दिल्ली हिंसा व लाल किले की घटना पर संघ भड़का, सरकार पर सख्त कार्रवाई का दबाव

दिल्ली पुलिस की ओर से अभी तक इस मामले में 15 एफआईआर दर्ज की जा चुकी है मगर संघ के रुख से सरकार पर किसान आंदोलन से अब कड़ाई से पेश आने का दबाव बढ़ गया है।

Update: 2021-01-27 05:58 GMT
दिल्ली हिंसा व लाल किले की घटना पर संघ भड़का, सरकार पर सख्त कार्रवाई का दबाव (PC: social media)

नई दिल्ली: गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली में हुई हिंसा, उपद्रव और लालकिले पर निशान साहिब को फहराए जाने के मामले में सरकार पर कार्रवाई का दबाव बढ़ता जा रहा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी इस घटना पर तीखी प्रतिक्रिया जताते हुए ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा की निंदा की है। संघ ने लालकिले की घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि देश की आजादी के लिए अपने प्राणों का बलिदान करने वाले शहीदों का अपमान किया गया है।

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दिल्ली पुलिस की ओर से अभी तक इस मामले में 15 एफआईआर दर्ज की जा चुकी है मगर संघ के रुख से सरकार पर किसान आंदोलन से अब कड़ाई से पेश आने का दबाव बढ़ गया है। सरकार भी अब आंदोलन से कड़ाई से पेश आने के मूड में दिख रही है और हिंसा की घटनाओं के बाद दिल्ली में अर्धसैनिक बलों की तैनाती का भी फैसला किया गया है।

गणतंत्र दिवस पर हिंसा की कड़ी निंदा

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह सुरेश भैया जी ने दिल्ली हिंसा के बाद एक बयान जारी कर घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। उन्होंने कहा कि गणतंत्र दिवस का दिन पावन मौका होता है और इस मौके पर हिंसा और अशांति की घटनाएं बेहद दुखद एवं निंदनीय हैं।

लाल किले की घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया

संघ नेता ने कहा कि लालकिले पर राष्ट्रीय ध्वज ही शोभा देता है और राष्ट्रीय ध्वज के इतर झंडा फहराने की घटना काफी दुर्भाग्यपूर्ण है। ऐसा करना उन शहीदों का अपमान है जिन्होंने देश को आजादी दिलाने के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया।

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उन्होंने देशवासियों से राजनीतिक और वैचारिक मतभेदों से ऊपर उठने की अपील भी की। उन्होंने कहा कि सबसे जरूरी चीज अमन और चैन कायम करना है और प्राथमिकता के आधार पर इस दिशा में काम किया जाना चाहिए।

विरोध के नाम पर हुआ नंग नाच

उल्लेखनीय है कि गणतंत्र दिवस के दिन किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान दिल्ली में बड़े पैमाने पर हिंसा की घटनाएं हुईं। इस दौरान सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने के साथ ही पुलिसकर्मियों पर ट्रैक्टर चढ़ाने की कोशिश भी की गई।

नए कृषि कानूनों पर विरोध जताने के लिए निकाली गई ट्रैक्टर परेड के दौरान आंदोलनकारी किसानों का एक हिस्सा तय रूट से हटते हुए दिल्ली के विभिन्न इलाकों में पहुंच गया और फिर ऐतिहासिक इमारत लालकिले के कुछ गुंबदों पर अपना झंडा भी फहरा दिया।

सख्त कार्रवाई के मूड में दिल्ली पुलिस

इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर हुई तीखी प्रतिक्रिया के बाद संघ ने भी इस घटना पर गहरी नाराजगी जताई है। बातचीत के जरिए विवाद को सुलझाने में जुटी केंद्र सरकार पर अब सख्त कार्रवाई का दबाव बढ़ने लगा है। गृह मंत्रालय के कड़े रुख के बाद दिल्ली पुलिस भी आंदोलनकारियों की पहचान करने में जुट गई है।

