बंद 2000 का नोट: RBI ले सकती है ऐसा फैसला, इस वर्ष नहीं हुई छपाई

RBI ने हाल ही में अपनी सालाना रिपोट पेश किया हैं। जिसमें उन्होंने कि साल 2019-20 में 2000 रुपये के नोट की छपाई नहीं की गई है। बीते सालों में भी 2000 रुपये के नोट का सर्कुलेशन भी कम हुआ है।

Update:2020-08-25 15:22 IST
The circulation of 2000 rupee note has also reduced in the past years.

पिछले कुछ महीनों से आप जब भी ATM जाते होंगे तो आपने शायद ही ध्यान दिया होगा कि जब भी आप पैसे निकने के लिए बटन दबाते होने तो उसमे 2000 मुश्किल से ही निकलते होंगे। इसकी वजह है नोट की छपाई में कमी। RBI ने हाल ही में अपनी सालाना रिपोट पेश किया हैं। जिसमें उन्होंने कि साल 2019-20 में 2000 रुपये के नोट की छपाई नहीं की गई है। बीते सालों में भी 2000 रुपये के नोट का सर्कुलेशन भी कम हुआ है।

2020 का सर्कुलेशन

2000 रुपये के नोट का सर्कुलेशन मार्च 2018 के अंत में 33,632 लाख पीस था जो मार्च 2019 के अंत तक घटकर 32,910 लाख पीस पर आ गया। आरबीआई ने अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा कि मार्च 2020 के अंत तक 2000 रुपये के नोट का सर्कुलेशन घटकर 27,398 लाख पीस पर आ गया है।

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कोविड-19 से परेशानी

भारतीय रिजर्व बैंक ने आगे कहा कि कोविड-19 महामारी के बीच भारत को सतत वृद्धि की राह पर लौटने के लिए गहरे और व्यापक सुधारों की जरूरत है। केंद्रीय बैंक ने आगाह किया है कि इस महामारी की वजह से देश की संभावित वृद्धि दर की क्षमता नीचे आएगी। रिजर्व बैंक ने अपने आकलन और संभावनाओं में कहा है कि कोविड-19 महामारी ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को बुरी तरह से तोड़ दिया है। भविष्य में वैश्विक अर्थव्यवस्था का आकार इस बात पर निर्भर करेगा कि इस महामारी का फैलाव कैसा रहता है, यह महामारी कब तक रहती है और कब तक इसके इलाज का टीका आता है। केंद्रीय बैंक का 'आकलन और संभावनाएं 2019-20’ की वार्षिक रिपोर्ट का हिस्सा हैं।

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व्यापक सुधारों की जरूरत

रिजर्व बैंक ने कहा कि एक बात जो उभरकर आ रही है, वह यह है कि कोविड-19 के बाद की दुनिया बदल जाएगी और एक नया सामान्य सामने आएगा। रिजर्व बैंक ने कहा कि महामारी के बाद के परिदृश्य में गहराई वाले और व्यापक सुधारों की जरूरत होगी। उत्पाद बाजार से लेकर वित्तीय बाजार, कानूनी ढांचे और अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा के मोर्चे पर व्यापक सुधारों की जरूरत होगी। तभी आप वृद्धि दर में गिरावट से उबर सकते हैं और अर्थव्यवस्था को वृहद आर्थिक और वित्तीय स्थिरता के साथ मजबूत और सतत वृद्धि की राह पर ले जा सकते हैं।

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