सीलिंग विवाद: कोर्ट की अवमानना मामले में मनोज तिवारी को सुप्रीम कोर्ट से राहत
न्यायालय की अवमानना का दोषी पाए जाने पर अधिकतम छह महीने की कैद की सजा या जुर्माना दोनों की प्रावधान है। जुर्माने की रकम अधिकतम 2,000 रुपये हो सकती है।
नई दिल्ली: दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष और लोकसभा सांसद मनोज तिवारी के लिए राहत की खबर है। सिग्नेचर ब्रिज के उद्घाटन के दौरान पुलिस और आम आदमी पार्टी (आप) के कार्यकर्ताओं के साथ हाथापाई का विडियो वायरल होने के बाद से विवादों में घिरे सांसद मनोज तिवारी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के गोकुलपुरी इलाके में सीलिंग तोड़ने के मामले में आज कोई भी ऐक्शन लेने से साफ इनकार कर दिया है।
कोर्ट ने कहा है कि मनोज तिवारी की ओर से कोर्ट की अवमानना का कोई सबूत नहीं मिला है। कोर्ट ने कहा, 'इसमें कोई शक नहीं है कि तिवारी ने कानून अपने हाथ में लिया है। हम तिवारी के बर्ताव से आहत हैं।
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न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह तय किया कि तिवारी कोर्ट की अवमानना के दोषी हैं या नहीं। यहां बता दे कि कोर्ट ने इस मामले में दलीलें सुनने के बाद 30 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था। न्यायालय की अवमानना का दोषी पाए जाने पर अधिकतम छह महीने की कैद की सजा या जुर्माना दोनों की प्रावधान है। जुर्माने की रकम अधिकतम 2,000 रुपये हो सकती है।
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पिछली सुनवाई के दौरान पीठ ने तिवारी से कहा था कि आप जनप्रतिनिधि है, जिम्मेदार नागरिक हैं। आखिर आपको सील तोड़ने की इजाजत किसने दी? अगर सीलिंग गलत की गई थी तो आपको संबंधित अथॉरिटी के पास जाना चाहिए था।’
पीठ ने कहा था कि हम भीड़ के कानून से नहीं चलते बल्कि रूल ऑफ लॉ से चलते हैं। वहीं सांसद ने इस पर जवाब दिया था कि उन्होंने न तो अदालत और न ही अदालत की तरफ से गठित निगरानी समिति की अवहेलना की है। सुप्रीम कोर्ट ने समिति की रिपोर्ट पर 19 सितंबर को तिवारी को अवमानना का नोटिस जारी किया था।
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