शोध में बड़ा खुलासा: लाखों वर्षों से चमगादड़ और कोरोना का एक साथ हो रहा विकास
चीन के वुहान से जब कोरोना वायरस महामारी शुरू हुई तो इसे लेकर तरह-तरह की बातें सामने आई। कोरोना वायरस को चमगादड़ों से फैली बीमारी कहा जा रहा है। एक शोध के अनुसार, चमगादड़ों के अलग-अलग समूहों में विशिष्ट प्रकार के वायरस होते हैं।
नई दिल्ली : चीन के वुहान से जब कोरोना वायरस महामारी शुरू हुई तो इसे लेकर तरह-तरह की बातें सामने आई। कोरोना वायरस को चमगादड़ों से फैली बीमारी कहा जा रहा है। एक शोध के अनुसार, चमगादड़ों के अलग-अलग समूहों में खास तरह के वायरस होते हैं। कोरोना विषाणुओं की प्रजाति है जिनसे कोविड-19 बीमारी होती है। शोध में कहा गया कि लाखों सालों से चमगादड़ और कोरोना वायरस की बढने की प्रक्रिया साथ चल रही है।
चीन में हुए शोध से ये मालूम हुआ है कि ये वायरस चमगादड़ों से आया है। चमगादड़ ने इसे पैंगोलिंस में ट्रांसफर किया होगा, पैंगोलिन से ये मनुष्यों में आ गया। उन्होंने कहा कि- हमने निगरानी भी की, जिसमें हमने पाया कि चमगादड़ दो प्रकार के होते हैं जिनमें कोरोना वायरस होता है जो शायद 1000 साल में एक बार मनुष्यों में पहुंचे।
शोध जनर्ल 'साइंटिफिक रिपोर्ट्स' के अनुसार चमगादड़ से पौधों के परागण में सहायता मिलती हैं, बीमारी फैलाने वाले कीटों को खाते हैं और उष्ण कटिबंधीय वन के पेड़ों के बीज को फैलाते हैं वहीं दूसरी तरफ वे प्राकृतिक रूप से कोरोना के वाहक भी हैं।
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वैज्ञानिकों ने पश्चिमी हिन्द महासागर और अफ्रीका के आसपास पाए जाने वाले चमगादड़ों की 36 प्रजातियों में रहने वाले कोरोना वायरस पर शोध किया और पाया कि चमगादड़ों और कोरोना वायरस के विकास क्रम का लंबा इतिहास रहा है।'
शिकागो के फील्ड संग्रहालय के वैज्ञानिक गुडमैन ने कहा, 'कोरोना वायरस के विकास करने से हमें भविष्य में जन स्वास्थ्य कार्यक्रम निर्मित करने में सहायता मिलेगी।' शोधकर्ताओं के अनुसार जितने प्रकार के वायरस हैं लगभग उतने प्रकार के चमगादड़ हैं और उन विषाणुओं से मानवों को खतरा पैदा होने या संक्रमित होने की कोई जानकारी प्राप्त नहीं है। चमगादड़ों में रहने वाले जिन कोरोना वायरस का अध्ययन किया गया वह उनसे भिन्न हैं जिनसे कोविड-19 बीमारी होती है।