Sonia Gandhi Retirement: पहले पॉलिटिक्स में हीं नहीं आना चाहती थीं सोनिया गांधी, फिर संभाली बड़ी जिम्मेदारी

Sonia Gandhi Retirement: इटली के एक छोटे से गांव की एक साधारण सी लड़की सोनिया एंटोनियो मायनो यूं ही नहीं भारत के सबसे बड़े राजनीतिक घराने की बहू बनीं, उनकी कहानी परी कथा जैसी है...

Written By :  Hariom Dwivedi
Update: 2023-02-25 10:35 GMT

Sonia Gandhi Retirement

Sonia Gandhi Retirement- 76 वर्षीय सोनिया गांधी अब सक्रिय राजनीति में नजर नहीं आएंगी। कहा कि भारत जोड़ो यात्रा के साथ ही उनका सियासी पड़ाव खत्म हो सकता है। छत्तीसगढ़ के नवा रायपुर में कांग्रेस के 85वें राष्ट्रीय महाधिवेशन के दूसरे दिन उन्होंने पार्टी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के बीच बड़ा बयान दिया। लेकिन, बहुत कम लोग जानते हैं कि कभी भी राजनीति में कदम नहीं रखना चाहती थीं। हालांकि, इसके बाद वह न केवल सक्रिय राजनीति में उतरीं बल्कि लंबे समय तक छाई रहीं।

इटली के एक छोटे से गांव की एक साधारण सी लड़की सोनिया एंटोनियो मायनो यूं ही नहीं भारत के सबसे बड़े राजनीतिक घराने की बहू बनीं। उनकी कहानी किसी परी कथा से कम नहीं है। शुरुआत में तो वह भारत के बारे में भी ज्यादा कुछ नहीं जानती थीं, बाद में उन्होंने देश भर में घूम-घूमकर रैलियां कीं।

रेस्त्रां में हुई थी सोनिया और राजीव की पहली मुलाकात

इंग्लैंड के कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से पढ़ीं सोनिया गांधी की राजीव गांधी से पहली मुलाकात एक रेस्त्रां में हुई थी। राजीव गांधी ने जब पहली बार सोनिया गांधी को देखा तो उन्हें उनसे प्यार हो गया था। हर प्रेम कहानी की तरह दोनों परिवार इस शादी के खिलाफ थे। आखिरकार दोनों की शादी हो गई और सोनिया गांधी दुल्हन बनकर भारत आ गईं। उस वक्त इंदिरा गांधी भारत की प्रधानमंत्री थीं।

सियासी करियर में आए कई उतार-चढ़ाव

सोनिया गांधी और राजीव गांधी की जिंदगी के शुरुआती 13 साल कई सियासी उतार-चढ़ावों से होकर गुजरे। पूरा परिवार एक के बाद एक दुखद घटनाओं से जूझ रहा था। पहले विमान दुर्घटना में संजय गांधी की मौत फिर इंदिरा गांधी की हत्या और सात साल बाद खुद राजीव गांधी की हत्या। सोनिया गांधी को अहसास था कि राजनीति के कारण उनका पूरा परिवार तबाह हो रहा है। इसलिए वह राजनीति में नहीं पड़ना चाहती थीं। हालांकि, इसके बाद सोनिया काफी मजबूत होकर निकलीं और राजनीति की दुनिया में काफी नाम कमाया। उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत पार्टी के लिए चुनाव प्रचार से हुई। लंबे समय तक उन्होंने कांग्रेस की बागडोर संभाली।

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