Bihar: नीतीश के महागठबंधन छोड़ने के बाद बदला सीट शेयरिंग फॉर्मूला, अधिकांश सीटों पर राजद की निगाहें, सहयोगी दलों को मनाना आसान नहीं

Bihar: कांग्रेस और लेफ्ट के नेताओं की ओर से भी यही बयान दिया जा रहा है मगर सीट शेयरिंग के फॉर्मूले पर सबकी सहमति बनाना आसान साबित नहीं होगा।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update: 2024-02-19 08:54 GMT

Bihar Politics (Photo: Social Media)

Bihar Politics: बिहार में नीतीश कुमार की अगुवाई में जदयू के महागठबंधन से निकलने के बाद लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद राज्य की अधिकांश सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की कोशिश में जुट गई है। नीतीश कुमार के गठबंधन छोड़ने के बाद महागठबंधन का सीट शेयरिंग फार्मूला पूरी तरह बदल चुका है। राजद की ओर से राज्य की 28 लोकसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने का फॉर्मूला तैयार किया गया है। हालांकि कांग्रेस और वाम दलों ने अब ज्यादा सीटों की मांग को लेकर राजद पर दबाव बना रखा है। महागठबंधन में जल्द से जल्द सीट बंटवारे की कवायद की जा रही है। हालांकि सभी दलों को संतुष्ट करना राजद के लिए काफी मुश्किल माना जा रहा है। सभी दलों के नेताओं की ओर से ज्यादा से ज्यादा सीटों की डिमांड किए जाने के बाद महागठबंधन में खींचतान की स्थिति दिख रही है।

राजद की अब ज्यादा सीटों पर लड़ने की तैयारी

जदयू के महागठबंधन में शामिल रहने के दौरान जदयू और राजद में 16-16 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का फॉर्मूला तैयार किया था। हालांकि उस समय भी कांग्रेस की ओर से 9-10 सीटों की मांग की जा रही थी जबकि भाकपा माले भी ज्यादा सीटों की डिमांड पर अड़ा हुआ था। वैसे नीतीश कुमार के निकलने के बाद राज्य के सियासी हालात पूरी तरह बदल चुके हैं।

नीतीश कुमार के एनडीए में शामिल होने का नतीजा है कि राजद ने राज्य में अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। राज्य के बदले हुए सियासी स्थितियों के बीच राजद ने राज्य की 27 से 28 लोकसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने का फैसला किया है।

सहयोगी दलों को मनाना आसान नहीं

कांग्रेस की ओर से सीटों की डिमांड बढ़ने के बाद राजद नेतृत्व की ओर से कांग्रेस को 8 से 9 सीटें दी जा सकती हैं। वाम दलों को तीन से चार सीटें देने की तैयारी है। वैसे यह देखने वाली बात होगी कि कांग्रेस और वाम दल राजद की ओर से तैयार किए गए इस फॉर्मूले पर सहमत होते हैं या नहीं।

भाकपा माले के नेता दीपांकर भट्टाचार्य ने पिछले दिनों वाम दलों को ज्यादा सीटें देने की मांग की थी। उनका कहना था कि 12 विधानसभा सीटों पर लेफ्ट की जीत के बावजूद राज्यसभा चुनाव में लेफ्ट की अनदेखी की गई है। ऐसे में लोकसभा चुनाव के दौरान इसकी भरपाई की जानी चाहिए।

सीटों को लेकर चल रही खींचतान का ही नतीजा है कि महागठबंधन में शामिल दलों के नेता सीट शेयरिंग के फॉर्मूले पर कुछ भी बोलने से कतरा रहे हैं। विभिन्न दलों के नेताओं का यही कहना है कि शीर्ष नेतृत्व की ओर से सहयोगी दलों के साथ बातचीत में सीट बंटवारे के फॉर्मूले पर मुहर लगेगी।

करारी हार के बाद राजद इस बार सतर्क

पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान करारी हार मिलने के बाद राजद नेतृत्व इस बार खासा सतर्क नजर आ रहा है। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर से खेमा बदलने के बाद राजद नेता जदयू से बदला लेने की कोशिश में जुटे हुए हैं। इसलिए विभिन्न लोकसभा क्षेत्रों में मजबूत उम्मीदवार चुनावी अखाड़े में उतारने की तैयारी है।

राजद नेताओं का कहना है कि सहयोगी दलों के साथ बातचीत में सीट शेयरिंग को जल्द ही आखिरी रूप दे दिया जाएगा कांग्रेस और लेफ्ट के नेताओं की ओर से भी यही बयान दिया जा रहा है मगर सीट शेयरिंग के फॉर्मूले पर सबकी सहमति बनाना आसान साबित नहीं होगा।

मजबूत प्रत्याशी उतारने की तैयारी

विधानसभा में नीतीश सरकार के विश्वासमत के दौरान राजद को उसे समय करारा झटका लगा था जब उसके तीन विधायकों ने पाला बदलते हुए नीतीश से सरकार का समर्थन किया था। ऐसे में विधानसभा में राजद सदस्यों की संख्या 79 से घटकर 76 रह गई है। अब राजद नीतीश कुमार से बदला लेने के लिए विभिन्न लोकसभा क्षेत्रों में मजबूत प्रत्याशी उतारने की कोशिश में जुटा हुआ है।

सियासी जानकारों के मुताबिक राजद नेताओं की ओर से इस बाबत लगातार मंथन किया जा रहा है। महागठबंधन में सीट बंटवारे के बाद राजद की ओर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ और पुख्ता रणनीति अपनाई जा सकती है।

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