Soumya Vishwanathan Murder Case: आखिर पांचवें गुनहगार को क्यों नहीं मिली उम्रकैद की सजा,जानिए क्या था इसका कारण

Soumya Vishwanathan Murder Case: बहुचर्चित हत्या के मामले में साकेत कोर्ट ने अमित शुक्ला, रवि कपूर, बलजीत सिंह मलिक और अजय कुमार को उम्रकैद की सजा सुनाई जबकि पांचवें आरोपी अजय सेठी को महज तीन साल की सजा हुई है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update: 2023-11-28 09:52 GMT

Soumya Vishwanathan Murder Case (photo: social media )

Soumya Vishwanathan Murder Case: टीवी पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की हत्या के मामले में अदालत की ओर से गुनहगारों को सजा सुनाई जा चुकी है। अदालत ने इस मामले में दोषी ठहराए गए पांच गुनहगारों में से चार को उम्रकैद की सजा सुनाई है जबकि पांचवें को महज तीन साल की सजा ही दी गई है।

इस बहुचर्चित हत्या के मामले में साकेत कोर्ट ने अमित शुक्ला, रवि कपूर, बलजीत सिंह मलिक और अजय कुमार को उम्रकैद की सजा सुनाई जबकि पांचवें आरोपी अजय सेठी को महज तीन साल की सजा हुई है। अजय सेठी को जल्द ही रिहा कर दिया जाएगा। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आखिरकार अदालत ने पांचवें गुनहगार को इतनी कम सजा क्यों सुनाई।

अदालत ने इसलिए सुनाई कम सजा

टीवी पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की हत्या 2008 में हुई थी और यह घटना मीडिया में सुर्खियां बन गई थी। घटना के समय पांचवां आरोपी अजय सेठी घटनास्थल पर मौजूद नहीं था। अजय सेठी सौम्या की हत्या में शामिल नहीं था मगर हत्या के बाद उसने अपने चारों दोस्तों को बचाने में मदद जरूर की थी। बाद में उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 411 और मकोका एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था।

इन दोनों ही मामलों में अधिकतम सजा तीन साल की कैद या जुर्माना या दोनों हो सकता है। साकेत कोर्ट ने इस मामले में अजय सेठी को तीन साल की सजा सुनाने के साथ ही उस पर जुर्माना भी ठोका है। अजय सेठी तीन साल से अधिक की सजा पहले ही काट चुका है और ऐसे में जल्द ही उसकी रिहाई का रास्ता साफ हो गया है।


गुनहगारों को इसलिए फांसी की सजा नहीं

अभियोजन पब की ओर से सौम्या विश्वनाथन की हत्या के सभी गुनहगारों को फांसी की सजा देने की मांग की गई थी मगर अदालत ने उन्हें उम्रकैद की सजा ही सुनाई। अदालत में इस मामले को रेयरेस्ट ऑफ़ द रेयर की श्रेणी में रखने से इनकार कर दिया। इसी कारण आरोपियों को फांसी की सजा नहीं सुनाई गई। वैसे सौम्या विश्वनाथन की मां माधवी विश्वनाथन अदालत के इस फैसले पर संतुष्ट दिखीं।

सौम्या विश्वनाथन 30 सितंबर 2008 को अपनी कार में मृत पाई गई थीं। उस वक्त वे अपने ऑफिस से वापस घर लौट रही थीं। उनकी कार दक्षिणी दिल्ली के वसंत कुंज इलाके में मिली थी। शुरुआत में माना जा रहा था कि कार दुर्घटना में उनकी मृत्यु हुई है मगर फॉरेंसिक रिपोर्ट में सामने आया कि सिर पर गोली लगने से उनकी मौत हुई। इसके बाद हत्या का मामला दर्ज करते हुए पुलिस ने मामले की जांच पड़ताल शुरू की थी।


मां भी चाहती थी उम्रकैद की सजा

सौम्या की मां ने पहले ही कहा था कि मेरी बेटी की हत्या करने वाले वालों को फांसी की नहीं बल्कि उम्रकैद की सजा सुनाई जानी चाहिए। उनका कहना था की उम्रकैद की सजा मिलने पर ही इन गुनहगारों को उस दर्द का एहसास हो सकेगा जो मैंने अपनी बेटी को खोकर झेला है। अदालत की ओर से सजा सुनाए जाने के बाद अपनी प्रतिक्रिया में उन्होंने कहा कि मेरी कभी इस बात की चाहत नहीं थी कि गुनहगारों को फांसी की सजा सुनाई जाए। मैं चाहती थी कि इनको भी वैसा ही जीवन भुगतना पड़े जैसा हमने भुगता है।

उन्होंने इस बहुचर्चित केस में फैसला सुनाए जाने पर भी राहत जताई। जब कोर्ट ने सौम्या के मन से पूछा कि वे इस बाबत कुछ कहना चाहती हैं तो उनका कहना था कि उन्हें 15 साल से इस मामले में न्याय का इंतजार है। उनका कहना था कि उनके पति आईसीयू में फैसले का इंतजार कर रहे हैं।

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