मोटर व्हीकल एक्ट: सुरक्षा की फिक्र में विरोधियों के रोड़े

Update:2018-08-10 12:25 IST

नई दिल्ली: मोटर व्हीकल एक्ट 2017 में संशोधन के विरोध में रोडवेज और निजी ट्रांसपोर्टर्स ने राष्ट्रव्यापी हड़ताल का एलान कर दिया है। ये बिल लोकसभा में पहले ही पास हो गया था। अब इसे राज्यसभा में पास करने के लिए भेजा जाना है। बिल को मंजूरी मिलते ही देश भर में इसे लागू कर दिया जाएगा, लेकिन विपक्ष ने इस बिल का अभी से विरोध करना शुरू कर दिया है। विपक्ष का कहना है कि वे राज्यसभा में इस बिल को हरगिज पास नहीं होने देंगे।

इस बिल में यातायात नियमों का उल्लंघन करने पर व्यापक स्तर पर कई तरह की पेनाल्टीज का प्रस्ताव किया गया है। इसमें पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले डिफेक्टिव व्हीकल्स पाट्र्स को कम्पनी द्वारा वापस लेने, जुवेनाइल द्वारा यातायात नियमों का उल्लंघन करने पर गाड़ी के स्वामी को आपराधिक तौर पर जिम्मेदार मानने जैसे प्रस्तावों को शामिल किया गया है।

ये होंगे बड़े बदलाव

  • गाड़ी के रजिस्ट्रेशन और ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आधार कार्ड अनिवार्य होगा।
  • हिट एंड रन केस में मौत होने पर सरकार मृतक के परिवार को 2 लाख या इससे अधिक का मुआवजा देगी। अभी इस तरह के केस में 25 हजार रुपये तक मुआवजे का प्रावधान है।
  • अगर किसी जुवेनाइल द्वारा यातायात नियमों का उल्लंघन करते हुए पाया जाता है तो उसके अभिभावक या गाड़ी मालिक भी इसके लिए बराबर के दोषी माने जाएंगे। जब तक कि वे इस बात को पूरी तरह से साबित नहीं कर देते कि ये सब उनकी बिना जानकारी में हुआ है या फिर उन्होंने इसे रोकने की अपनी तरफ से पूरी कोशिश की हो।
  • इस बिल में ऐसे लोगों को बचाने का भी प्राविधान किया गया है जो सडक़ हादसों में राह चलते लोगों की मदद के लिए बिना सोचे समझे आगे आ जाते हैं और बाद में कानूनी पचड़े में फंस जाते हैं। इस बिल को मंजूरी मिलने से ऐसे लोगों को आप्शन दिया जाएगा, अगर वे चाहें तो पुलिस या डॉक्टर को अपनी पहचान बता सकते हैं। इसके लिए उन्हें बाध्य नहीं किया जाएगा।
  • शराब पीकर गाड़ी चलाते पकड़े जाने पर न्यूनतम जुर्माना 2000 की जगह 10000 रुपये देना होगा।
  • रश ड्राइविंग करते पकड़े जाने पर 1000 रुपये की जगह 5000 रुपये जुर्माना देना होगा।
  • बगैर लाइसेंस गाड़ी चलाते पकड़े जाने पर 500 की जगह अब 5000 रुपये जुर्माना देना होगा।
  • तय मानक से ज्यादा तेज रफ्तार में गाड़ी चलाते पकड़े जाने पर 400 रुपये की जगह 1000-2000 रुपये के बीच जुर्माना देना होगा।
  • बगैर सीट बेल्ट के गाड़ी चलाते पकड़े जाने पर 100 रुपये की जगह 1000 रुपये जुर्माना देना होगा।
  • गाड़ी चलाते समय फोन पर बात करते पकड़े जाने पर 1000 रुपये की जगह पांच हजार रुपये जुर्माना देना होगा।
  • कुछ विशेष तरह के सडक़ हादसों के केस में इंश्योरेंस रोड पर चलने वाले सभी लोगों पर लागू होगा। मोटर व्हीकल एक्सीडेंट फंड से उसे उचित मुआवजा दिया जाएगा।
  • सडक़ हादसों के लिए मेंटिनेंस, गलत नक्शा और घटिया निर्माण पाए जाने ठेकेदार, कन्सल्टेंट और कार्यदायी संस्था को दोषी माना जाएगा।
  • हादसों के केस में मुआवजे के क्लेम के लिए अप्लाई करने पर 6 महीने की सीमा निर्धारित होगी।
  • थर्ड पार्टी इंश्योरेंस खत्म होगा। ड्राइविंग लाइसेंस के रिनिवल की अवधि एक महीने से बढ़ाकर एक साल की जाएगी।
  • गाड़ी में इंजन खराब या मानक के अनुरूप न पाए जाने सरकार उसे वापस ले लेगी। साथ ही गाड़ी की निर्माता कम्पनी को इसके लिए 500 करोड़ या इससे ज्यादा का जुर्माना देना होगा।

