कश्मीर में खतरनाक साजिश: आतंकी कर रहे इस तकनीक का इस्तेमाल, कैसे रोकेगी सरकार

कश्मीर में पांच अगस्त से इंटरनेट और प्रीपेड मोबाइल फोन बंद हैं। ऐसे में सैटेलाइट फोन और रेडियो सेट ही उनके लिए आपस में संपर्क बनाए रखने का जरिया है। श्रीनगर के बाहरी क्षेत्र इलाके में उनकी गतिविधियां भी महसूस की गई हैं। सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक, श्रीनगर में चार से पांच आतंकी सक्रिय हैं।

Update: 2019-11-29 13:05 GMT
कश्मीर में कर्फ्यू: आतंकी खतरे को लेकर सेना हाई अलर्ट पर

श्नीनगर: जम्मू कश्मीर में प्रीपेड मोबाइल और इंटरनेट सेवाओं पर रोक से आतंकी परेशान हैं। सीमा पार बैठे आतंक के आकाओं से संपर्क साधने के लिए फिर सैटेलाइट फोन और उच्च क्षमता वाले रेडियो सेट इस्तेमाल करने लगे हैं। इस समय कश्मीर में चार सैटेलाइट फोन हैं। इनमें श्रीनगर के आंचर सौरा इलाके में एक और दो अन्य दक्षिण कश्मीर में और एक उत्तरी कश्मीर में है।

इस साल कश्मीर में सुरक्षाबल दो सैटेलाइट फोन बरामद कर चुके हैं। पहला सैटेलाइट फोन 13 जनवरी को बांडीपोर में हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी सरफराज से पकड़ा गया था। वह स्मार्ट फोन जैसी सुविधाओं से लैस था। हालांकि, राज्य पुलिस ने सीआरपीएफ और सेना के साथ संभावित इलाकों में घर घर तलाशी भी ली है, लेकिन सफलता नहीं मिली है।

सैटेलाइट फोन का इस्तेमाल कर 1998 के दौरान शुरू किया था

श्रीनगर के उत्तरी जोन के एसपी सज्जाद शाह ने कहा कि आंचर सौरा इलाके में कुछ दिनों के दौरान एक-दो बार सैटेलाइट फोन होने का पता चला है। सही पोजिशन पता नहीं चल पाई। कश्मीर में आतंकियों और उनके ओवरग्राउंड नेटवर्क द्वारा सैटेलाइट फोन का इस्तेमाल कोई नया नहीं है। एसएसपी सिक्योरिटी इम्तियाज हुसैन मीर ने कहा कि कश्मीर में आतंकियों ने सैटेलाइट फोन का इस्तेमाल कर 1998 के दौरान शुरू किया था। वर्ष 2003 तक खूब इस्तेमाल होता था।

कश्मीर में पांच अगस्त से इंटरनेट और प्रीपेड मोबाइल फोन बंद हैं। ऐसे में सैटेलाइट फोन और रेडियो सेट ही उनके लिए आपस में संपर्क बनाए रखने का जरिया है। श्रीनगर के बाहरी क्षेत्र इलाके में उनकी गतिविधियां भी महसूस की गई हैं। सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक, श्रीनगर में चार से पांच आतंकी सक्रिय हैं।

पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, बीते तीन माह के दौरान कई बार आतंकी श्रीनगर में दाखिल होने में कामयाब रहे हैं। वह यहां टिक नहीं पाए, क्योंकि सुरक्षाबलों को जल्द उनकी उपस्थिति का पता चल गया और तलाशी अभियान चलाए गए। ऐसे में अब आतंकी इस तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं। हालांकि स्थानीय पुलिस और सुरक्षाबल आतंकियों पर ताबड़तोड़ प्रहार कर रहे हैं। आतंकियों के हर मंसूबे पर पानी फेर रहे हैं।

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