राजस्थान में फिर बगावत की गंध, राहुल से मिलने पर क्यों अड़े हैं पायलट गुट के MLA

पूर्व मंत्री रमेश मीणा के बाद अब सचिन पायलट समर्थक दो और विधायकों ने विधानसभा में सीट आवंटन और विकास कामों में एससी, एसटी और माइनॉरिटी के साथ भेदभाव का मुद्दा उठा दिया है। ये दोनो पूर्व मंत्री और दौसा विधायक मुरारीलाल मीणा और चाकसू विधायक वेदप्रकाश सोलंकी हैं।

Update: 2021-03-12 18:00 GMT
पायलट समर्थक राहुल के दौरे में सचिन को तरजीह न दिये जाने से नाराज थे। पायलट खेमा लगातार अपनी ताकत बढ़ाने में लगा हुआ है।

रामकृष्ण वाजपेयी

लखनऊ: राजस्थान में कांग्रेस की कलह थमने का नाम ले रही है। 2018 में राहुल गांधी की उपस्थिति में अशोक गहलौत और सचिन पायलट गले तो मिले थे लेकिन दोनों को दिल कभी नहीं मिल पाए। इसीलिए पायलट न उपमुख्यमंत्री रहे न प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष हर बार पलड़ा अशोक गहलौत का ही भारी रहा। पिछले दिनों राहुल गांधी ने राजस्थान के अपने दौरे में दोनो नेताओं को साथ लेकर यह संदेश देने की कोशिश जरूर की कि कांग्रेस में सब ठीक है लेकिन दोनों नेताओं के बीच की दूरियां इस दौरे में और बढ़ गईं। हालात यहां तक बिगड़े कि सचिन पायलट को मंच तक से उतार दिया गया।

इसके बाद पायलट गुट ने महापंचायत करके जब 14 विधायकों के साथ अपनी ताकत दिखायी तक गहलौत इसमें शामिल नहीं हुए। अब एक बार फिर राजस्थान कांग्रेस गरमा रही है। सवाल ये नहीं है कि इससे गहलौत को कितना खतरा है। सवाल ये है कि इससे चुनाव के मौके पर राज्यों में क्या संदेश जा रहा है।

''50 लोगों को बिना माइक वाली सीटों पर बैठाया''

पूर्व मंत्री रमेश मीणा के बाद अब सचिन पायलट समर्थक दो और विधायकों ने विधानसभा में सीट आवंटन और विकास कामों में एससी, एसटी और माइनॉरिटी के साथ भेदभाव का मुद्दा उठा दिया है। ये दोनो पूर्व मंत्री और दौसा विधायक मुरारीलाल मीणा और चाकसू विधायक वेदप्रकाश सोलंकी हैं। वेद प्रकाश सोलंकी ने तो साफ आरोप लगाया है कि सदन में जिन 50 लोगों को बिना माइक वाली सीटों पर बैठाया है। इनमेंं से अधिकांश एससी-एसटी और माइनॉरिटी के हैं।

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कुल मिलाकर इन मुद्दों के जरिये पायलट गुट गहलौत को घेरना चाहता है। ये आवाजें रमेश मीणा के समर्थन में उठी हैं जिनमें आने वाले दिनों में कई और विधायक भी कतारबद्ध हो सकते हैं। यह बाद की बात है कि यह 50 विधायक कौन हैं जिनके पास माइक नहीं है। पायलट गुट इस बहाने ये संदेश देना चाहता है कि अनुसूचितों और अल्पसंख्यकों की ताकत के बूते सरकार चला रहे गहलौत उन्हें तवज्जो नहीं दे रहे हैं। और यह संदेश पूरे प्रदेश तक पहुंचाने की मुहिम है। अब इन वर्गों के विधायकों में भी इस बात की चर्चा शुरू हो गई है कि मंत्री उनकी अनसुनी कर रहे हैं। उनकी आवाज दबायी जा रही है। इससे उनके क्षेत्र का विकास प्रभावित हो रहा है। इन मुद्दों का ही असर है कि अब ये सारे विधायक इन मुद्दों को हाईकमान के समक्ष उठाने की तैयारी कर रहे हैं।

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पायलट खेमा लगातार अपनी ताकत बढ़ाने में लगा हुआ है

इससे पहले जयपुर के चाकसू के समीप कोटखावदा में हुई किसान महापंचायत भी पायलट गुट के शक्ति प्रदर्शन में बदली दिखी थी। पायलट समर्थक राहुल के दौरे में सचिन को तरजीह न दिये जाने से नाराज थे। पायलट खेमा लगातार अपनी ताकत बढ़ाने में लगा हुआ है।

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गौरतलब है कि राहुल गांधी के दौरे के दौरान पायलट को साइड करने का पूरा प्रयास किया गया था। दो सभाओं में तो बोलने तक का मौका नहीं दिया गया। रूपनगढ़ की सभा में तो पार्टी नेता अजय माकन ने उन्हे मंच तक से नीचे उतार दिया था। फरवरी में राहुल गांधी का दो दिवसीय दौरा तो खत्म हो गया, लेकिन उसकी चोट पायलट समर्थकों में अभी ताजा है और वह सरकार को अपनी ताकत दिखाने पर आमादा हैं। जिसमें बेशक गहलौत सरकार के लिए खतरा खड़ा हो जाए।

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