पतंजलि च्वनप्राश के विज्ञापन पर रोक, साबुन और फूड पार्क पर पहले से ही रोक

Update: 2017-09-08 08:28 GMT

नई दिल्ली: बाबा रामदेव उत्पादों के दिन ठीक नहीें चल रहे है। विज्ञापन रणनीति उल्टी पड़ती जा रही है। एक के बाद एक विज्ञापन को कोर्ट द्वारा रोक लगाए जाने के बाद बाबा के उत्पादों पर असर पड़ सकता है। पतंजलि के विज्ञापन विवादित होते जा रहे हैं और कोर्ट नजर तीखी होती जा रही है। ताजा मामला है दिल्ली उच्च न्यायालय ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के च्वनप्राश को बढ़ावा देने वाले विज्ञापनों को प्रसारित करने से रोक लगा दी।

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डाबर इंडिया की याचिका पर अदालत ने यह फैसला दिया कि विज्ञापन में उनके उत्पाद की उपेक्षा की गई है। कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की खंडपीठ ने अंतरिम आदेश में आयुर्वेदिक फर्म पतंजलि को किसी भी प्रकार से विज्ञापनों को प्रसारित करने से रोक लगा दी। अगली सुनवाई 26 सितंबर को होगी। तब तक रोक जारी रहेगी। अदालत ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को नोटिस जारी करके डाबर इंडिया की याचिका पर अपना पक्ष रखने को कहा है।

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अपनी याचिका में डाबर ने क्षतिपूर्ति के लिए 2.01 करोड़ रुपये की मांग की है। इसके पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट ने राम देव के नोएडा फूड पार्क पर रोक लगा दी थी। बाम्बे हाई कोर्ट ने अगले आदेश तक साबुन विज्ञापन पर रोक लगाई है।

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