तीन दोस्तों ने 12 लाख रुपए से शुरू किया था स्टार्ट –अप, 600 युवाओं को दिला चुके है जॉब
लखनऊ: आईआईटी गुवाहाटी से बीटेक और आईआईएफटी दिल्ली से एमबीए पास आउट चार दोस्तों ने सलाना 10 से 15 लाख रूपये की जॉब छोड़कर ‘इजी नौकरी’ नाम से एक ऐसी कम्पनी बनाई है। जो ग्रामीण युवाओं को घर –घर जाकर उनके पसंद के हिसाब से नौकरी उपलब्ध करा रही है।
खास बात ये है कि इस काम के लिए युवाओं से कोई चार्ज नहीं लिया जाता है। ‘इजी नौकरी’ के फाउंडर मेम्बर मोहित सचान ने newstrack.com से बात की और अपने एक्सपीरिएंयेंसेज को शेयर किया।
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दस लाख सलाना की छोड़ी ये जॉब
कानपुर के रहने वाले मोहित सचान (26) बताते है, ‘’राहुल पटेल (24), निपुन सरीन (25), हेमंत वर्मा (24) तीनों ने आईआईटी गुवाहाटी से 2013 में बीटेक और मैंने आईआईएफटी दिल्ली से एमबीए किया है।
मेरे पिता ताराचंद सचान पंजाब नेशनल बैंक में मैनेजर है और मां पुष्पा सचान हाउस वाइफ है। हम दो भाई है। मैं उसमें छोटा हूं। मैं पढ़ाई पूरी करने के बाद विविगो कम्पनी में जॉब कर था।
मेरा सलाना पैकेज 10 लाख रूपये था। इसी तरह मेरे बाकी तीनों दोस्त भी 10 से 15 लाख रूपये के सलाना पैकेज पर अलग –अलग कम्पनियों में जॉब कर रहे थे।
ऐसे आया खुद का स्टार्ट अप शुरू करने का आइडिया
राहुल 2015 में ओयो कम्पनी में जॉब कर रहा था और अपने गांव छुट्टी बिताने के लिए पहुंचा। तब गांव के ही कुछ युवाओं ने उससे नौकरी दिलाने की गुजारिश की।
उसने तय कर लिया था कि उसे ग्रामीण युवाओं को नौकरी दिलाने के लिए कुछ करना है। उसने ये बात अपने बाकि के दोस्तों को बताई। सभी ने अपनी सहमति दे दी। उसके बाद सभी ने अपनी जॉब छोड़ दी।
लोगों ने उड़ाया था मजाक
हम सभी ने जॉब छोड़ने के बाद इजी नौकरी नाम से अपनी खुद की कम्पनी शुरू करने का फैसला किया। हमारा गांव में पहले भी आना जाना लगा रहता था। लोगों को आम बोलचाल की भाषा में कैसे समझाना है ये सब पहले से पता था।
चारों दोस्तों ने 12 दिन में मोटर सायकिल से 3 हजार किमी. जिसमें चित्रकूट, बांदा, हमीरपुर, जिले शामिल है। उनका दौरा किया। गांव के युवाओं से मिले। घर –घर जाकर सर्वे किया।
जॉब छोड़कर शहर से गांव में जाकर काम करने पर लोगों ने पागल कहकर मजाक भी उड़ाया था लेकिन तब हमने उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया था। इस बात की शिकायत हमारे घर तक भी पहुंची थी।
लोगों ने पैरेंट्स से शिकायत करते हुए हमें समझाने की भी कोशिश की थे लेकिन हमने घर वालों की बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया।
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12 लाख में शुरू किया था स्टार्ट अप
मोहित बताते है, हमने गांवों में घर –हर जाकर सर्वे कर लिया था। हमारी तैयारी अब पूरी हप चुकी थी। हम सब पहले अलग –अलग कम्पनियों के जॉब करते थे।
उस दौरान सभी ने कुछ पैसे सेविंग्स के तौर पर बचाकर रखे थे। 2016 में हम सभी ने 12 लाख रूपये से इजी नौकरी नाम से अपना एक स्टार्ट अप शुरू की।
हमने ‘नौकरी मित्र’ नाम से एक एप्लीकेशन तैयार कराया। साथ ही ‘नौकरी मित्र’ नाम से गांव में पढ़े लिखे लोगों को भी जोड़ा। जो नौकरी मित्र बनकर पढ़े लिखे युवा बेरोजगारों का सर्वे रिपोर्ट बनाकर कम्पनी को भेजे।
ताकि उस रिपोर्ट के आधार पर हम शहरों मे चलने वाली कम्पनियों से सम्पर्क साथ कर उनकी जरूरत के हिसाब से पढ़े लिखे युवा बेरोजगारों को नौकरी उपलब्ध करा सके।
ऐसे काम करती है ये कम्पनी
मोहित और राहुल की टीम ने देश की 30 से ज्यादा कम्पनियों, रेस्टोरेंटों और होटलों से कर रखा है। ये कम्पनियां इजी नौकरी के माध्यम से ही अपने यहां पर युवाओं को काम पर रखती है।
मोहित की कम्पनी ईजी नौकरी उन कम्पनियों तक अपने नौकरी मित्र के जरिये इन पढ़े लिखे बेरोजगार युवाओं की प्रोफाइल, शैक्षिक योग्यता और पहचान पत्र आदि डाटा पहुंचाती है।
इस काम के लिए ईजी नौकरी कम्पनी युवा बेरोजगारों से एक भी पैसा नहीं लेती है बल्कि जब युवाओं को नौकरी मिल जाती है तब तय करार के मुताबिक राहुल और मोहित की कम्पनी युवाओं को रोजगार देने वाली कम्पनी से एक फिक्स रकम लेती है।
यही पैसा इजी नौकरी कम्पनी का फायदा होता है। जिसे चारों दोस्त आपस में बराबर बांट लेते है। चारों दोस्तों की कम्पनी बांदा, हमीरपुर, देवरिया, सहित यूपी के लगभग 50 जिलों में काम कर रही है।
ईजी नौकरी कम्पनी के इन जिलों में लगभग 500 से ज्यादा नौकरी मित्र काम कर रहे है। एक साल के अंदर इन कम्पनी ने 600 से ज्यादा पढ़े लिखे युवा बरोजगारों को अपने यहां जॉब दिला चुकी है।