Maharashtra Politics: शरद पवार को चुनाव अयोग का बड़ा झटका, अजित गुट को माना असली NCP

Maharashtra Politics: शरद पवार को चुनाव आयोग से बड़ा झटका लगा है क्यों कि चुनाव आयोग ने अजित गुट को ही असली एनसीपी करार दिया है। चुनाव आयोग ने कहा कि तमाम सबूतों के मद्देनजर ये फैसला लिया गया है। आयोग का कहना है कि अजित पवार गुट को एनसीपी का नाम और चुनाव चिह्न इस्तेमाल करने का अधिकार है।

Update: 2024-02-06 14:36 GMT

Maharashtra Politic (Pic: Social Media)

Maharashtra Politics: चुनाव आयोग से शरद पवार को बड़ा झटका लगा है। चुनाव आयोग ने अजित गुट को ही असली एनसीपी करार दिया है। चुनाव आयोग ने कहा कि तमाम सबूतों के मद्देनजर ये फैसला लिया गया है। चुनाव आयोग का कहना है कि अजित पवार गुट को एनसीपी का नाम और चुनाव चिह्न इस्तेमाल करने का अधिकार है। अब महाराष्ट की राजनीति में उद्धव ठाकरे के हाथ से जिस तरह से शिवसेना छिन गई उसी तरह से आज शरद पवार से एनसीपी भी छिन गई। अब एनसीपी का नाम और चुनाव चिह्न का इस्तेमाल अजित पवार गुट करेगा।

मंगलवार को महाराष्ट्र की सियासत को लेकर बड़ा फैसला आया है। चुनाव आयोग ने अजित पवार वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को ही असली एनसीपी करार दिया है। चुनाव आयोग का यह फैसला दिग्गज राजनेता और अजित पवार के चाचा शरद पवार के लिए बड़ा झटका है। जानकारी के अनुसार छह महीने से अधिक समय तक चली 10 से अधिक सुनवाई के बाद चुनाव आयोग ने एनसीपी में विवाद का आज निपटारा कर दिया और अजीत पवार के नेतृत्व वाले गुट के पक्ष में फैसला सुनाया। अब एनसीपी का नाम और चुनाव चिह्न ‘घड़ी‘ अजित पवार के पास रहेगा।

अब शरद पवार के पास क्या है विकल्प?

चुनाव आयोग ने अपने नए राजनीतिक गठन के लिए एक नाम का दावा करने और आयोग को तीन प्राथमिकताएं देने का एक बार का विकल्प प्रदान किया है। रियायत का उपयोग 7 फरवरी, 2024 को दोपहर 3 बजे तक किया जा सकता है।

क्या है एनसीपी का मामला?

बीते साल महाराष्ट्र की सियासत में उस समय बड़ा उलटफेर देखने को मिला जब अजित पवार ने एनसीपी से बगावत कर दी। जिससे पार्टी दो धड़ों में बंट गई। पार्टी में फूट के बाद एनसीपी पर अधिकार को लेकर चाचा-भतीजे आमने-सामने आ गए। एक ओर जहां अजित पवार गुट ने चुनाव आयोग में हलफनामा दायर किया तो वहीं, शरद पवार खेमे ने भी चुनाव आयोग में एक कैविएट दायर कर अनुरोध किया कि पार्टी की लड़ाई के संबंध में कोई भी निर्देश पारित करने से पहले उनकी बात सुनी जाए। इसके बाद चुनाव आयोग ने दोनों पक्षों के दस्तावेज जांचें और दलीलें सुनीं। छह महीने से अधिक समय तक चली 10 से अधिक सुनवाई के बाद चुनाव आयोग ने एनसीपी में विवाद का निपटारा कर दिया और अजीत पवार के नेतृत्व वाले गुट के पक्ष में फैसला सुनाया। 

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