बारी से 14 सीटें खाली होनी हैं। 2018 में 16 राज्यों में राज्यसभा की करीब 159 सीटों पर चुनाव होने हैं। इस साल राज्यसभा में बड़ी तादाद में नए चेहरे आने हैं। यूपी में 10 सीटों का चुनाव एक साथ है इसमें कम से कम 7-8 भाजपा की झोली में जाएंगी। बाकी दो सीटें सपा व एक अन्य के खाते में जाएंगी। कांग्रेस अगर सपा के साथ मिल भी जाए तो उनमें बमुश्किल दो सीटें निकालने की ताकत बची है।
लेकिन इतने भर से भाजपा का काम नहीं चलने वाला। 245 सदस्यों वाले राज्यसभा में अपने व जदयू जैसे खास सहयोगी दलों को साथ लेकर भाजपा के सामान्य बहुमत के लिए 113 का सामान्य बहुमत चाहिए। इसमें कोई संदेह नहीं कि भाजपा राज्यसभा में अपनी सदस्य संख्या में लगातार बढ़ोतरी कर रही है। राष्ट्रपति को इस साल 4 सदस्यों को उच्च सदन में मनोनीत करना है। इसके साथ ही भाजपा लगातार बहुमत की ओर खिसकेगी। दूसरी ओर कांग्रेस जोकि अब तक सबसे बड़ी पार्टी बनी हुई थी अब भाजपा से पिछड़ गई है क्योंकि राज्यों में सरकारें जाने के बाद कांग्रेस की कीमत पर भाजपा की ताकत लगातार आगे बढ़ी है। केवल दिल्ली एक अपवाद है जहां भाजपा को नहीं बल्कि आम आदमी पार्टी को लाभ हुआ। यहां तो कांग्रेस की एक साथ तीन सीटें हाथ से चली गईं। कांग्रेस के डॉ कर्ण सिंह, जनार्दन द्विवेदी और परवेज हाशमी की सीटें खाली होकर आप की झोली में चली गईं।
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इस साल यूपी की 7 समेत बाकी सीटें भी भाजपा की झोली में आने के बाद देश के इतिहास में पहली बार भाजपा राज्यसभा में सबसे बड़ा दल बन जाएगी। उसका मौजूदा 57 का संख्याबल 67 तक पहुंच जाएगा। इस बार गुजरात में कांग्रेस को 77 सीटों का आंकड़ा छूने और दक्षिण के बड़े राज्य कर्नाटक में सरकार हाथ में होने के बाद कांग्रेस अपना दुर्ग बचाने में कामयाब रही।
कर्नाटक चुनाव में बिहार में नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के भाजपा के साथ आने के बाद अब भाजपा की निर्भरता ओडिशा पर टिक गई है क्योंकि वही एक ऐसा प्रदेश है जहां भाजपा को आस बंधी है कि 2019 के लोकसभा चुनावों के साथ ओडिशा में भाजपा किसी न किसी तरह सत्ता में आ सकती है। ओडिशा ही ऐसा प्रदेश है जहां भाजपा की टक्कर बीजू जनता दल जैसी मजबूत क्षेत्रीय पार्टी से होनी है। वहां लोकसभा के साथ ही राज्य विधानसभा के चुनाव होने हैं। ओडिशा में इस बार सरकार बनाने के लिए भाजपा पूरी जान लगा रही है।
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह वहां कुछ समय पूर्व बड़ी रैली कर चुके हैं, यह अलग बात है कि उम्मीद के मुताबिक भीड़ नहीं जुटा सके क्योंकि अभी प्रेक्षकों के मुताबिक वहां भाजपा को अपनी जड़ें जमाने में काफी वक्त लगेगा।