ऐसे भी होते हैं सरकारी स्कूल, घर जाने का नाम नहीं लेते बच्चे

Update: 2018-07-18 12:57 GMT

गोरखपुर: गोरखपुर के तिलौली में संचालित एक प्राइमरी स्कूल में कान्वेंट जैसी फैसिलिटी है। ये सब स्कूल के टीचर्स की बदौलत संभव हो पाया है। उनकी पहल पर सरकार और गोरखपुर जिला प्रशासन ने इस स्कूल को पायलट प्रोजेक्ट के तहत इंग्लिश मीडियम बना दिया है। स्कूल के अंदर बच्चों की उपस्थिति शत- प्रतिशत है।

newstrack.com आज आपको बताने जा रहा है कि ये स्कूल यूपी के अन्य प्राथमिक विद्यालयों से किन मायनों में खास है।

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2010 में ज्वाइन किया था स्कूल

उन्नाव की मूल और कानपुर के अस्सी रोड की रहने वाली अल्पा निगम ने जुलाई 2010 में गोरखपुर में प्राथमिक स्कूल ज्वाइन किया तो वहां 69 बच्चे थे। इनमें 24 ही प्रेजेंट रहते थे।

इसके बाद वह घर-घर गईं और पेरेंट्स को अपने बच्चों को स्कूल से जोड़ने के लिए मोटिवेट किया। उन्होंने निरक्षर पेरेंट्स को भी पढ़ने के लिए मोटिवेट किया।

उसके बाद स्कूल में बच्चों की संख्या में धीरे –धीरे इजाफा होने लगा। आज स्कूल के अंदर बच्चों की उपस्थिति शत –प्रतिशत है। टीचर अल्पा निगम बच्चों को पढ़ाने में मदद करती हैं और उन्हीं के साथ क्लास में बैठकर पढ़ती हैं।

मिल चुके हैं कई अवॉर्ड

एंटरप्रिन्योरशिप डेवलेपमेंट इंस्टीट्यूट आफ इंडिया ने देश के 100 स्कूलों के सर्वे में इस स्कूल को भी शामिल किया। हेड टीचर की स्टोरी उन्हें अच्छी लगी और प्राइज दिया।

स्कूल को 'आइ कैन चैलेंज अवॉर्ड' मिल चुका है। यह अवॉर्ड 5 और 6 दिसंबर को अहमदाबाद में अल्पा निगम और क्लास 5 th की स्टूडेंट प्रीति यादव को मिला।

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क्रिएटिव प्रयास से पा सकते हैं मुकाम

स्कूल के टीचर्स का कहना है कि प्राइवेट स्कूलों के टीचर्स गवर्नमेंट स्कूलों के टीचर्स से ज्यादा क्वालिफाइड नहीं हैं। क्रिएटिव प्रयास से मुकाम हासिल किया जा सकता है। यहां एडमिशन के समय पेरेंट्स एक जोड़ी ड्रेस बनवा देते हैं। सभी विषयों की पढ़ाई इंग्लिश में होती है।

हाईटेक है स्कूल

-बच्चे लैपटॉप चलाना और टाइपिंग जानते हैं।

- यहां प्रोजेक्टर पर पढ़ाई होती है।

- स्कूल में सुबह और शाम म्यूजिक पर असेंबली होती है।

- स्टूडेंट्स को महीने में पांच से अधिक लीव नहीं दी जाती।

- लाइब्रेरी में पांच सौ से अधिक किताबें हैं।

एडमिशन के लिए लगती है लाइन

- इस मॉडल स्कूल में 239 स्टूडेंट्स हैं।

- यहां जुलाई में एडमिशन के लिए लाइन लगती है।

- इस साल से सिर्फ क्लास फर्स्ट में एडमिशन लेने की योजना है।

- इन्फ्रास्ट्रक्चर और असिस्टेंट टीचर्स की कमी के वह अब और एडमिशन नहीं ले पा रही हैं।

 

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