CRPF में आनन-फानन में हुआ तबादला, संदेह के घेरे में गैर IPS अधिकारी
देश के सबसे बड़े अर्धसैनिक बल सीआरपीएफ में 'तबादला युद्ध' शुरू हो गया है। डॉ. एपी महेश्वरी के बल के महानिदेशक पद की कमान संभालने के बाद 22 फरवरी को पहली तबादला सूची जारी की गई है। इसमें आईजी स्तर के 11 अधिकारियों का नाम शामिल हैं।
नई दिल्ली देश के सबसे बड़े अर्धसैनिक बल सीआरपीएफ में 'तबादला युद्ध' शुरू हो गया है। डॉ. एपी महेश्वरी के बल के महानिदेशक पद की कमान संभालने के बाद 22 फरवरी को पहली तबादला सूची जारी की गई है। इसमें आईजी स्तर के 11 अधिकारियों का नाम शामिल हैं। आरोप है कि कुछ गैर-आईपीएस यानी 'कॉडर' अधिकारियों को दो साल में ही सीआरपीएफ मुख्यालय से बाहर कर दिया गया है।
मिली पसंदीदा पोस्टिंग
कई ऐसे आईपीएस अफसर हैं, जिन्हें पसंदीदा पोस्टिंग मिली है। उन्हें मुख्यालय से बाहर गए भले ही एक-दो साल हुए थे, लेकिन उन्हें अच्छी पोस्टिंग मिली है। कॉडर अधिकारी, जिन्हें मुख्यालय से बाहर हुए 4 साल या उससे ज्यादा का समय हो चुका है, लेकिन उन्हें दिल्ली नहीं लाया गया।
बताया जाता है कि एक गैर आईपीएस अफसर, जो 25 साल में पहली बार दिल्ली आए थे, उन्हें दो साल से पहले ही बाहर का रास्ता दिखा गया। बल के रिटायर अफसरों का कहना है कि अपने हितों के लिए यानी 'आर्गेनाइज्ड ग्रुप ए सर्विस' और गैर-कार्यात्मक वित्तीय उन्नयन (एनएफएफयू) पर मुंह खोलने वाले कई अफसरों पर गाज गिराई गई है।
इनका हुआ तबादला
*केएस भंडारी को आईएसएएम से आरएएफ सेक्टर में लगाया गया है। अरूण कुमार को आरएएफ से आईएसएएम आबू, प्रदीप कुमार सिंह को इंटेलीजेंस से वेस्ट बंगाल सेक्टर में, अंशुमन यादव को एमएंडएन सेक्टर से आईजी इंटेलीजेंस लगाया गया है। बता दें कि इस पद पर पहले पीके सिंह थे, जो कि कॉडर अफसर हैं।
*अब इस पद की कमान आईपीएस को सौंपी गई है। रणदीप दत्ता सीआरपीएफ अकादमी कादरपुर से एमएंडएन सेक्टर, एवी चौहान को राजस्थान सेक्टर से कादरपुर अकादमी में नियुक्ति दी गई है। विक्रम सहगल को आईजी एस्टेब्लिश से राजस्थान सेक्टर में भेजा गया है। विवेक वैद्य को डीटीई जन. से इस्टेब्लिश की कमान दी गई है।
*अजय कुमार यादव, आईपीएस को आईजी कम्युनिकेशन एंड आईटी से आईजी प्रोविजनिंग लगाया गया है। आरडीएस साही को एसएनआर सेक्टर से आईजी कम्युनिकेशन एंड आईटी के पद पर भेजा गया है। जीवीएच गिरी प्रसाद को केके सेक्टर से बिहार सेक्टर में लगाया गया है।
*सीआरपीएफ के रिटायर्ड कॉडर अधिकारियों का कहना है कि जब से 'आर्गेनाइज्ड ग्रुप ए सर्विस', गैर-कार्यात्मक वित्तीय उन्नयन (एनएफएफयू) और गैर-कार्यात्मक चयन ग्रेड (एनएफएसयू) जैसे मामलों को लेकर हमारे अफसरों ने आवाज उठाई है, तभी से उनके खिलाफ कथित तौर पर एक मुहिम शुरू हो गई।
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ये मामले सुप्रीम कोर्ट में
