अब बंगाल में भाजपा को घेरने की तैयारी, किसान नेता आज से खोलेंगे मोर्चा
किसान मोर्चा की ओर से 12 से 14 मार्च तक पश्चिम बंगाल के विभिन्न इलाकों में किसान महापंचायतों का आयोजन करने का एलान किया गया है। किसान नेता कोलकाता के साथ ही नंदीग्राम और सिंगूर में भी किसान महापंचायत करेंगे।
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली: केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन भाजपा के लिए बड़ी मुसीबत बन सकता है। किसानों ने अपने आंदोलन को चुनावी राज्यों में ले जाने का फैसला किया है। किसान नेताओं के मुताबिक अब किसान महापंचायतों का आयोजन उन राज्यों में होगा जहां इस महीने और अगले महीने चुनाव होने हैं।
किसान मोर्चा की ओर से 12 से 14 मार्च तक पश्चिम बंगाल के विभिन्न इलाकों में किसान महापंचायतों का आयोजन करने का एलान किया गया है। किसान नेता कोलकाता के साथ ही नंदीग्राम और सिंगूर में भी किसान महापंचायत करेंगे। किसान नेताओं ने कहा है कि वे भाजपा को वोट न देने की अपील भी करेंगे। नंदीग्राम विधानसभा सीट पर ही इस बार मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और भाजपा उम्मीदवार शुभेंदु अधिकारी का मुकाबला होना है।
अब चुनावी राज्यों में होंगी महापंचायतें
संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि केंद्र सरकार कृषि कानूनों की वापसी के संबंध में कोई कोई ठोस फैसला नहीं ले रही है। ऐसी स्थिति में अब चुनावी राज्यों में किसान महापंचायतों का आयोजन किया जाएगा। संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से पश्चिम बंगाल में किए जा रहे आयोजनों को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि यहां पर भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है। पश्चिम बंगाल की चुनावी जंग को भाजपा ने अपनी प्रतिष्ठा की लड़ाई बना लिया है और इसलिए पश्चिम बंगाल में किसान महापंचायतों का आयोजन भाजपा के लिए मुसीबत बन सकता है।
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कोलकाता में रैली के बाद आज बड़ी महापंचायत
मोर्चा की ओर से जारी कार्यक्रम के अनुसार 12 मार्च को दोपहर 12:30 बजे कोलकाता प्रेस क्लब में प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया जाएगा जिसमें नए कृषि कानूनों से किसानों को होने वाले नुकसान का खुलासा किया जाएगा। इसके बाद दोपहर 2:30 बजे गांधी प्रतिमा से रामलीला पार्क तक वाहन रैली निकाली जाएगी और इसके बाद दोपहर 3:00 बजे से 6:00 बजे तक रामलीला पार्क में पश्चिम बंगाल किसान मजदूर महापंचायत का आयोजन किया जाएगा। इस महापंचायत के बाद भवानीपुर स्थित खालसा स्कूल में बुद्धिजीवियों के साथ बैठक की भी योजना है।
नंदीग्राम और सिंगूर भी जाएंगे किसान नेता
संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से नंदीग्राम और सिंगूर में भी महापंचायत आयोजित की जाएगी। 13 मार्च को मायो रोड पर किसान महापंचायत होगी जबकि शाम चार बजे से नंदीग्राम में महापंचायत का आयोजन होगा। इसके बाद कोलकाता में भी किसान मजदूर जनसभा का आयोजन होगा। इस बार के विधानसभा चुनाव में नंदीग्राम की विधानसभा सीट को सबसे हॉट माना जा रहा है, क्योंकि इस सीट पर किस्मत आजमाने के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी खुद उतर गई हैं।
टीएमसी से बगावत कर भाजपा का दामन थामने वाले शुभेंदु अधिकारी से यहां उन्हें सियासी जंग लड़नी होगी। इस चुनाव क्षेत्र पर पूरे देश की निगाहें लगी हुई हैं और इस कारण नंदीग्राम की किसान महापंचायत को सियासी नजरिए से भी देखा जा रहा है। किसान संगठनों ने 14 मार्च को सिंगूर में किसान महापंचायत का आयोजन करने का फैसला लिया है जबकि उसी दिन शाम 4:00 बजे से आसनसोल में भी महापंचायत आयोजित की जाएगी।
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भाजपा को वोट न देने की करेंगे अपील
इस बीच किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि हम नंदीग्राम और कोलकाता में महापंचायत कर किसानों से पूछेंगे कि क्या उन्हें एमएसपी मिल रहा है। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल से ही किसान संगठन निर्णायक संघर्ष का बिगुल फूंकेंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा की नीतियों के कारण देश के किसान काफी परेशान हैं। ऐसे में वे पश्चिम बंगाल के किसानों से चुनाव पर चर्चा करेंगे और भाजपा को हराने की अपील करेंगे।
ममता से मुलाकात की योजना नहीं
हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वे किसी भी दल के पक्ष में अपील या समर्थन नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि हमारा मकसद पश्चिम बंगाल जाकर किसी भी सियासी दल के लिए वोट मांगना नहीं है। टिकैत ने कहा कि मेरी पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात करने की कोई योजना नहीं है। हम वहां पर सिर्फ कृषि कानूनों पर चर्चा करने के लिए जा रहे हैं।
भाजपा के खिलाफ खोलेंगे मोर्चा
दूसरी ओर भारतीय किसान यूनियन राजेवाल के अध्यक्ष बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि किसान आंदोलन के 100 से अधिक दिन बीत चुके हैं। अब हमने कई टीमों का गठन करने का फैसला किया है जो उन राज्यों का दौरा करेगी जहां जल्द ही विधानसभा चुनाव होने हैं। उन्होंने कहा कि हम लोगों से इस बात की अपील करेंगे कि वे भाजपा को वोट न दें।
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महंगा पड़ सकता है किसानों का विरोध
सियासी जानकारों का कहना है कि चुनावी राज्यों में किसानों की महापंचायत भाजपा के लिए मुसीबत का कारण बन सकती है। किसान संगठनों ने चुनावी राज्यों में अपना दम दिखाने का फैसला किया है। इसके साथ ही वे एमएसपी का मुद्दा भी जोरशोर से उठाने के लिए तैयार हैं। पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में भाजपा और टीएमसी के बीच कड़ा मुकाबला हो रहा है और ऐसे में किसानों का विरोध भाजपा के लिए महंगा साबित हो सकता है।
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