CAA पर सुप्रीम फैसला आज...SC करेगा नागरिकता कानून पर सुनवाई, विरोध में पड़ी हैं 200 याचिकाएं

CAA hearing: 230 याचिकाओं की सुनवाई भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा के समक्ष लगी है।

Report :  Viren Singh
Update: 2024-03-19 03:28 GMT

SC hearing on CAA (सोशल मीडिया) 

SC hearing on CAA: मोदी सरकार ने अपने 2019 के घोषणापत्र एक वादे को पूरा करते हुए लोकसभा चुनाव से पहले बीते दिनों देश में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 (CAA) कानून लागू कर दिया है। सीएए के लागू होते ही विरोध दल केंद्र सरकार पर हमलावार हैं और इसी टाइमिंग पर सवाल उठा रहे हैं तो वहीं इसको रोकने या फिर कहें कानून को हटाने के लिए कुछ लोगों ने देश की शीर्ष अदालत का रुख किया हुआ है। सुप्रीम कोर्ट में सीएए को रोकने के लिए 200 से अधिक याचिकाएं दायर की गई हैं। इन्हीं दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को सुनवाई करने जा रहा है। जिसके बाद यह पता चलेगा कि सीएए बना रहेगा या फिर रोक दिया जाएगा।

कानून करता है भेदभाव

230 याचिकाओं की सुनवाई भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा के समक्ष लगी है। ये सभी याचिकाएं सीएए कार्यान्वयन और नागरिकता संशोधन नियम 2024 पर रोकने के लिए डाली गई हैं। इन याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि सीएए कानून मुस्लिम समुदाय के साथ भेदभाव करता है। तर्क दिया गया है कि यह धार्मिक अलगाव अनुचित है और अनुच्छेद 14 के गुणवत्ता के अधिकार का उल्लंघन करता है।

केरल से पड़ी पहली याचिका

सीएए के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में सबसे पहली याचिका वर्ष 2020 में केरल राज्य की ओर डाली गई थी। उसके बाद कांग्रेस नेता जयराम रमेश, एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, असम कांग्रेस नेता देबब्रत सैकिया, टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा, गैर सरकारी संगठन रिहाई मंच और सिटीजन्स अगेंस्ट हेट, कुछ कानून के छात्र और असम एडवोकेट्स एसोसिएशन के अलावा करीब 200 लोग सीएए के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

सीएए पर ओवैसी ने उठाए सवाल

पिछले हफ्ते वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने शीर्ष अदालत के समक्ष केरल स्थित इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) द्वारा दायर एक याचिका पेश की थी। याचिका में आईयूएमएल ने लोकसभा चुनाव से कुछ दिन पहले सीएए लागू करने के केंद्र के कदम पर सवाल उठाया। सीएए लागू होने पर एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने केंद्र सरकार इस कदम की कड़ी आलोचना की थी और कहा था कि देश में धर्म के आधार पर कानून बनाने की अनुमति नहीं है।

भाजपा ने दिया जवाब

उन्होंने कहा कि यह केवल राजनीतिक दलों तक ही सीमित मामला नहीं है। यह पूरे देश का मामला है. क्या आप 17 करोड़ मुसलमानों को राज्यविहीन बनाना चाहते हैं? यह संविधान के मूल सिद्धांतों के ख़िलाफ़ है, जबकि भाजपा ने इस पर पटलवार करते हुए ओवैसी जवाब दिया कि सीएए नागरिकता देने वाला कानून है, न कि लेने वाला है।

जानिए क्या है सीएए?

बता दें कि केंद्र सरकार ने 11 मार्च, 2024 को सीएए कानून को लागू कर दिया है। यह कानून संसद से पांच साल पहले 2019 में पारित हो चुका है। इसके लागू होते ही, अब अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान में रह रहे और धार्मिक उत्पीड़न का शिकार बन रहे हिंदू, सिख, जैन, पारसी, बौद्ध या ईसाई समुदायों को भारतीय नागरिकता प्रदान की जाएगी, जो 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत आ चुके हैं। सीएए नागरिकता अधिनियम 1955 में एक संशोधन है।

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