*ये मामले सुप्रीम कोर्ट में चल रहे हैं और पांच मार्च को केंद्र सरकार इस पर कोई फाइनल जवाब दे सकती है। अभी जो तबादले हुए हैं, उनमें आईजी रणदीप दत्ता ऐसे कॉडर अफसर हैं, जो करीब दो दशक बाद दिल्ली लौटे थे। वे 16 मार्च 2018 को दिल्ली आए, लेकिन अब उन्हें मुख्यालय से बाहर भेज दिया गया है। दत्ता की दलील थी उनके पिता की आयु 90 साल है, उनका इलाज कराना है, लेकिन अब उन्हें यहां से रवाना कर दिया गया। उन्हें उम्मीद थी कि दिल्ली में कम से कम चार साल की पोस्टिंग तो मिलेगी।
*दूसरी ओर आईपीएस अजय यादव, जिन्हें 30 जनवरी 2018 में जोराहट लगाया गया था, वे जनवरी 2019 तक वहां पर रहे। इसके बाद वे दिल्ली आ गए। राजेश कुमार मणिपुर में 25 अप्रैल 2018 से नौ जून 2019 तक रहे। इसी तरह राजू भार्गव 14 मार्च 2017 से 31 जनवरी 2018 तक जोराहट में तैनात रहे थे।
*सुभाष चंद्रा, ऐसे अधिकारी हैं, जो दिसंबर 2016 से लखनऊ में ही जमें हैं। बी श्रीनिवास जो 2013 में सीआरपीएफ आए थे, उन्हें 2014 से 2019 तक राजस्थान सेक्टर में रखा गया। इस बीच उन्होंने एक साल का कोर्स भी किया। आरोप है कि ये सभी आईपीएस हैं, तो इन्हें मन पसंद पोस्टिंग मिल जाती है।
*आईपीएस वितुल कुमार 2018 में उड़ीसा गए, तो जुलाई 2019 में दिल्ली आ गए। बताया गया है कि वे किसी ड्यूटी की आड़ में बहुत जल्दी-जल्दी दिल्ली आए। अतुल करवाल मई 2015 से दिसंबर 2016 तक श्रीनगर में रहे। इसके बाद दिल्ली आ गए। तीन साल तक दिल्ली में रहे।
*अंशुमन यादव, जो फरवरी 2019 में मणिपुर गए थे, अब वे दिल्ली लौट आए हैं। इनसे पहले कॉडर अफसर विक्रम सहगल वहां 2015 से लेकर 2018 तक आईजी रहे। इसके बाद सहगल को दिल्ली लाया गया, लेकिन अब तबादला सूची में उनका नाम भी डाल दिया गया। आईपीएस राजकुमार, 2016 से 2019 तक मुंबई में तैनात रहे।
*आईपीएस अनुपम कुलश्रेष्ठ ने तो रिकॉर्ड बना दिया है। वे फरवरी 2012 में दिल्ली मुख्यालय आई थीं और फरवरी 2020 तक यहीं रही हैं। संजय लाटकर 2016 से 2019 तक रांची में रहे। आईपीएस डीएस चौहान, 2016 से 2017 तक छत्तीसगढ़ में तैनात रहे। इस बीच हादसा भी हुआ, जिसमें दर्जनों जवान शहीद हुए थे।उन्हें अक्टूबर 2017 में दिल्ली की पोस्टिंग मिल गई। जनवरी 2020 तक वे दिल्ली में रहे।
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इसी तरह आईजी भाटिया केवल एक साल बिहार में रहे, 2018 से वे दिल्ली में हैं। आईपीएस रेखा लोहानी 2017 में आईबी से सीआरपीएफ में आईं। दो साल में ही वे उड़ीसा चली गईं। आईपीएस रविंद्र कुमार 2017 से कोलकाता में थे, एक साल के कोर्स में दिल्ली आ गए। कॉडर अधिकारी संजय कौशिक 2016 से गोवाहाटी में हैं। उन्होंने दिल्ली आने के लिए केंद्रीय गृहमंत्री से लेकर गृह सचिव तक को तबादले का आवेदन दिया, लेकिन कुछ नहीं हुआ। दिल्ली या मुंबर्ह मांगा तो ग्वालियर दे दिया। कॉडर अफसर राकेश यादव 2017 से महाराष्ट्र में हैं। पहले जयपुर में थे। उन्होंने दिल्ली मांगा, नहीं मिला। बीमार पत्नी का हवाला दिया, कोई फायदा नहीं हुआ।