ये है विरोध की असली वजह

सीटू के नेता राजीव कुमार गुप्ता के मुताबिक व्हीकल अधिनियम संशोधन के माध्यम से केंद्र सरकार मोटर मालिकों, स्पेयर पाट्र्स विक्रेताओं,कंडक्टरों, ड्राइवरों को पूरी तरह बर्बाद करने की तैयारी में हैं। इस विधेयक के पास होने पर वर्तमान बस मालिकों का स्थान बड़े उद्योगपति ले लेंगे। वे भारत में ओला और उबर की तरह बसों का संचालन करेंगे। उन्होंने कहा कि बड़ी कंपनियों की वर्कशॉप पर ब्रांडेड स्पेयर पाट्र्स के ही उपयोग के लिए वाहन मालिक बाध्य होंगे। सभी ड्राइविंग लाइसेंस धारियों के लाइसेंस निरस्त होंगे। उन्हें दोबारा कंप्यूटर पर परीक्षा देकर लाइसेंस बनवाना होगा। छोटी-छोटी गलतियों पर ड्राइवरों पर भारी जुर्माना और सजा का प्रावधान भी इस विधेयक में किया गया है। इस प्रकार वाहन मालिकों, स्पेयर पार्ट विक्रेताओं,ड्राइवर एवं कंडक्टरों के रोजगार छिन जाएंगे।

आरटीओ का करप्शन कम करना मकसद:गडकरी

केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी का कहना है कि आरटीओ अधिकारी इस बिल में संशोधन किए जाने से दुखी हैं। उनके संगठन इस बिल को रुकवाने की कोशिश में जुटे हैं। इसके बावजूद हमें उम्मीद है कि राज्यसभा में सभी दलों के लोग सहयोग करेंगे। अगर यह बिल पास हो जाएगा तो कम से कम जो डेढ़ लाख लोगों की मौत होती है वह 50 फीसदी कम हो जाएगी। कानून का फायदा होगा, इसलिए हम सहयोग मांग रहे हैं। उनका कहना है कि यह राजनीतिक मुद्दा नहीं है। इससे लोगों की जान बचाई जा सकेगी। यह एक बहुत बड़ा रिफॉर्म होगा। हम सभी पार्टी के नेताओं से मिल रहे हैं।

गडकरी के मुताबिक आरटीओ का नंबर डीलर से मिल जाएगा। एक गवर्नेंस के तौर पर इसमें राज्य सरकार के अधिकार का कहां हनन होता है। हम तो आरटीओ के करप्शन को कम करना चाहते हैं। हम पारदर्शिता लाकर लोगों को राहत देना चाहते हैं। सबको यह समझना होगा कि यह बिल जनता के हित में है। हमारा मकसद लोगों की जान बचाना है। इसे हम एक साल से लागू नहीं कर पा रहे हैं। इसीलिए मेरा अनुरोध है कि सभी पार्टियां राजनीति में सहयोग करें। राज्य सरकार के कामों में कोई हस्तक्षेप नहीं होगा।

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