इसके लिए जगह-जगह लगे सीसीटीवी कैमरों की मदद ली जा रही है। इसके साथ ही नांगलोई, मुकरबा चौक, लाल किला और अन्य स्थानों पर सीसीटीवी कैमरों से फुटेज निकालने के लिए स्पेशल सेल और क्राइम ब्रांच की मदद भी ली जा रही है।

भड़काने वालों की पहचान के प्रयास

पुलिस के निशाने पर ऐसे आंदोलनकारी हैं जिन्होंने पुलिस पर हमला करने के साथ ही सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया और लाल किले पर चढ़कर तिरंगे से इतर ध्वज फहरा दिया। ऐसे किसान नेताओं की भी पहचान की जा रही है जिन्होंने प्रदर्शनकारियों को तय रूट से अलग हटकर नए रूट पर जाने के लिए भड़काया।

हिंसा की इन घटनाओं में गैंगेस्टर लक्खा सिंह सिधाना का नाम भी आया है। जानकारों का कहना है कि दिल्ली में हुई हिंसा की घटना में सिधाना और उसके साथियों की बड़ी भूमिका रही है। दिल्ली पुलिस अब इस मामले में भी जांच पड़ताल कर रही है।

किसान यूनियन ने सिद्धू को दोषी ठहराया

उधर किसान नेता भी दिल्ली हिंसा के बाद बचाव का रास्ता तलाशने की कोशिश में जुटे नजर आ रहे हैं। भारतीय किसान यूनियन के नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने आरोप लगाया है कि किसानों का लाल किले पर जाने का कोई कार्यक्रम ही नहीं था और पंजाबी एक्टर दीप सिद्धू ने किसानों को भड़काया और आउटर रिंग रोड से लाल किले ले गया।

उन्होंने किसान आंदोलन के शांतिपूर्ण होने का दावा करते हुए कहा कि किसान किसान शांतिपूर्ण ढंग से अपना विरोध जताते रहेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि यह आंदोलन धार्मिक नहीं बल्कि किसानों से जुड़ा हुआ है।

सिद्धू ने आरोपों को किया खारिज

दूसरी ओर एक्टर दीप सिद्धू का कहना है कि लाल किले पर झंडा तो उन्होंने ही फहराया है मगर उन्होंने अपने ऊपर लगे आरोपों को पूरी तरह खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि कुछ संगठनों के नेताओं ने पहले ही यह बात कही थी कि वे तय रूट को फॉलो नहीं करेंगे मगर भारतीय किसान यूनियन ने इसे नजरअंदाज कर दिया।

दीप सिद्धू पिछले दो महीनों के दौरान किसान आंदोलन में लगातार सक्रिय हैं और कुछ दिनों पहले सिख फॉर जस्टिस के साथ रिश्ते को लेकर उन्हें नोटिस भी जारी किया गया था।

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वीडियो जारी कर पेश की सफाई

दीप सिद्धू ने किसान संगठनों के आरोपों पर वीडियो जारी कर अपनी सफाई पेश की है। सिद्धू ने कहा कि 25 जनवरी को ही किसान नेता सरवन सिंह पंढेर और सतनाम सिंह पन्नू ने कहा था कि वे संयुक्त किसान मोर्चा के बताए रूट पर ट्रैक्टर परेड नहीं निकालेंगे। इसके साथ ही युवाओं ने भी मोर्चा के मंच पर कब्जा करते हुए साफ कर दिया था कि पुलिस के दिए गए रूट पर परेड नहीं निकलेगी।

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इसके बावजूद संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। सच्चाई यह है कि दिल्ली में हुई हिंसा की घटना के बाद किसान प्रदर्शनकारियों में आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है और सब बवाल के लिए एक-दूसरे को दोषी ठहराने में जुट गए हैं।

रिपोर्ट- अंशुमान तिवारी

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