यूपी निर्माण निगम पर उत्तराखंड सरकार की कार्रवाई, 600 करोड़ की प्रापर्टी का खुलासा

Update: 2017-12-22 08:46 GMT

देहरादून। उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम के वित्तीय अनियमितताओं (घोटाले) पर, सीधे मुख्यमंत्री को हस्तक्षेप करना पड़ा है। पिछले पांच वर्षों के किए कार्यों 4200 करोड़ की सघन जांच हो चुकी है। गत 31 मई से उत्तराखंड सरकार ने इनको ब्लैक लिस्टेड कर दिया है। सूत्रों के अनुसार लगभग 800 करोड़ का हिसाब संदेह के घेरे में है। उत्तराखंड के मुख्य सचिव उत्पल कुमार निर्माण निगम के पास बची धनराशि को वसूल करने के आदेश सुना चुके हैं और उस पर तेजी से कार्रवाई भी शुरू हो गई है।

इन जांचों के चलते निर्माण कार्य काफी प्रभावित है। पांच करोड़ से ऊपर की 151 कार्यों की जांच का काम जर्मनी कंपनी टीयूवी को सौंपा गया है। जबकि शेष कार्यों की जांच संबंधित महकमों को कड़ाई से करने के निर्देश दिए गए है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के निर्देश पर निगम के पिछले पांच सालों आवंटित सभी परियोजनाओं को सघन जांच के दायरे में ले लिया गया है। मुख्यमंत्री ने हिदायत दी है यूपी आरएन को दिए गए करीब 458 कार्यों की थर्ड पार्टी जांच हो। पहले चरण में देहरादून और अल्मोड़ा के 15 कार्यों की जांच होगी। माइक्रो लेवल तक परखने के लिए राज्य सरकार ने जांच एजेंसियों को प्रारूप बना कर दिया है।

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स्पेशल आडिट ने यहां पाई गड़बडिय़ां

  • पांच सालों में प्रोक्योरमेंट नियमों, कार्य और मैनुअल को ताक पर रखकर सैकड़ों करोड़ का घपला
  • योजनाओं की राशि के ब्याज व शेष के 50 करोड़ भी दबा लिए।
  • सिडकुल पर यूपी आरएन को खास तवज्जो दी गई।
  • देहरादून इकाई एक, हन्दानी इकाई, श्रीनगर इकाई, विद्युत इकाई अल्मोडा टिहरी, हरिद्वार इकाइयों पर

    स्वीकृति धनराशि से ज्यादा 4.37 करोड़ रुपया खर्च।

  • 11 परियोजनाओं के इस्टीमेट को दोबारा स्वीकृति से 587.32 करोड़ की वृद्धि।
  • निर्माण योजनाओं में मिली धनराशि के ब्याज से प्राप्त 32.89 करोड़ की राशि का घोटाला
  • पूरी हुई योजनाओं में शेष राशि को भी वापस न करना।

दूसरी ओर उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम के जीएम पीके शर्मा ने निगम पर लगे आरोपों को बेबुनियाद ठहराया है और कहा है कि ऑडिट में किसी तरह की कोई गड़बड़ी उजागर नहीं हुई है। पीके शर्मा कहते हैं कि निगम 2009 से उत्तराखंड में 4500 करोड़ के 482 प्रोजेक्टों पर कार्य कर रहा है। करीब 70 फीसदी काम पूरा हो चुका है। निगम का 1410 करोड़ रुपये उत्तराखंड शासन पर बकाया है।

शासन ने अप्रैल 2017 में निगम के कार्यों पर रोक लगा दी है। यह कार्रवाई निगम के तत्कालीन जीएम के घर आयकर की छापेमारी के बाद हुई। उनका दावा है कि आयकर विभाग की टीम को तत्कालीन जीएम के घर से 50 हजार से अधिक नगदी नहीं मिली थी फिर भी निगम के कार्यों को प्रतिबंधित कर दिया गया। जीएम का यह भी कहना है कि 804 करोड़ के ऑडिट में 800 करोड़ के घोटाले का आरोप हास्यास्पद है। निगम को बदनाम करने की साजिश हो रही है। जीएम सेंटेज में छूट की वजह से 100 करोड़ की अनियमितता और 4500 करोड़ की राशि में 38 करोड़ के ब्याज घोटाले पर भी सफाई देते हुए कह रहे हैं कि निगम को सेंटेज में कोई राहत नहीं दी गई है।

पिछले दिनों उत्तराखंड के छह परिसरों में मारे गए छापे के बाद उत्तराखंड में तैनात निर्माण निगम के महाप्रबंधक राम आसरे की 600 करोड़ रुपये की प्रापर्टी का खुलासा आयकर विभाग ने किया था। इस बड़े खुलासे के बाद सरकार ने निर्माण निगम को प्रतिबंधित करते हुए आगे से कार्य न देने फैसला लिया था। कहा जाता रहा है कि राज्य के कुछ मंत्रियों और विधायकों से सांठगांठ कर निर्माण निगम के परियोजना निदेशक यहां चल रहे कार्यों में जमकर धांधली कर करोड़ों रुपये की बन्दरबांट कर रहे थे। यही नहीं पिछले कुछ सालों में यहां तैनात किये गए अभियंताओं ने भी यहां कार्य करने के नाम पर सरकार को जमकर आर्थिक नुकसान पहुंचाया। बताया जाता है कि उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा कि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में भी निर्माण निगम को कार्य न देने का विरोध स्थानीय जनता ने कई बार किया, लेकिन सरकार के कुछ खास विधायकों की निगम के अभियंताओं से सांठगांठ के चलते उसे प्रतिबंधित नहीं किया जा सका।

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