सुपरटेक पर SC सख्त, कहा- आप डूबें या मरें, नोएडा के होम बायर्स की रकम लौटाएं
नई दिल्लीः रियल एस्टेट डेवलपर सुपरटेक पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया। मामला नोएडा एक्सप्रेस-वे पर कंपनी की स्कीम एमेराल्ड कोर्ट का है। अदालत ने कंपनी से साफ कहा कि आप चाहें डूबें या मरें, लेकिन घर खरीदने वाले 17 लोगों का पैसा हर हाल में लौटाना ही होगा। बता दें कि कॉमन स्पेस की जगह दो टावर खड़े करने पर लोगों ने आपत्ति जताते हुए अपनी रकम कंपनी से वापस मांगी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस एके गोयल की बेंच ने सुपरटेक से कहा कि हमें आपकी माली हालत से कोई लेना-देना नहीं है। आप डूबें या मरें, हमें इससे भी कोई मतलब नहीं है। कोर्ट का ये सख्त रुख इसलिए सामने आया क्योंकि सुपरटेक ने कुछ दिन पहले कहा था कि घर खरीदने वालों को लौटाने के लिए उसके पास पैसे नहीं हैं।
कोर्ट ने क्या दिया है आदेश?
सुपरटेक एमेराल्ड कोर्ट में घर खरीदने के लिए रकम लगाने वाले 628 लोगों में से 274 ने वैकल्पिक व्यवस्था मांगी थी। जबकि, 108 लोगों ने कंपनी से पैसा वापस मांगा था। इनमें से 17 की अर्जी पर कोर्ट ने सुपरटेक को कहा कि सभी को जनवरी 2015 से अभी तक के मूल धन पर 10 फीसदी की दर से हर साल ब्याज देते हुए चार हफ्ते में पूरा पैसा लौटाया जाए। 25 अक्टूबर को कोर्ट देखेगा कि सभी का पैसा वापस किया गया है या नहीं।
क्या है एमेराल्ड कोर्ट का मामला?
नोएडा के एक शख्स ने साल 2014 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में अर्जी दी थी। उसने आरोप लगाया था कि सुपरटेक ने एमेराल्ड कोर्ट में कॉमन स्पेस वाली जगह पर अवैध रूप से दो टावर खड़े कर दिए हैं। इस पर हाईकोर्ट ने दोनों टावर गिराने के आदेश अप्रैल 2014 में दिए थे। सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि इस आदेश पर रोक लगा दी, लेकिन कंपनी से कहा था कि वह उन लोगों को पैसा वापस करे, जो एमेराल्ड कोर्ट में अब फ्लैट नहीं लेना चाहते।