Sela Tunnel Project: अरुणाचल में 13 हजार फुट पर सेला सुरंग अब पूरी होने को, सामरिक रूप से है बेहद महत्वपूर्ण

Sela Tunnel Project: 13,000 फीट से ज्यादा ऊंचाई की सेला सुरंग (Sela Tunnel) चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के लिए सभी मौसमों में कनेक्टिविटी को बढ़ावा देगी।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Shreya
Update: 2022-05-19 10:13 GMT

सेला सुरंग (फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

Sela Tunnel Project: अरुणाचल प्रदेश में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सेला सुरंग परियोजना (Sela Tunnel Pariyojana) पूरी होने वाली है। यह परियोजना अब एक निर्णायक चरण में प्रवेश कर गई है जिसका मतलब है कि इस साल के अंत तक काम पूरा होने की संभावना है। 13,000 फीट से ज्यादा ऊंचाई की सेला सुरंग (Sela Tunnel) चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के लिए सभी मौसमों में कनेक्टिविटी को बढ़ावा देगी।

सीमा सड़क संगठन (Border Roads Organisation) द्वारा क्रियान्वित की जा रही इस परियोजना में दो सुरंगें और एक लिंक रोड शामिल है। टनल-1 980 मीटर लंबी सिंगल-ट्यूब होगी, जबकि टनल- 2 की लंबाई 1,555 मीटर होगी जिसमें ट्रैफिक के लिए एक बाइ-लेन ट्यूब और साथ में चलने वाली आपात स्थितियों के लिए एक एस्केप ट्यूब होगी। दोनों सुरंगों के बीच संपर्क सड़क 1,200 मीटर लंबी होगी।

टनल-2 विश्व की उन सबसे लंबी सुरंगों में से एक होगी जिसका निर्माण 13,000 फीट से अधिक की ऊंचाई पर किया गया है। इस परियोजना में टनल-1 के लिए 7 किमी की एक पहुंच सड़क का निर्माण भी शामिल है, जो बीसीटी रोड (बालीपारा-चारदुआर-तवांग) से निकलती है, और 1.3 किमी की एक लिंक रोड, जो टनल-1 से टनल-2 को जोड़ती है। सुरंगों, एप्रोच और लिंक रोड समेत परियोजना की कुल लंबाई लगभग 12 किमी है।

सामरिक रूप से महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट

अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग जिले में स्थित ये सुरंग परियोजना सेला दर्रे को एक वैकल्पिक धुरी प्रदान करेगी, जो 13,700 फीट पर है। यह बालीपारा, चारद्वार और तवांग सड़क के एक्सिस पर होगा, जो 300 किमी से अधिक लंबा है। सुरंग परियोजना की अनुमानित लागत 700 करोड़ रुपये है।

इस प्रोजेक्ट के पूरा होने से तवांग और इस क्षेत्र के अन्य अग्रिम क्षेत्रों के लिए हर मौसम में संपर्क सबसे महत्वपूर्ण लाभ होगा। फिलहाल, सेला दर्रा सर्दियों के महीनों में बंद रहता है। सुरंग बनने से पूरे वर्ष सैन्य और नागरिक वाहनों की आवाजाही की सुविधा मिलेगी। फरवरी 2019 में परियोजना की आधारशिला रखते हुए, सरकार ने इसके तीन लाभ गिनाए थे - तवांग और आगे के क्षेत्रों के लिए सभी मौसम की कनेक्टिविटी,तेजपुर से तवांग तक यात्रा के एक घंटे से अधिक समय में कमी और 13,700 फीट की ऊंचाई पर खतरनाक बर्फ से ढके सेला टॉप से बचाव।

2019 में पीएम द्वारा आधारशिला रखे जाने के बाद, टनल-1 का पहला ब्लास्ट जनवरी, 2021 में किया गया था। 980 मीटर की टनल- 1 के लिए अंतिम विस्फोट इस साल जनवरी में किया गया था।

सेला दर्रा (Sela Pass)

इस दर्रे से होकर ही तवांग शेष भारत से एक मुख्य सड़क के माध्यम से जुड़ा हुआ है। इस दर्रे के आस-पास वनस्पति अल्प मात्रा में उगते हैं तथा यह क्षेत्र आमतौर से वर्ष भर बर्फ से ढका होता है। इस दर्रे के शिखर के नजदीक स्थित सेला झील इस क्षेत्र में स्थित लगभग 101 पवित्र तिब्बती बौद्ध धर्म के झीलों में से एक है। ये दर्रा तवांग शहर से 78 किमी और गुवाहाटी से 340 किमी की दूरी पर स्थित है। सेला दर्रे में गर्मियां बहुत ठंडी नहीं होती हैं लेकिन सर्दियों में तापमान माइनस 10 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है।

सेला झील 4,160 मीटर (13,650 फीट) की ऊंचाई पर दर्रे के उत्तर की ओर स्थित है। यह झील अक्सर सर्दियों के दौरान जम जाती है और तवांग नदी की एक सहायक नूरानांग नदी में बह जाती है। झील के चारों ओर सीमित वनस्पति उगती है जिसका उपयोग गर्मियों के दौरान याक के लिए चराई स्थल के रूप में किया जाता है।

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