हिरासत में मौत पर SC का बड़ा फैसला, पुलिस अधिकारी को चुकाना होगा जुर्माना

सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस हिरासत में हुई मौत को लेकर शुक्रवार को आदेश दिया है कि जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों पर कड़ा जुर्माना लगाया जाए।

Update: 2021-02-12 15:14 GMT

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने पुलिस हिरासत में हुई मौत को लेकर कठोर टिप्पणी की है और जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों पर कड़ा जुर्माना लगाया है। सुप्रीम कोर्ट ने पीड़ित परिवार को पुलिस अधिकारी की ओर से मुआवजा दिए जाने का आदेश दिया है।

पुलिस कस्टडी में मौत पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

यह मामला उड़ीसा पुलिस से संबंधित है। सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के बाद फैसला दिया है कि पीड़ित परिवार के हरेक उत्तराधिकारी को संबंधित थाने के दोनों दोषी पुलिस अधिकारी अपने निजी कोष से साढे तीन - साढे तीन लाख रुपए की मुआवजा राशि देंगे।

पुलिस हिरासत में हिंसा घोर अपराध

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अपनी टिप्पणी में यह भी कहा कि पुलिस हिरासत में हिंसा किया जाना घोर अपराध है और इससे किसी की मृत्यु हो जाए तो यह सभ्य समाज में माफ करने लायक नहीं है। पुलिस अधिकारियों ने जो अपराध किया है, वह केवल पीड़ित की खिलाफ ही नहीं है बल्कि यह पूरी मानवता के विरुद्ध है और संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मिले अधिकारों का उल्लंघन भी है।

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कोर्ट ने कहा कि यह मामला पुलिस थाने के इंचार्ज और एक वरिष्ठ इंस्पेक्टर से संबंधित है इसलिए बेहद गंभीर मामला है। पुलिस को राज्य में कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने का जिम्मेदार बनाया गया है लोग पुलिस थाने पर तब आते हैं जब उन्हें अपने जीवन और संपत्ति की सुरक्षा को लेकर भय उत्पन्न होता है वह इस उम्मीद के साथ आते हैं कि पुलिस उनकी सुरक्षा करेगी और न्याय दिलाएगी।

इसके विपरीत जब रक्षक ही भक्षक बन जाए और उस नागरिक के साथ क्रूरता और अमानवीय व्यवहार करें तो यह मामला बेहद गंभीर हो जाता है। पुलिस स्टेशन में किसी को अगर पीटा जाता है मारा जाता है तो यह पूरे समाज को भयभीत करने का कारण बनता है।

क्या है पूरा मामला

मामला उड़ीसा के काशीनाथ नाईट से जुड़ा हुआ है जो पूरी घाट पुलिस स्टेशन में अपनी शिकायत लेकर गए थे उनके साथ कुछ लोगों ने मारपीट की थी लेकिन इस मामले में पुलिस स्टेशन के दो अधिकारियों प्रताप कुमार चौधरी और पर्वत चंद्र मोहंती ने बजाए उनकी परेशानी सुनने के उन्हें पुलिस हिरासत में रखकर निर्दयता पूर्वक पीटा। इससे उनकी उसी रात में मौत हो गई।

अखिलेश तिवारी

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