शारदा चिटफंड केस: जिसका 'दीदी' ने दिया था साथ, अब वो अफसर होगा गिरफ्तार

शारदा चिटफंड मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट ने पूर्व पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार की गिरफ्तारी पर लगी रोक को हटा दिया है। अब केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) चाहे तो राजीव कुमार को गिरफ्तार कर सकती है।

Update:2023-04-24 22:40 IST

नई दिल्ली: शारदा चिटफंड मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट ने पूर्व पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार की गिरफ्तारी पर लगी रोक को हटा दिया है। अब केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) चाहे तो राजीव कुमार को गिरफ्तार कर सकती है। हाईकोर्ट ने ये भी कहा कि जांच एजेंसी को गिरफ्तारी को सही ठहराना चाहिए।

उच्चतम न्यायालय ने मई 2014 में सुदिप्त सेन नीत शारदा समूह सहित कई चिटफंड घोटालों की जांच सीबीआई को सौंपी थी। इन घोटालों के जरिए निवेशकों को 2500 करोड़ रुपये का चूना लगाया गया था। राजीव कुमार 2013 में बिधाननगर पुलिस आयुक्त थे जब इस घोटाले का खुलासा हुआ था।

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राजीव कुमार कैसे जुड़े इस मामले से

इन चिटफंड घोटालों की जांच करने वाली पश्चिम बंगाल पुलिस की SIT टीम का नेतृत्व 2013 में राजीव कुमार ने किया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक सीबीआई सूत्रों का कहना है कि एसआईटी जांच के दौरान कुछ खास लोगों को बचाने के लिए घोटालों से जुड़े कुछ अहम सबूतों के साथ या तो छेड़छाड़ हुई थी या फिर उन्हें गायब कर दिया गया था। इसी सिलसिले में सीबीआई कुमार से पूछताछ करना चाहती है।

पश्चिम बंगाल का सबसे बड़ा आर्थिक घोटाला

शारदा स्कैम पश्चिम बंगाल और ममता बनर्जी की पार्टी पर लगा करीब 5 से 6 साल पुराना दाग है जिसे वो और उनकी पार्टी आज भी नहीं धो पाई है। ये राज्य के सबसे बड़े आर्थिक घोटाले के तौर पर जाना जाता है। चिटफंड में घोटाला सामने आने के बाद टीएमसी के कई बड़े नेताओं का नाम जुड़ा। दरअसल इस कंपनी पर आरोप लगाए गए हैं कि पैसे ठगने के लिए लोगों से लुभावने वादे किए थे और पैसे को 34 गुना करके वापस करने के लिए कहा गया था।

साल 2013 में सामने आए इस मामले में शारदा कंपनी ने लोगों से 34 गुना फायदा के नाम पर निवेश कराया और पैसा नहीं दे पाए। वहीं इस निवेशकों ने एजेंटो से पैसा मांगा तो कई एंजेटों ने जान दे दी। ये मामला ना केवल बंगाल बल्कि असम, ओडिशा तक पहुंच गया था क्योंकि इन कंपनियों ने यहां भी चिट फंड के नाम पर लोगों को ठगा था।

यह घोटाला इतना बड़ा था कि इसमें 40 हजार करोड़ की हेरा- फेरी की गई थी। साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी करते हुए सीबीआई से कहा था कि वो इस मामले की जांच करे। साथ ही कोर्ट ने पश्चिम बंगाल, ओडिशा और असम पुलिस से कहा था कि वो भी जांच में सहयोग दें।

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शारदा ग्रुप ने 3 साल में खोले 300 ऑफिस

शारदा ग्रुप ने महज 4 साल में पश्चिम बंगाल के अलावा झारखंड, ओडिसा और नार्थ ईस्ट के राज्यों में अपने 300 ऑफिस खोल लिए। पश्चिम बंगाल की इस कंपनी ने लोगों से 20,000 करोड़ रूपये लेकर सारे ऑफिस बंद कर दिए।

क्या है चिटफंड स्कीम

दरअसल चिट फंड एक्ट-1982 के मुताबिक चिट फंड स्कीम का मतलब होता है कि कोई शख्स या लोगों का समूह एक साथ समझौता करे। इस समझौते में एक निश्चित रकम या कोई चीज एक तय वक्त पर किश्तों में जमा की जाए और तय वक्त पर उसकी नीलामी की जाए। जो फायदा हो बाकी लोगों में बांट दिया जाए। साथ ही जो शख्स इसमें बोली लगाता है उसे पैसे भी लौटाने होते है।

नियम कहते है कि ये स्किम किसी संस्था या फिर किसी व्यक्ति के जरिए आपसी संबंधियों या फिर दोस्तों के बीच चलाया जा सकता है लेकिन अब चिट फंड के स्थान पर सामूहिक सार्वजनिक जमा या सामूहिक निवेश योजनाएं चलाई जा रही हैं।

पी चिदंबरम की पत्नी भी शामिल

इस मामले में कांग्रेस सरकार में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम की पत्नी नलिनी के खिलाफ भी आरोप पत्र दाखिल किया गया था। उन पर आरोप है कि उन्होंने शारदा ग्रुप के प्रमुख सुदीप्तो सेन के साथ मिलकर साल 2010 से 2012 के बीच 1.4 करोड़ रुपये लिए थे।

घोटाले में शामिल टीएमटी के नेता ने थामा बीजेपी का हाथ

इस मामले में टीएमसी के नेता मुकुल रॉय और हेमंत बिस्वा शर्मा का नाम भी सामने आया था हालांकि अब ये दोनों ही नेता बीजेपी में शामिल हो चूके है। अब TMC ने मुकुल रॉय और हेमंत बिस्वा शर्मा के खिलाफ जांच नहीं किए जाने का मुद्दा उठाया है।

रोज वैली घोटाला

चिटफंड घोटाले की ही तरह रोज वैली घोटाला भी काफी समय से चर्चाओं में है। रोज वैली चिटफंड घोटाले में रोज वैली ग्रुप ने लोगों 2 अलग-अलग स्कीम का लालच दिया और करीब1 लाख निवेशकों को करोड़ों का चूना लगा दिया था। इसमें आशीर्वाद और होलिडे मेंबरशिप स्कीम के नाम पर ग्रुप ने लोगों को ज्यादा रिटर्न देने का वादा किया। बता दें कि इसमें कई बड़े नेताओं का नाम भी शामिल होने की बात सामने आ चुकी है।

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